चीनी जनवादी गणराज्य
चीन जनवादी गणराज्य 中华人民共和国 चुङ ह्वा रन मिन कुङ ह कुओ[1] |
||||||
---|---|---|---|---|---|---|
|
||||||
राष्ट्रगान: स्वयंसेवकों का कदमताल | ||||||
राजधानी | बीजिंग 39°55′N 116°23′E / 39.917°N 116.383°E | |||||
सबसे बड़ा नगर | शंघाई | |||||
राजभाषा(एँ) | मानक मन्दारिन | |||||
निवासी | चीनी | |||||
सरकार | समाजवादी गणराज्य | |||||
- | चीनी जनवादी गणराज्य के राष्ट्रपति | शी जिनपिंग | ||||
- | चीन के उपशासक उपशसक | ली कियांग क [2] | ||||
माओ जिडोंग के साम्राज्य से स्वतंत्रता | ||||||
- | जल (%) | २.८ | ||||
जनसंख्या | ||||||
- | २०१० अनुमान जनगणना | १,३३,८६,१२,९६८ (अनिश्चित) | ||||
- | २००० जनगणना | १,२४,२६,१२,२२६ | ||||
सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी) | २०१० अनुमान प्राक्कलन | |||||
- | कुल | $ १०.०८४ खरब (दूसरा) | ||||
- | प्रति व्यक्ति | $ ७,५१८ (९९वाँ) | ||||
मानव विकास सूचकांक (२०१०) | ०.६६३ मध्यम · ८९वां |
|||||
मुद्रा | रेन्मिन्बी (युआन) (सी॰एन॰वाइ॰) | |||||
समय मण्डल | चीनी मानक समय (यू॰टी॰सी॰+८) | |||||
दूरभाष कूट | +८६ | |||||
इंटरनेट टीएलडी | .सीएन |
चीन (चीनी भाषा: 中国; पिनयिन: Zhōngguó),आधिकारिक रूप से चीन जनवादी गणराज्य (चीनी भाषा: 中华人民共和国; पिनयिन: Zhōnghuá Rénmín Gònghéguó), पूर्वी एशिया का एक देश है। यह विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है, जिसकी जनसंख्या 1.4 अरब से अधिक है। चीन पाँच समय क्षेत्रों के बराबर फैला हुआ है और 14 देशों[3] की भूमि से सीमाएँ हैं, विश्व के किसी भी देश से सर्वाधिक, रूस के साथ बन्धा हुआ है। लगभग 96 लाख वर्ग किमी के क्षेत्रफल के साथ, यह कुल भूमि क्षेत्र के हिसाब से विश्व का तृतीय सबसे बड़ा देश है। देश में 22 प्रान्त, पाँच स्वायत्त क्षेत्र, चार नगर पालिकाएँ और दो विशेष प्रशासनिक क्षेत्र (हॉङ्कॉङ और मकाउ) अन्तर्गत हैं। राष्ट्रीय राजधानी बीजिंग है, और सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर और वित्तीय केन्द्र षंख़ाई है।
आधुनिक चीनी अपनी उत्पत्ति उत्तरी चीन के मैदान में पीली नदी के उपजाऊ बेसिन में सभ्यता के उद्गम स्थल में खोजते हैं 21वीं शताब्दी ईसा पूर्व में अर्ध-पौराणिक शिया राजवंश और अच्छी तरह से प्रमाणित षाङ और झोउ राजवंशों ने वंशानुगत राजशाही, या राजवंशों की सेवा के लिए एक नौकरशाही राजनीतिक प्रणाली विकसित की। इस अवधि के दौरान चीनी लिपि, चीनी उत्कृष्ट साहित्य और सौ विचारधाराएँ उभरे और आने वाली शताब्दियों तक चीन और उसके पड़ोसियों को प्रभावित किया। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में, छिन के एकीकरण के युद्धों ने प्रथम चीनी साम्राज्य, अल्पकालिक छिन राजवंश का निर्माण किया। छिन के बाद अधिक स्थिर हान राजवंश (206 ईसा पूर्व-220 सीई) आया, जिसने लगभग दो सहस्राब्दी के लिए एक मॉडल स्थापित किया जिसमें चीनी साम्राज्य विश्व की अग्रणी आर्थिक शक्तियों में से एक था। साम्राज्य का विस्तार हुआ, खण्डित हुआ, और पुन: एकीकृत हुआ; जीत लिया गया और पुनः स्थापित किया गया; विदेशी धर्मों और विचारों को अवशोषित किया; और विश्व-अग्रणी वैज्ञानिक प्रगति की, जैसे