ओडिशा भारत के पूर्वी हिस्से में एक प्रांत है। प्राचीन काल में यह कलिंग के नाम से भी जानि जाती थी। यह भारत के दक्षिण पूर्वी हिस्सा में बंगाल की खाड़ी की तट पर स्थित है। १ अप्रैल, १९३६ को उड़ीसा आधुनिक राज्य रूप में स्थापित हुआ था। इसलिए १ अप्रैल को उत्कल दिवस के रूप में मनाया जाता है। ओडिसा, उत्कल, कलिंग के अलावा यह भी उद्र के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत की एक धार्मिक और आध्यात्मिक राज्य हे, १२ महीने यहाँ पर तीर्थ यात्रियों की आना जाना लगा रहता हे।
परिचय
[सम्पादन]ओडिशा भारत के नौवां सबसे बड़ा राज्य है, और जनसंख्या से ग्यारहवां सबसे बड़ा है। यहां आधिकारिक और सर्वाधिक व्यापक रूप से ओडिया भाषा बोली जाने की साथ अंग्रेजी और हिंदी भाषा की भी प्रयोग किया जाता हे। पर्यटकों के लिए यह श्रेष्ठ राज्य हे, क्यूं कि ओडिशा के समस्त प्रान्त में मन्दिरों का श्रृंखला हे। इसके आलावा मठ, आश्रम, प्राकृतिक चमत्कार, समुद्र तट, वास्तुशिल्प सौंदर्य और कई चीजें जो दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। महानदी नदी समेत, तटीय स्तर अधिक आबादी से भरा है। राज्य का आंतरिक भाग पहाड़ी और यहाँ कम से कम आबादी है। पुरी रथ यात्रा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है, त्योहार के दौरान लाखों लोग ओडिशा का दौरा करते हैं। कोनार्क ओडिशा में भगवान सूर्य का एक और प्रसिद्ध मंदिर है, इसके वास्तुकला एक विशाल रथ के आकार में है जिसमें २४ पहियों की नक्काशी हुई हे और ७ घोड़ों द्वारा खींचा जाना दिखता हे। इसमें १७ एयर बेस और १६ हेलीपैड हैं, उनमें से प्रमुख हैं बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा जो की भुबनेश्वर स्थित हे।
भुबनेश्वर राज्य की राजधानी है और इसे मंदिर का शहर कहा जाता है। ओडिशा भारत की १९वीं सबसे साक्षर राज्य है और इसकी साक्षरता दर ७३.४५ है। भारत की नवीनतम जनगणना २०११ के अनुसार, उड़ीसा राज्य की जनसंख्या ४.१९ करोड़ थी। वर्ष २०१७ में उड़ीसा की जनसंख्या ४.५५ करोड़ थी हालांकि, २०१६ में ४४,९६७,०३९ और २०१५ के वर्ष में राज्य की आबादी ४४,३४६,१९३ के रूप में दर्ज की गई थी।
अन्य जानकारी
[सम्पादन]इतिहास
[सम्पादन]ओडिशा का प्राचीन नाम कालिंग था। विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ ओडिशा में हुआ। २६१ बीसी में कलिंग युद्ध में सम्राट अशोक ने लड़ा था। इस युद्द के बाद उन्होने अहिंसा को गले लगाने और बुद्ध की शिक्षाओं का नेतृत्व करने के लिए स्वयं को चंडाशोक से धर्माशोक में परिबर्तित किया था। इस राज्य को उत्कल भी कहा जाता है, जो की भारत की राष्ट्रीय गीत में अन्य राज्यों के नाम की साथ शामिल हे। उड़ीसा को आधुनिक राज्य १ अप्रैल, १९३६ में स्थापित किया गया था। इस दिन को उत्कल दिवस की रूप में पालन किया जाता हे। १९४८ में भुबनेश्वर ओडिशा की राजधानी बनी थी, लेकिन ब्रिटिश शासन के दौरान इस के राजधानी कटक में स्थित थी। यह ४ राज्यों - झारखंड, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ के साथ सीमाएं बना रखी हे। ओडिसी ओडिशा का विश्व प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य है।
