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अपने हक में फैसला ले लिया। और तत्काल विवाह की तैयारी होने लगी। चीफ कमिश्नर पहाड़ पर थे, तार द्वारा अपील की गई, वहाँ से विवाह रोकने की आज्ञा भी आई—पर विवाह जंगल में एक वृक्ष के नीचे कर दिया गया।
बालिका विवाहित होने के ६ महीने बाद सेठ जी मर गये। उनकी मृत्यु के १ मास बाद वह प्रथमवार रजस्वला हुई और ३ मास बाद एकाएक रात को २ बजे हमें बुलाया गया। देखा वह मर रही थी और उसे ज़हर दिया गया था। दूसरे दिन धूमधाम से उसका शव निकाला गया और उस पर अशर्फियाँ लुटाई गई।
यह एक उदाहरण है परन्तु हमारे पास एक से एक बढ़ कर हज़ारों उदाहरण हैं। इन बालिकाओं में न तो प्रतिकार का ज्ञान है, न शक्ति। वे चुपचाप इस अत्याचार का शिकार बन जाती हैं। और इसका परिणाम हिन्दू जाति का सामूहिक नैतिक पतन होता है। ऐसी लड़कियाँ बहुधा नीच जाति वालों या मुसलमानों बदमाशों के साथ भाग जाती हैं जो इस प्रकार के मामलों की ताक में रहते हैं।
मैं ऐसी अनेक छोटी छोटी रियासतों की रानियों को जानता हूँ कि जिन्हें उनके लम्बट रईस पतियों ने बुढ़ापे में ब्याहा और जवानी में छोड़ मरे। और वे खुली व्यभिचारिणी और स्वेच्छाचारिणी की भाँति विचरण करती हैं[१]। एक बार एक युवक ने हमें बीस हजार रुपया भेंट करने चाहे थे यदि मैं उसकी माता
- ↑ ऐसी भयानक कहानियां 'देशी राज्यों में व्यभिचार' नामक पुस्तक में पढ़िये १)