चार महान आविष्कार: बारूद, काग़ज़, दिक्सूचक, और मुद्रण। हान के पतन के बाद शताब्दियों की एकता के बाद, सुई (581–618) और थाङ (618–907) राजवंशों ने साम्राज्य को फिर से एकीकृत किया। बहु-जातीय थाङ ने विदेशी व्यापार और संस्कृति का स्वागत किया जो कौशेय मार्ग पर आया और बौद्ध धर्म को चीनी आवश्यकताओं के अनुकूल बनाया। प्रारम्भिक आधुनिक सुङ राजवंश (960-1279) वृद्धि से नगरी और वाणिज्यिक बन गया। नागरिक विद्वानधिकारियों या साहित्यकारों ने पहले के राजवंशों के सैन्य अभिजात वर्ग को बदलने के लिए परीक्षा प्रणाली और नव-कन्फ़्यूशीवाद के सिद्धान्तों का उपयोग किया। मंगोल आक्रमण ने 1279 में युऐन राजवंश की स्थापना की, लेकिन मिङ राजवंश (1368-1644) ने हान चीनी नियंत्रण को फिर से स्थापित किया। मांछु के नेतृत्व वाले छिङ राजवंश ने साम्राज्य के क्षेत्र को लगभग दोगुना कर दिया और एक बहु-जातीय राज्य की स्थापना की जो आधुनिक चीनी राष्ट्र का आधार था, लेकिन 19वीं शताब्दी में विदेशी साम्राज्यवाद को भारी क्षति उठाना पड़ा।
चीन वर्तमान में चीनी साम्यवादी दल द्वारा एकात्मक मार्क्सवादी-लेनिनवादी एक-दलीय समाजवादी गणराज्य के रूप में शासित है। चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और एशियाई आधारभूत संरचना निवेश बैंक, कौशेय मार्ग कोष, नूतन विकास बैंक, षंख़ाई सहयोग संगठन और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी जैसे कई बहुपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग संगठनों का संस्थापक सदस्य है। यह ब्रिक्स, जी8+5, जी-20, एशिया - प्रशांत महासागरीय आर्थिक सहयोग और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन का भी सदस्य है। यह लोकतंत्र, नागरिक स्वातंत्र्य, सरकार की पारदर्शिता, प्रेस की स्वतंत्रता, धर्म स्वातंत्र्य और जातीय अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों के माप में सबसे नीचे है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा राजनीतिक दमन, व्यापक अभिवेचन, अपने नागरिकों की व्यापक निगरानी, और विरोध और असन्तोष के हिंसक दमन सहित मानवाधिकारों के हनन के लिए चीनी अधिकारियों की आलोचना की गई है।
विश्व अर्थव्यवस्था का लगभग पंचम भाग बनाते हुए, चीन क्रय-शक्ति समता पर जीडीपी के हिसाब से विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, सकल घरेलू उत्पाद के हिसाब से दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और दूसरा सबसे धनी देश है। देश सबसे वृद्धि से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और विश्व का सबसे बड़ा निर्माता और निर्यातक है, साथ ही दूसरा सबसे बड़ा आयातक भी है। सैन्य कर्मियों द्वारा विश्व की सबसे बड़ी स्थायी सेना और दूसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट वाला चीन एक मान्यता प्राप्त परमाण्वस्त्र वाला देश है। चीन को अपने उच्च स्तर के नवाचार, आर्थिक क्षमता, बढ़ती सैन्य ताकत और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में प्रभाव के कारण संभावित महाशक्ति माना जाता है।
नामोत्पत्ति