मौसम
[सम्पादन]ओडिशा सामुद्रिक तटीय स्तर पर होने का कारण, इस के मौसम समुद्र से काफी प्रभावित होता है। इस क्षेत्र की जलवायु उष्ण कटिबंधीय है जिसके परिणाम स्वरूप अप्रैल और मई के महीनों में बहुत अधिक तापमान होता है। इसके विपरीत, राज्य के पूर्वी घाट एक बहुत ही शांत जलवायु का अनुभव करते हैं।
यहाँ पर तीन प्रमुख मौसम अनुभब किया जाता हैं - ग्रीष्म (मार्च-जून), बरसात का मौसम (जुलाई-सितंबर) और सर्दी (अक्टूबर-फरवरी)। ओडिशा कर्क रेखा के दक्षिण में स्थित है, इसलिए एक उष्णकटिबंधीय जलवायु से सुन्दरगढ़, संबलपुर, बारागढ़, बोलंगीर, कालाहांडी और मयूरभंज के पश्चिमी जिलों में लगभग पूरे वर्ष गर्म रहता है, जबकि अधिकतम तापमान ४०-४६ डिग्री सेल्सियस और सर्दी में यह असहनीय रूप से ठंडा होता है। तटीय जिलों में, जलवायु बराबर है लेकिन अत्यधिक नम और चिपचिपा होता है। गर्मी का अधिकतम तापमान ३५-४० डिग्री सेल्सियस के बिच और कम तापमान आमतौर पर १२-१४ डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। कोरापुट और फूलबनी के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर सर्दी बहुत गंभीर नहीं है, जहां न्यूनतम तापमान ३-४ डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है।
औसत वर्षा १५० सेमी है, जो जुलाई-सितंबर के दौरान दक्षिण पश्चिम मनसून के परिणाम के रूप में अनुभवी है। जुलाई का महीना सबसे खराब होता है और प्रमुख नदियों में बाढ़ आ जाती है। राज्य अक्टूबर-नवंबर के महीनों में पीछे हटने वाले मनसून से छोटी बारिश का अनुभव करता है। जनवरी और फरवरी शुष्क होते हैं।
परिवहन
[सम्पादन]ओडिशा तक पहुंचने के लिए, बहुत से वाहन उपलब्ध हैं आगंतुकों को आम तौर पर, वायुमार्ग का उपयोग दूरी और उपलब्धता के आधार पर गाड़ियों। ओडिशा तक पहुंचने के लिए, बहुत से सुविधाएं उपलब्ध हैं आगंतुकों को आम तौर पर, वायुमार्ग, जलमार्ग और रेलमार्ग का उपयोग दूरी और उपलब्धता के आधार पर करते हुए देखा गेया हे। इसके अलावा बस, टैक्सी और निजी बाहनो की इस्तेमाल करके भी आगंतुक यहाँ पहुंचते हे।
वायुमार्ग
[सम्पादन]बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा ओडिशा राज्य का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, इसका नाम प्रसिद्ध वायुयान और स्वतंत्रता सेनानी बीजू पटनायक के नाम पर रखा गया है। यह ओडिशा की राजधानी भुबनेश्वर में स्थित जिसका एयरपोर्ट कोड बीबीआई हे। टर्मिनल (टी १), जिसमें ४० लाख यात्रियों की क्षमता है और घरेलू उड़ानों के लिए पुराने टर्मिनल (टी २) को अंतरराष्ट्रीय परिचालनों का समर्थन करने के लिए नवीनीकृत किया गया था। टी १ टर्मिनल, कई सुविधाओं के साथ भरा हुआ है। यह ग्रीन बिल्डिंग मानकों के अनुसार बनाया गया है, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स और वर्षा जल संचयन के प्रावधान के साथ। टर्मिनल की आंतरिक दीवारों को ओडिशा के समृद्ध संस्कृति से प्रेरित कला और मूर्तिकला से सजाया गया है। खाद्य कियोस्क, कला दीर्घाओं और बुकस्टोर्स भी शामिल हैं। दूसरा टर्मिनल (टी २) एयर इंडिया और एयर एशिया के उड़ानों का संचालन करता है।
