पाकिस्तान के राष्ट्रपति
राष्ट्रपति صدر مملكت, इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान | |
---|---|
![]() पाकिस्तान के राष्ट्रपति के मानक | |
शैली | महामहिम |
आवास | अवाम-ए-सदर, इस्लामाबाद |
नियुक्तिकर्ता | निर्वाचन मंडल |
अवधि काल | पाँच वर्ष, एक बार |
उद्घाटक धारक | इस्कन्दर मिर्ज़ा |
गठन | मार्च 2, 1956 |
वेबसाइट | प्रेसिडेंट डॉट गोव डॉट पीके |
![]() |
पाकिस्तान की राजनीति और सरकार पर एक श्रेणी का भाग |
संविधान |
|
पाकिस्तान के राष्ट्रपति (उर्दू: صدر مملكت — सदर-ए मुम्लिकात, उर्दु उच्चारण: [ˌsəd̪ˈr-eː ˈmʊm.lɪˌkət̪]) पाकिस्तान इस्लामिक गणतंत्र के सर्वेसर्वा का पद है।
चुनाव और बर्खास्तगी
[संपादित करें]राष्ट्रपति का चुनाव पाँच वर्षों के लिए निर्वाचक मण्डल द्वारा से होता है। निर्वाचक मण्डल सिनेट, राष्ट्रीय विधानसभा और प्रांतीय विधानसभावों का सयुंक्त रूप है।
राष्ट्रपति की शक्तियाँ
[संपादित करें]पाकिस्तान में राष्ट्रपति पद का इतिहास
[संपादित करें]![](http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/6/69/Presidential_Standard_of_Pakistan_%281956-1967%29.svg/150px-Presidential_Standard_of_Pakistan_%281956-1967%29.svg.png)
राष्ट्रपति गणतंत्र (1956–1971)
[संपादित करें]१९५६ के संविधान ने गर्वनर-जनरल को राष्ट्रपति कार्यालय से विस्थापित कर दिया। इस्कन्दर मिर्ज़ा, उस समय के गर्वनर जनरल पाकिस्तान के प्रथम राष्ट्रपति बने। १९५८ में मिर्ज़ा ने संविधान को निलम्बित कर दिया और सैनिक शासन की घोषणा कर दी।
संसदीय लोकतंत्र (1971–1977)
[संपादित करें]![](http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/7/75/Presidential_standard_of_Pakistan_%281974%E2%80%931998%29.svg/150px-Presidential_standard_of_Pakistan_%281974%E2%80%931998%29.svg.png)
सैनिक शासन (1977–1988)
[संपादित करें]5 जुलाई 1977 को, 1977 के संसदीय चुनावों पर नागरिक अशांति के माहौल में जनरल ज़िया-उल-हक़ ने तख्तापलट करते हुए सभी अधिकार अपने हाथ में ले लिए।
अर्द्ध राष्ट्रपति प्रणाली (1988–1993)
[संपादित करें]१९८८ जे आम चुनाव में निर्वाचित असैनिक राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान बने। अर्ध-अध्यक्षीय प्रनाली की स्थापना की जिससे वो भ्रष्टाचार के आरोप में बार बार बेनजीर भुट्टो और नवाज शरीफ की सरकारों को बर्खास्त करने के लिए सक्षम हों। तथापि जनता के दबाब में उन्हें खान को त्यागपत्र देना पड़ा।
संसदीय लोकतंत्र (1997–1999)
[संपादित करें]1997 में, नवाज़ शरीफ़ ने १९९७ के संसदीय चुनावों में दो तिहायी बहुमत के साथ जीत दर्ज की।
अर्द्ध राष्ट्रपति प्रणाली (1999–2007)
[संपादित करें]यद्यपि, परवेज़ मुशर्रफ़ के १९९ के तख्ता पलट ने सभी अधिकार राष्ट्रपति के हाथ में ला दिये। परवेज़ मुशर्रफ ने संविधान को निलम्बित नहीं किया।
आपातकाल (2007–2008)
[संपादित करें]3 नवम्बर 2007 को, अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के अन्त से ठीक पहले, मुशर्रफ़ ने आपातकाल, वस्तुतः सैनिक कानून घोषित कर दिया।
संसदीय लोकतंत्र (2008–2013)
[संपादित करें]9 सितम्बर 2008 को, आसिफ अली ज़रदारी पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने। उन्हें पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश अब्दुल हमीद डोगर ने शपथ दिलाई। कंजर्वेटिव पार्टी, पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) और सता पार्टी पाकिस्तान पिपुल्स पार्टी ने १९७३ का संविधान वापस लाने की माँग की जिसके तहत सभी सत्तात्मक अधिकार निर्वाचित राष्ट्रपति के पास होंगे।
संसदीय लोकतंत्र (2013-अब तक)
[संपादित करें]9 सितम्बर 2013 को मनमून हुसैन पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने। मनमून हुसैन एक पाकिस्तानी कपड़ा व्यापारी और राजनेता हैं जो वर्तमान में पाकिस्तान के राष्ट्रपति हैं।
पाकिस्तान के राष्ट्रपतियों की सूची
[संपादित करें]१९५६ से पूर्व पाकिस्तान इस्लामिक गणतंत्र के प्रमुख १९४७ से १९५६ तक ब्रितानी सम्राट (पाकिस्तान में ब्रितानी माहारानी के प्रतिनिधि) थे। अधिक जानकारी के लिए देखें: "पाकिस्तान के गवर्नर जनरल"।