[संपादित करें]चीन में सामान्य रूप से प्रयुक्त होने वाले नाम हैं "झोङ्ह्वा" (中华/中華) और "झोंग्वौ" (中国/中國), जबकि चीनी मूल के लोगों को आमतौर पर "हान" (汉/漢) और "थाङ्" (唐) नाम दिया जाता है। अन्य प्रयुक्त होने वाले नाम हैं हुआश़िया, शेन्झोउ और जिझोउ। चीनी जनवादी गणराज्य (中华人民共和国) और चीनी गणराज्य (中国共和国) उन दो सम्प्रभू देशों के आधिकारिक नाम है जो पारम्परिक रूप से चीन नाम से जाने जाने वाले क्षेत्र पर अपनी दावेदारी करते हैं। "मुख्यभूमि चीन" उन क्षेत्रों के सन्दर्भ में प्रयुक्त किया जाता है जो क्षेत्र चीनी जनवादी गणराज्य के अधीन हैं और इसमें हांग कांग और मकाउ सम्मिलित नहीं हैं।
विश्व के अन्य भागों में, चीन के लिए बहुत से नाम उपयोग में हैं, जिनमें से अधिकतर "किन" या "जिन" और हान या तान के लिप्यन्तरण हैं। हिन्दी में प्रयुक्त नाम भी इसी लिप्यन्तरण से लिया गया है।
धर्म
[संपादित करें]91 चीन में सबसे अधिक बौद्ध धर्म मानने वाले लोग हैं । मूल चीनी धर्म जैसे ताओ धर्म, कुन्फ़्यूशियसी धर्म के अधिकांश अनुयायी भी बौद्ध धर्म का पालन करते है।
- चीन में धर्म जीवन पद्धति है
चीन में धर्म की स्थिति अन्य देशों जैसी नहीं है। भारत में या अन्यत्र किसी को हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, यहुदी आदि धर्मों का अनुयायी बताया जाता है पर चीन में एेसा नहीं है। चीन में कोई व्यक्ति अपनी पारिवारिक और नैतिक समस्याओं के निराकरण के लिये कन्फ्यूशियानिज्म की शरण में चला जाता है, वही व्यक्ति स्वास्थ्य तथा मनोवैज्ञानिक चिन्ताओं के लिये ताओवाद अपना लेता है, अपने स्वजनों के अन्तिम संस्कार के लिये बौद्ध धर्म की परम्पराएं स्वीकार करता है और अन्य बातों के लिये वह स्थानीय देवी देवताओं की आराधना करता है। वर्तमान में चीन में सभी धर्मों का अनुसरण किया जाता है। यहां के मुख्य धर्म हैं- बौद्ध, ताओ और अल्पसंख्यक धर्म हैं- इस्लाम व ईसाई। इनके अलावा अति अल्प संख्या में हिन्दू तथा यहुदी धर्मों के अनुयायी भी यहां हैं। आज से 4000 वर्ष पूर्व चीन में लोग भिन्न भिन्न देवताओं की पूजा करते थे जैसे मौसम के देवता या आकाश के देवता और इनसे ऊपर एक अन्य देवता शांग ली। इस जमाने में लोग विश्वास करते थे कि उनके पूर्वज मरने के बाद देवता बन गये इसलिये हर परिवार अपने पूर्वजों को पूजता था। बाद में जाकर लोगों को यह विश्वास होने लगा कि सबसे बड़ा देवता वह है जो तमाम अन्य देवताओं पर शासन करता है। स्वर्ग देवता अर्थात् तीयन ही चीन के सम्राट और साम्राज्ञी तय करता था। 2500 साल पहले चीनी धर्म में नये विचारों का आगमन हुआ। लाओ जू नामक दार्शनिक ने ताओवाद की स्थापना की जो बहुत लोकप्रिय हुआ। इस धर्म का मुख्य आधार यह था कि लोगों को जबर्दस्ती अपनी इच्छाएं नहीं पूरी करनी चाहिये वरन् समझ और सहकार से जीना चाहिये। यह एक दर्शन भी था और धर्म भी। इसी काल में एक अन्य दार्शनिक कन्फ्यूशियस का उदय हुआ जिनका दर्शन ताओवाद से भिन्न था। इस वाद के अनुसार लोगों को अपने कर्तव्य पूरे करने चाहिये, अपने नेताओं का अनुसरण करना चाहिये तथा अपने देवताओं पर श्रद्धा रखनी चाहिये। इस वाद का मूल मंत्र व्यवस्था थी। इन नये धर्मों के बावजूद लोग अपने प्राचीन धर्मों पर चलते रहे और पूर्वजों को पूजते रहे। 