- यहाँ अंतरास्ट्रीय उड़ान भर ने के लिए एयर इंडिया, एयर कनाड़ा, लुफ्तहंसा, एयर एशिया, एयर सहारा, जेट एयरवेज जैसे प्रमुख विमान सेवाओं के साथ इंडिगो, विस्तारा, और स्टार अलायन्स विमान सेवाएं उपलभ्ध हे। भुबनेश्वर से लॉस एंगेल्स, फ्रैंकफुर्ट, सन फ्रांसिस्को, लंदन, वाशिंगटन, मेड्रिड, ब्रुसेल्स, तायपेई, न्यू योर्क, बैंगकॉक, सीओल, और सिडनी जानेकी दोनों तरफ की सीधी उड़ान ले सकते हे।
- भुबनेश्वर एयरपोर्ट से घरेलु उड़ान सुविधा में दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, नागपुर, वाराणसी, और विशाखापट्नम जैसे सहरो को प्रतिदिन उड़ान भरा जाती हे. एयर इंडिया, गो एयर, और इंडिगो जैसे एयरलाइन्स अधिक मात्रा में सक्रीय हे. मुंबई से भुबनेश्वर की दोनों तरफ की यात्रा की अधिकतम आवृत्ति का श्रृंखला दर्शाती हे।
रेलमार्ग
[सम्पादन]भुवनेश्वर रेलमार्ग के माध्यम से भारत के अधिकतम शहरों को सीधे तरीके से जुड़ा हुआ है। यह रेल मार्ग ओडिशा के बिभिर्न शहरों को संजोग करता हे। राजधानी भुबनेश्वर से (स्टेशन कोड बीबीइस हे) से लगभग सारे ट्रैन आना-जाना करता हे, पूरी इसका अंतिम स्टेशन हे। यह रेल माध्यम से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, और सभी मेट्रो शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद जैसे शहरों को संजोग करता हे। दूर स्थानों जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई सहरो के लिए राजधानी एक्सप्रेस जैसे और भी रेल गाड़ी चलती रही हे जो १९ - २२ घंटे में गंतब्य में पहुंचा ने में मदद करती हे।
प्रमुख रेलमार्ग जो महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हे:
- पूरी - नई दिल्ली रेलमार्ग
- भुबनेश्वर - नई दिल्ली रेलमार्ग
- भुबनेश्वर - कोलकाता रेलमार्ग
- भुबनेश्वर - मुंबई रेलमार्ग
- भुबनेश्वर - गोवा रेलमार्ग
- भुबनेश्वर - कन्या कुमारी रेलमार्ग
- भुबनेश्वर - पंजाब रेलमार्ग
- भुबनेश्वर - पुणे रेलमार्ग
सड़क मार्ग
[सम्पादन]ओडिशा में सड़क सुविधाएँ भी हे। कई पडोसी राज्यों से बस माध्यम से जातयत कर सकते हैं इसमें कोलकाता, आंध्र प्रदेश जैसे राज्य शामिल हे। निजी गाड़ी माध्यम से जानने के लिए भी यहां सड़के राष्ट्रीय सड़कों से मिली हुई हे। ब्यापार के लिए रोज सैकड़ो ट्रक, और लोरी आते जाते रहते हे।
ओडिशा की एक जिल्ला से दूसरी जिल्ला जाने के लिए भरपूर सरकारी और निजी बस सुविधाएँ हे। ओडिशा स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन द्वारा सरकारी बसें ओडिशा तथा पडोसी राज्य में परिबहन करता हे। रोजाना लाखों लोग इस सुविधा का इस्तमाल करके स्थानांतरित होते हे। ओडिशा की शहरों और गाओं में बस, ट्रक के अलावा बहुत सारे कार, जीप, एक्स इउ वि, मोटर साइकिल, स्कूटी, ऑटो, और साइकिल रिक्शा की इस्तेमाल करते हे।
जलमार्ग
