पाताल का द्वार
पाताल का द्वार (अंग्रेज़ी: Door to Hell) तुर्कमेनिस्तान के आख़ाल प्रान्त के देरवेज़े गाँव में एक प्राकृतिक गैस का क्षेत्र है। यहाँ पर ज़मीन में बने एक बड़े छेद से निकलती हुई गैस सन् १९७१ से लगातार जल रही है। इससे पैदा होने वाली गंधक (सल्फ़र) की गंध मीलों दूर तक पूरे क्षेत्र में फैली रहती है।[1]
भूगोल
[संपादित करें]यह गैसक्षेत्र काराकुम रेगिस्तान के बीच में तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात से लगभग २६० किमी दूर स्थित है और दुनिया के सबसे बड़े भूमिगत गैस भंडारों में से एक है। देरवेज़े में स्थित ७० मीटर चौड़े लपटों और खौलती हुई मिटटी वाले क्रेटर की वजह से स्थानीय लोगों ने इसे 'पाताल का द्वार' बुलाना शुरू कर दिया।[2]
इतिहास
[संपादित करें]१९७१ में, जब तुर्कमेनिस्तान सोवियत संघ का हिस्सा था, कुछ सोवियत भूवैज्ञानिक यहाँ खुदाई करते हुए नीचे एक गैस से भरी हुए बड़ी गुफ़ा तक पहुँच गए। यहाँ पहुँचते ही गुफा की छत गिर गई और उनका सारा खुदाई का सामन उसमें जा गिरा। यहाँ एक ७० मीटर बड़ा छिद्र खुल गया और उसमें से ज़हरीली गैस बाहर को उठने लगी जिस से आसपास के गाँववालों की जान पर बन आई। इस ज़हरीले रिसाव को रोकने के लिए उन्होंने गैस में आग लगा दी। उनका अनुमान था कि गैस कुछ ही दिनों में जलकर ख़त्म हो जाएगी, लेकिन यह आग दशकों बाद आज भी जल रही है।
गैस-खनिज विकास योजनाएँ
[संपादित करें]अप्रैल २००१ में तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति, गुरबानगुली बेर्दीमुहम्मदोव, ने इलाक़े की सैर करी और आदेश दिए कि या तो छिद्र बंद किया जाए या फिर क्षेत्र में अन्य प्राकृतिक गैस निकालने की योजनाओं को यहाँ सुलगती आग के प्रभाव से मुक्त किया जाए। तुर्कमेनिस्तान यहाँ से गैस निकलकर चीन, भारत, ईरान, रूस व पश्चिमी यूरोप को निर्यात करना चाहता है।[2]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- देरवेज़े, पाताल के द्वार, यू-ट्यूब पर पाताल के द्वार का वीडियो
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Tour The Man-Made Crater That's Been Burning For More Than 40 Years Archived 2013-01-16 at the वेबैक मशीन, Dina Spector, 01 अक्टूबर 2012, Business Insider, ... Burning sulfur can be smelled from miles away ...
- ↑ अ आ What a Hell hole! Archived 2013-03-01 at the वेबैक मशीन, Rob Preece, 12 सितंबर 2012, Mail Online (UK), ... Soviet geologists were drilling at the site in 1971 and tapped into a cavern filled with natural gas. But the ground beneath the drilling rig collapsed, leaving a hole with a diameter of 70 metres ...