2000 वर्ष पूर्व बौद्ध धर्म का चीन में आगमन हुआ और चीनी जनजीवन में अत्यन्त लोकप्रिय हो गया। बौद्ध धर्म चीन का सर्वाधिक संगठित धर्म है तथा आज समूचे विश्व में सबसे अधिक बौद्ध अनुयायी चीन में ही है। कई चीनी ताओ तथा बौद्ध धर्म दोनों को एक साथ मानते हैं। ईसाई धर्म का आगमन 1860 में पहले अफीम युद्ध के दौरान हुआ। इस्लाम का पदार्पण सन् 651 में यहां हुआ। चीन में धर्म जीवन पद्धति है, यह दर्शन है और आध्यात्म है। चीन की जनवादी सरकार आधिकारिक रूप से नास्तिक है मगर यह अपने नागरिकों को धर्म और उपासना की स्वतंत्रता देती है। लेनिन व माओ के काल में धार्मिक विश्वासों और उनके अनुपालन पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था। तमाम विहारों, पेगोडा, मस्जिदों और चर्चों को अधार्मिक भवनों में बदल दिया गया था। 1970 के अन्त में जाकर इस नीति को शिथिल किया गया और लोगों को धार्मिक अनुसरण की इजाजत दी जाने लगी। 1990 के बाद से पूरे चीन में बौद्ध तथा ताओ विहारों या मन्दिरों के पुनर्निर्माण का विशाल कार्यक्रम शुरू हुआ। 2007 में चीनी संविधान में एक नई धारा जोड़कर धर्म को नागरिकों के जीवन का महत्वपूर्ण तत्व स्वीकार किया गया। एक सर्वेक्षण के अनुसार चीन की 50 से 80 प्रतिशत जनसंख्या 66 कराेड़ से 1 अरब तक लोग बौद्ध हैं जबकि ताओ सिर्फ 30 प्रतिशत या 40 करोड़ ही हैं। चूँकि अधिकांश चीनी दोनों धर्मों को मानते हैं इसलिये इन आँकड़ों में दोनों का समावेश हो सकता है। एक अन्य सर्वेक्षण के अनुसार चीन की 91 प्रतिशत जनसंख्या या 1 अरब 25 करोड़ लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी है। ईसाई 4 से 5 करोड़ और इस्लाम को मानने वाले 2 करोड़ के लगभग हैं अर्थात् डेढ़ प्रतिशत। बौद्ध धर्म को सरकार का मौन समर्थन प्राप्त है। दो वर्ष पूर्व सरकार ने ही यहां विश्व बौद्ध सम्मेलन का आयोजन किया था। विश्व की सबसे बड़ी बौद्ध प्रतिमा हेनान में सन् 2002 में स्थापित की गई थी। हेनान की प्रतिमा स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध 502 फीट ऊँची है। दूसरे नम्बर पर म्यानमार की 360 फीट ऊँची बुद्ध प्रतिमा है जो कुछ वर्ष ही स्थापित की गई थी। जापान की 328 फीट ऊँची बौद्ध प्रतिमा 1995 में स्थापित हुई थी।
इतिहास
[संपादित करें]चीन की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। इसका चार हज़ार वर्ष पुराना लिखित इतिहास है। यहां विभिन्न प्रकार के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक ग्रन्थ और पुरातन संस्कृति के अवशेष पाए गए हैं। दुनिया के अन्य राष्ट्रों के समान चीनी राष्ट्र भी अपने विकास के दौरान आदिम समाज, दास समाज और सामन्ती समाज के कालों से गुजरा था। ऐतिहासिक विकास के इस लम्बे दौर में, चीनी राष्ट्र की विभिन्न जातियों की परिश्रमी, साहसी और बुद्धिमान जनता ने अपने संयुक्त प्रयासों से एक शानदार और ज्योतिर्मय संस्कृति का सृजन किया, तथा समूची मानवजाति के लिये भारी योगदान भी किया। यह उन गिनी-चुनी सभ्यताओं में से एक है जिन्होंने प्राचीन काल में अपनी स्वतन्त्र लेखन पद्धति का विकास किया। अन्य सभ्यताओं के नाम हैं - [प्राचीन भारत] [सिन्धु घाटी सभ्यता], मेसोपोटामिया की सभ्यता, [मिस्र] और [दक्षिण अमेरिका] की [माया सभ्यता]। चीनी लिपि अब भी चीन, जापान के साथ-साथ आंशिक रूप से कोरिया तथा वियतनाम में प्रयुक्त होती है।
पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर चीन में मानव बसासत लगभग साढ़े बाईस लाख वर्ष पुराना है।
पहले का चीन
[संपादित करें]श़िया राजवंश का अस्तित्व एक लोककथा लगता था पर हेनान में पुरातात्विक खुदाई के बाद इसके अस्तित्व की सत्यता सामने आई। प्रथम प्रत्यक्ष राजवंश था - शांग राजवंश, जो पूर्वी चीन में १८वीं से १२वीं सदी इसा पूर्व में पीली नदी के किनारे बस गए। १२वीं सदी ईसा पूर्व में पश्चिम से झाऊ शासकों ने इनपर आक्रमण किया और इनके क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। इन्होंने ५वीं सदी ईसा पूर्व तक राज किया। इसके बाद चीन के छोटे राज्य आपसी संघर्षों में भिड़ गए। २२१ ईसा पूर्व में किन राजाओं ने चीन का प्रथम बार एकीकरण किया। इन्होंने राजा का कार्यालय स्थापित किया और चीनी भाषा का मानकीकरण किया। २२० से २०६ ईसा पूर्व तक हान राजवंश के शासकों ने चीन पर राज किया और चीन की संस्कृति पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। यह प्रभाव अब तक विद्यमान है। हानों के पतन के बाद चीन में फिर से अराजकता का दौर गया। सुई राजवंश ने ५८० ईस्वी में चीन का एकीकरण किया जिसके कुछ ही वर्षों बाद (६१४ ई.) इस राजवंश का पतन हो गया।
मध्यकालीन चीन
[संपादित करें]फिर थांग और सोंग राजवंश के शासन के दौरान चीन की संस्कृति और विज्ञान अपने चरम पर पहुंच गए। सातवीं से बारहवीं सदी तक चीन विश्व का सबसे सुसंस्कृत देश बन गया। १२७१ में मंगोल सरदार कुबलय खां ने युआन राजवंश की स्थापना की जिसने १२७९ तक सोंग वंश को सत्ता से हटाकर अपना अधिपत्य स्थापित किया। एक किसान ने १३६८ में मंगोलों को भगा दिया और मिंग राजवंश की स्थापना की जो १६६४ तक चला। मंचू लोगों के द्वारा स्थापित क्विंग राजवंश ने चीन पर १९११ तक राज किया जो चीन का अन्तिम राजवंश था।
आधुनिक चीन
[संपादित करें]युद्ध कला में मध्य एशियाई देशों से आगे निकल जाने के कारण चीन ने मध्य एशिया पर अपना प्रभुत्व जमा लिया, पर साथ ही साथ वह यूरोपीय शक्तियों के समक्ष क्षीण पड़ने लगा। चीन शेष विश्व के प्रति सतर्क हुआ और उसने यूरोपीय देशों के साथ व्यापार का रास्ता खोल दिया। ब्रिटिश, भारत तथा जापान के साथ हुए युद्धों तथा गृहयुद्धो ने क्विंग राजवंश को कमजोर कर डाला। अंततः १९१२ में चीन में गणतन्त्र की स्थापना हुई।
भूगोल
[संपादित करें]चीन क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है। इतना विशाल भूभाग होने के कारण, देश के भीतर विविध भूप्रकार और मौसम क्षेत्र पाए जाते हैं। पूर्व में, पीला सागर और पूर्वी चीन सागर से लगते जलोढ़ मैदान हैं। दक्षिण चीन सागर से लगता तटीय क्षेत्र पर्वतीय भूभाग वाला है और दक्षिण चीन क्षेत्र पहाड़ियों और टीलों से सघन है। मध्य पूर्व में नदीमुख-भूमि क्षेत्र (डेल्टा) है जो दो नदियों पीली नदी और यांग्त्ज़े से मिलकर बना है। अन्य प्रमुख नदियाँ हैं पर्ल, मेकॉन्ग, ब्रह्मपुत्र, अमूर, हुआई हे और श़ी जीयांग।