[सम्पादन]ओडिशा, पारादीप बंदरगाह के लिए प्रसिद्ध है। यह पोर्ट प्राथमिक बंदरगाह है, और भारत के पूर्वी तट पर सबसे बड़ा है। पारादीप पोर्ट ट्रस्ट (पीपीटी) द्वारा वर्ष १९६६ में १२ मार्च को खोला गया था। यह एक बहुत बड़ा बंदरगाह है और महानदी नदी और बंगाल की खाड़ी के मिलन बिंदु पर स्थित है। बंदरगाह का क्षेत्र बहुत बड़ा है पारादीप बंदरगाह में कई अंतरराष्ट्रीय जहाजों आ रही हैं। बंदरगाह मुख्य रूप से अन्य साफ कार्गो के अलावा थोक कार्गो के साथ काम करता है। यह सम्पूर्ण बाणिज्य क्षेत्र में निबृत हे।
पर्यटन स्थल
[सम्पादन]ओडिशा एक आध्यात्मिक राज्यो की श्रेणी में आता हे, जिस की हर एक सहर में ऐतिहासिक और दैविक कहानिया छुपी हुई हे। प्राचीन कालों से यह अद्भुत कहानी मंदिरो, मठ, पूजा स्थल जैसे जगह में बर्णित हे। इस राज्य में जो महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल हे:
- भुबनेश्वर - यह ओडिशा की राजधानी होने की साथ टेम्पल-सिटी या मंदिरों की सहर कहा जाता हे, और एक विशाल महानगर जिसमे पुराने मूल्यों और सांस्कृतिक विरासत है। भुबनेश्वर एक जिल्ला हे, जो की प्रसंसनीय रूप में स्वच्छ और सुन्दर हे। यहाँ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा जो बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा की नाम से जाना जाता हे।भुवनेश्वर कुछ बेहतरीन मंदिरों का घर है जिसमें लिंगराज मंदिर, राजरानी मंदिर, केदार गौरी मंदिर, अनंत बासुदेव मंदिर, चिन्तामणिस्वर मंदिर, इस्कॉन मंदिर और मुक्तेश्वर मंदिर शामिल हैं। इनमे लिंगराज मंदिर और अनत वासुदेव मंदिर का अन्नाहार बहुत बढ़िया और सबसे पवित्र भोजन में से एक हे। अन्य पर्यटक आकर्षण में राज्य संग्रहालय, बिंदू सरोवर और नंदन कानान शामिल हैं। यह एक पिंक सिटी से बढ़ कर हे । पर्यटकों की ठहरने के लिए अनेक सारे ५-स्टार होटेल, ३-स्टार होटेल, बजेट होटल्स और लॉजिंग उपलभ्द हे। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड के अलावा सहर की हर स्थान पर होटेल सुविधाएं हे। यहाँ ६००/- रु से लेकर १६,०००/- रु तक के प्रशुल्क २४ घंटे के लिए होटेल सेवाएं प्राप्त होता हे। जातयत के लिए सहर में निजी कैब सेवाएं के साथ ऑटो रिक्शा, रिक्शा और सिटी बस भी महजूद हे। भुबनेश्वर सहर में बहुत सारे छोटे बड़े रेस्टोरेंट होनेके साथ मनोरंजन के लिए सिनेमा घर हे। सहर में बड़े मात्रा में मार्किट प्लेस और शॉपिंग मॉल उपलभ्ध हे। यह एक सांत और श्रृंखलित सहर में गिना जाता हे।
- कोणार्क - कोनार्क उड़ीसा की सबसे लोकप्रिय और प्रमुख आकर्षण है, जिसका कारण कोनार्क मंदिर हे। भुवनेश्वर से 65 किलोमीटर की दूरी पर और पुरी से 35 किलोमीटर दूर कोणार्क स्थित है। 'कोनार्क' शब्द को 'कोना' और 'अर्क' से लिया गया है जिसका अर्थ है 'कोना' और 'सूर्य'। कोनोर्क वास्तव में पुरी के उत्तर-पूर्व कोने में स्थित है, इसलिए यह कोनर्क के रूप में जाना जाता हे। इतिहास में हे, १२५० ए.