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लाल सेना

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लाल सेना का विजय ध्वज जो मई १९४५ में सोवियत सैनिकों ने जर्मनी की राजधानी पर क़ब्ज़ा करके राईख़श्टाग (जर्मन संसद) के ऊपर फहराया था
एक सोवियत फ़ौजी अफ़सर अपने सैनिकों को जर्मन फ़ौजियों पर हमला करने के लिए ललकारते हुए (सन् १९४२, द्वितीय विश्वयुद्ध)

मज़दूरों और किसानों की लाल सेना (रूसी: Рабоче-крестьянская Красная армия, राबोचे-क्रेस्तयान्स्काया क्रासनाया आर्मिया) का आरम्भ सन् १९१८-१९२२ के रूसी गृहयुद्ध में सोवियत संघ के क्रांतिकारी साम्यवादी लड़ाकू दलों के रूप में हुआ था। सोवियत संघ की स्थापना के बाद यह बढ़कर उस देश की राष्ट्रीय सेना बन गई और १९३० के दशक तक इतिहास की सब से बड़ी फ़ौजों में से एक बन चुकी थी। उसे लाल सेना इसलिए कहा जाता था क्योंकि साम्यवाद का पारम्परिक रंग लाल है। २५ फ़रवरी १९४६ को लाल सेना का नाम औपचारिक रूप से बदलकर 'सोवियत सेना' कर दिया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध में सोवियत-अमेरिकी-ब्रिटिश गुट की जर्मनी के ऊपर जीत का बहुत श्रेय लाल सेना को दिया जाता है, क्योंकि उन्होंने ही लगभग ८०% जर्मन फ़ौज से लड़कर उन्हें हराया।[1][2]

अन्य भाषाओँ में

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'लाल सेना' को अंग्रेज़ी में 'रेड आर्मी' (Red Army) कहते हैं।

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. No Simple Victory: World War II in Europe, 1939-1945 Archived 2014-09-24 at the वेबैक मशीन, Norman Davies, Penguin, 2008, ISBN 978-0-14-311409-3, ... As things were, it was the Soviet Union, not the USA, which fought the final phase of the war as the strongest power in Europe. It was the Red Army which scored the most crushing victories over Nazi Germany, culminating in the Battle for Berlin ...
  2. How we didn't win the war ... but the Russians did[मृत कड़ियाँ], Norman Davies, Sunday Times, 11 मई 2006, ... Since 75%-80% of all German losses were inflicted on the eastern front it follows that the efforts of the western allies accounted for only 20%-25% ...