पश्चिम में हिमालय पर्वत श्रृंखला है जो चीन की भारत, भूटान और नेपाल के साथ प्राकृतिक सीमा बनाती है। इसके साथ-साथ पठार और निर्जलीय भूदृश्य भी हैं जैसे तकला-मकन और गोबी मरुस्थल। सूखे और अत्यधिक कृषि के कारण बसन्त की अवधि में धूल भरे तूफ़ान सामान्य हो गए हैं। गोबी मरुस्थल का फैलाव भी इन तूफानों का एक कारण है और इससे उठने वाले तूफान उत्तरपूर्वी चीन, कोरिया और जापान तक को प्रभावित करते हैं।
जलवायु
[संपादित करें]चीन की जलवायु मुख्य रूप से शुष्क मौसम और अतिवर्षा मॉनसून के प्रभुत्व वाली है, जिसके कारण सर्दियों और गर्मियों के तापमान में अन्तर आता है। सर्दियों में, उच्च अक्षांश क्षेत्रों से आ रही हवाएं ठण्डी और शुष्क होती हैं; जबकि गर्मियों में, निम्न अक्षांशों के समुद्री क्षेत्रों से आने वाली दक्षिणी हवाएं गर्म और आद्र होती हैं। देश के विशाल भूभाग और जटिल स्थलाकृति के कारण चीन के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की जलवायु में बहुत परिवर्तन आता है।
जैव विविधता
[संपादित करें]विश्व के सत्रह अत्यधिक-विविध देशों में से एक, चीन विश्व के दो प्रमुख जैवक्षेत्रों में से एक, विवर्णआर्कटिक और हिन्दोमालय में निहित है। विवर्णअर्कटिक अंचल में पाए जाने वाले स्थनपाई हैं घोड़े, ऊँट, टपीर और ज़ेब्रा। हिन्दोमालय क्षेत्र की प्रजातियाँ हैं तेन्दुआ बिल्ली, बम्बू चूहा, ट्रीश्रौ और विभिन्न प्रकार के बन्दर और वानर कुछ प्राकृतिक फैलाव और प्रवास के कारण दोनों क्षेत्रों में अतिच्छादन पाया जाता है और हिरण या मृग, भालू, भेड़िए, सुअर और मूषक सभी विविध मौसमी और भूवैज्ञानिक वातावरणों में पाए जाते हैं। प्रसिद्ध विशाल पाण्डा चांग जियांग के सीमित क्षेत्र में पाया जाता है। लुप्तप्राय प्रजातियों का व्यापार एक सतत समस्या है, हालांकि इस प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगाने सम्बन्धी कानून हैं।
चीन में विभिन्न वन प्रकार पाए जाते हैं। दोनों उत्तरपूर्व और उत्तरपश्चिम फैलावों में पर्वतीय और ठण्डे शंकुधारी वन हैं, जो जानवरों की प्रजातियों जैसे मूस और एशियाई काले भालू के अतिरिक्त १२० प्रकार के पक्षियों का घर हैं। नम शंकुवृक्ष वनों में निचले स्थानों पर बाँस की झाड़ियाँ पाई जाती हैं जो जुनिपर और यू के पर्वतीय स्थानों पर बुरुंश के वनों द्वारा प्रतिस्थाप्ति हो जाते हैं। उपोष्णकटिबन्धिय वन, जो मध्य और दक्षिणी चीन में बहुलता से उपलब्ध हैं, १,४६,००० प्रकार की वनस्पतियों का घर हैं। उष्णकटिबन्धिय वर्षावन और मौसमी वर्षावन, जो हालांकि यून्नान और हैनान द्वीप पर सीमित हैं, पर वास्तव में चीन में पाए जाने वाले पौधों और पशुओं की प्रजातियों का एक-चौथाई हैं।
पर्यावरण
[संपादित करें]चीन के कुछ प्रासंगिक पर्यावरण नियम हैं: १९७९ का पर्यावरण संरक्षण कानून, जो मोटे तौर पर अमेरिकी कानून पर प्रतिदर्शित है। लेकिन पर्यावरण ह्रास जारी है। यद्यपि नियम बहुत कड़े हैं, पर उनकी आर्थिक विकास के इच्छुक स्थानीय समुदायों द्वारा बहुधा अनदेखी की जाती है। कानून के वारह वर्षों के बाद भी केवल एक चीनी नगर ने अपने जल निर्वहन को साफ़ करने का प्रयास किया है।
चीन अपनी समृद्धि का मूल्य पर्यावरण क्षति के रूप में भी चुका रहा है। अग्रणी चीनी पर्यावरण प्रचारक मा जून ने चेताया है कि जल प्रदूषण चीन के लिए सबसे गम्भीर खतरों में से एक है। जल संसाधन मन्त्रालय के अनुसार, लगभग ३० करोड़ चीनी असुरक्षित पानी पी रहे हैं। यह जल की कमी के संकट को और अधिक दबावी बना देता है, जबकि चीन ६०० में से ४०० नगर जल की कमी से जूझ रहे हैं।