डी में, नरकासिंह देव द्वारा मुसलमानों पर अपनी जीत को मनाने के लिए कोनार्क मंदिर का निर्माण किया गया था। कोणार्क मंदिर मूल रूप से भगवान सुर्य या सूर्य भगवान को समर्पित है इस तथ्य के कारण, यह सूर्य मंदिर के रूप में भी लोकप्रिय है। कलाकृति की नक्काशी और समृद्ध मूर्तिकला इस मंदिर का सौंदर्य की गुरुत्वा बढ़ाता हे। सूर्य उदय समाये सूर्य की पेहली किरण इस मंदिर की चोटी पर गिरती हे, जिसे देखने और पूजा, अर्चना करने अनेक श्रद्धालु और पर्यटक आते हे। इस मंदिर के ठीक ३ किलोमीटर पूरब में एक सुनदर बीच यनिके समुद्री तट हे जिसे चद्रभागा के नाम से जाना जाता हे।यहाँ पर हजार हजार पर्यटक घूमने आते हे। यह बंगाल खाड़ी के समुद्र तट हे।
- पूरी - पुरी ओडिशा का एक जिला है जो राज्य के पूर्वी भाग में स्थित है। यह तटीय भाग में पड़ता है और 'बंगाल की खाड़ी' के तट से आच्छादित है। यह जगह श्री जगन्नाथ मंदिर के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यह भुबनेश्वर से ६२.3 किलोमीटर की दुरी में हे। जतायात के लिए रोड और रेल सेवा ही उपलब्ध हे। भुबनेश्वर से पूरी मात्रा १ घंट ३० मिनट में पूरा होता हे। रथ यात्रा के दौरान, विशाल रथ यात्रा देखने के लिए लाखों लोग इस स्थान पर जाते हैं। शास्त्रों के मुताबिक, यह चार धमों में से एक धम है और इसकी यात्रा चार धाम यात्रा को पूरा करने लिए आवश्यकता है। भगवान विष्णु की जगन्नाथ जी के नाम से पूजा करने के लिए आध्यात्मिक रूप से समर्पित हे। यहाँ जगन्नाथ जी के साथ उनके बड़े भाई 'बलभद्र' और छोटी बहन 'सुभद्रा' जी के पूजा होता हे। पवित्र शहर होटल, गेस्ट हाउस, और धर्मशाला से भरा हुआ है। इस जगह पर रहने और भोजन की सुविधा बहुत सहज और सरल है। जगन्नाथ मंदिर की निकट दूरी के भीतर समुद्र तट, जो पर्यटन के माहौल को बढ़ाता है और हजारों लोग पूरे दिन, पूरे समय यहाँ बिताते हुए नजर आते हे।
- कुट्क -भुवनेश्वर से लगभग २४ किलोमीटर दूर, कटक स्थित है। जगह तक पहुंचने का समय लगभग ४५ मिनट है। यह राज्य का सबसे पुराना जिला था। ब्रिटिश शासन के दौरान, कटक ओडिशा की राजधानी थी। सबसे अधिक आबादी वाला शहर और यहां से अन्य सभी स्थानों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यह फिर से एक व्यवसाय केंद्र है और ओडिशा की व्यावसायिक राजधानी भी कहा जाता है। शहर का प्रमुख आधिकारिक आकर्षण कटक मेडिकल और उसका कॉलेज, रेवनशॉ कॉलेज, बाराबाटी स्टेडियम, हाईकोर्ट और काठजोडी, महानदी नदी है।
बिशेष ध्यान दे: भुबनेश्वर से कटक सिटी जाने और आने की समय रास्ते में एक छोटा सा स्थान, जिसका नाम 'पाहल' हे। यह हाईवे स्टाप हे, केवल रसगुल्ले के लिए प्रसिद्ध हे। यहाँ हाईवे की दोनों तरफ लगभग ६० रसगुल्ला स्टाल मिलेगा और यहाँ का रसगुल्ला की स्वाद इतिहास में जगा बनाया हे।
- पारादीप - ओडिशा में पारीदीप जगतसिंहपुर जिले में स्थित है। सड़क से भुवनेश्वर से इसकी दुरता १२५ किलोमीटर और रेलवे माध्यम से कटक रेलवे स्टेशन से ९५ किलोमीटर दूर। यह सबसे बड़ा बंदरगाह है, और बहुत सारी औद्योगिक गतिविधियां इस जगह से गुजरती रही हैं। इस क्षेत्र में लोग बहुत सहज जीवन बिता तेन हे। सहर में होटल, हॉस्पिटल, रेस्टुरेंट सुविधाएँ उपलब्ध हे।