स्वच्छ प्रौद्योगिकी में २००९ में ३४.५ अरब $ के निवेश के साथ, चीन विश्व का अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में निवेश करने वाला अग्रणी निवेशक है। चीन किसी भी अन्य देश की तुलना में सौर पैनलों और पवन टर्बाइनों का अधिक उत्पादन करता है।
समय क्षेत्र
[संपादित करें]चीन एक बहुत विशालाकार देश है जो पूर्व से पश्चिम में ५,००० किलोमीटर में फैला हुआ है लेकिन फिर भी देश में केवल एक ही समय क्षेत्र है जो यूटीसी से ८ घण्टे आगे हैं। चीन के विशाल आकार को देखते हुए यहाँ कम से कम चार समय क्षेत्र होने चाहिए लेकिन इतने विशालाकर देश में एक ही समय क्षेत्र होने के कारण जब सुदूर पूर्व में शाम के ५ बज रहे होते हैं तब सुदूर पश्चिम में समय दोपहर १ बजे होना चाहिए। लेकिन पूरे देश में एक ही समय क्षेत्र होने के कारण, जिसमें पूर्वी समय क्षेत्र को प्राथमिकता दी जाती है, पश्चिमी क्षेत्र के लोगों को दिनी प्रकाश का कम समय मिल पाता है जिसके कारण देश का पश्चिमी भाग, पूर्वी भाग की तुलना में पिछड़ा है।
राजनीति
[संपादित करें]चीन में राजनैतिक ढाँचा इस प्रकार है: सबसे ऊपर चीनी साम्यवादी दल और फिर सेना और सरकार। चीन का राष्ट्रप्रमुख राष्ट्रपति होता है, जबकि दल का नेता उसका आम सचिव होता है और चीनी मुक्ति सेना का मुखिया केन्द्रीय सैन्य आयोग का अध्यक्ष होता है। वर्तमान में चीनी जनवादी गणराज्य के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हैं, जो हू जिन्ताओ के उत्तराधिकारी हैं। शी जिनपिंग तीनों पदों के प्रमुख भी हैं। तीनों पदों का एक ही मुखिया होने के पीछे कारण है सत्ता संघर्ष को टालना - जैसा पहले हुआ करता था। राष्ट्रपति के प्राधिकरण अधीन चीन की राज्य परिषद है, जो चीन की सरकार है। सरकार के मुखिया वर्तमान में ली केकियंग हैं, जो परिवर्ती उपमन्त्रियों के मन्त्रीमण्डल के मुखिया हैं, जिसमें वर्तमान में चार सदस्य हैं, इसके अतिरिक्त अन्य बहुत से मन्त्रालय भी उनके अधीन हैं। यद्यपि राष्ट्रपति और राज्य परिषद कार्यकारी सभा बनाते हैं लेकिन चीनी जनवादी गणराज्य की सर्वोच्च सत्ता चीनी जनवादी गणराज्य की जनसभा है, जिसे चीनी सन्सद भी कह सकते हैं जिसमें तीन हज़ार प्रतिनिधि हैं और जो वर्ष में एक बार मिलते हैं।
चीनी जनवादी गणराज्य की कोई स्वतन्त्र न्यायपालिका नहीं है। हालांकि १९७० के उत्तरकाल से मुखयतः महाद्विपीय यूरोपीय न्याय प्रणाली के आधार पर एक प्रभावशाली विधिक प्रणाली विकसित करने का प्रयास किया गया लेकिन न्यायपालिक साम्यवादी दल के अधीन ही है। इस प्रलाणी के दो अपवाद हैं हांग कांग और मकाउ, जहाँ क्रमशः ब्रिटिश और पुर्तगाली न्यायपालिका व्यवस्था है।
चीनी साम्यवादी दल के साथ-साथ, चीन में आठ अन्य राजनैतिक दलों को भी सक्रिय रहने की अनुमति है लेकिन इन दलों को चीनी साम्यवादी दल की मुख्यता को स्वीकृत करना होता है और इनको दीर्घकालिक सहअस्तितव के सिद्धान्त के अनुसार केवल परामर्शदाता की भूमिका ही निभानी होती है। हांग कांह में और प्रवासी चीनी समुदायो के बहुत से सक्रियतावादी समूहों द्वारा बहुदलीय व्यवस्था के लिए दबाव बनाए जाने के बाद भी साम्यवादी दल इन परिवर्तनों के प्रति सदैव उदासीन बना रहा है। १९८० से स्थानीय क्षेत्रों में चुनाव होते रहें है जिनमें ग्राम मुखिया चुना जाता है। इस प्रकार के चुनाव हाल ही में नगरीय क्षेत्रों में भी विस्तारित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त दल के पीपल्स कांग्रेस के लिए भी नगरपालिका और जिला स्तर पर चुनाव हुए हैं। हालांकि नामांकन प्रणाली के कारण, जो आमतौर पर दल के अधीन है, चुनावी व्यवस्था में साम्यवादी दल की मुख्य भूमिका है। हांग कांग और मकाउ में चुनाव तो होते हैं लेकिन विधायिका के एक तिहाई सदस्यों को चुनने के लिए।
प्रशासनिक विभाग
[संपादित करें]चीन की सरकार के नियंत्रण में कुल ३३ प्रशासनिक विभाग हैं और इसके अतिरिक्त यह ताइवान को अपना एक प्रान्त मानता है, पर इसपर उसका नियंत्रण नहीं है।
- प्रान्त
चीन के कुल २३ प्रान्त हैं। इसके नाम हैं - अंहुई, फ़ुजियान, गांशु, ग्वांगडोंग, गुईझोउ, हेइनान, हेबेइ, हुनान, जिआंग्शु, ज्यांगशी, जिलिन, लियाओनिंग, किंगहाई, शांक्झी, शांगदोंग, शांक्षी, शिचुआन, ताईवान, युन्नान, झेज़ियांग
- स्वायत्त क्षेत्र
भीतरी मंगोलिया, ग्वांग्शि, निंग्स्या, बोड स्वायत्त क्षेत्र, शिंजांग स्वायत्त क्षेत्र, तिब्बत
- नगरपालिका
बीजिंग, शांघाई, चोंगिंग, त्यांजिन
- विशेष प्रशासनिक क्षेत्र
सेना
[संपादित करें]तेईस लाख सक्रिय चीनी मुक्ति सेना विश्व की सबसे बड़ी पदवीबल सेना है। चीमुसे के अन्तर्गत थलसेना, नौसेना, वायुसेना और रणनीतिक नाभिकीय बल सम्मिलित हैं। देश का आधिकारिक रक्षा व्यय 132 अरब अमेरिकी $(808.2 अरब युआन, २०१४ के लिए प्रस्तावित) है। 2013 में चीन का रक्षा बजट लगभग 118 अरब डॉलर था, जो 2012 के बजट से 10.7 प्रतिशत अधिक था। तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो चीन के सबसे बड़े पड़ोसी भारत का 2014 का रक्षा बजट 36 अरब डॉलर है।[4] हालांकि अमेरिका का दावा है कि चीन अपने वास्तविक सैन्य व्यय को गुप्त रखता है। संराअमेरिका की एक संस्था का अनुमान है कि 2008 का आधिकारिक चीनी रक्षा व्यय 70 अरब अमेरिकी $ था किंतु वास्तविक व्यय 105 से 150 अरब के बीच में कहीं था।[उद्धरण चाहिए]
चीन के पास नाभिकिय अस्त्र और प्रक्षेपण प्रणालियां हैं और इसे एक प्रमुख क्षेत्रीय महाशक्ति और एक उभरती हुई वैश्विक महाशक्ति स्वीकार किया जाता है। चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एकमात्र स्थाई सदस्य है जिसके पास सीमित शक्ति प्रक्षेपण क्षमताएं हैं, जिसके कारण यह विदेशी सैन्य सम्बन्ध स्थापित कर रहा है जिसकी स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल्स (सैनिक घेरेबन्दी) से तुलना की गई है।
विदेश नीति
[संपादित करें]चीन के विश्व के सभी प्रमुख देशों के साथ राजनयिक सम्बन्ध हैं। स्वीडन ९ मई, १९५० को चीन के साथ राजनयिक सम्बन्ध स्थापित करने वाला पहला पश्चिमी देश बना। १०७१ में, चीजग, चीनी गणराज्य को प्रतिस्थापित करते हुए चीन का प्रतिनिधित्व करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य और पाँच स्थाई सदस्यों में से एक बना। चीजग गुट निरपेक्ष आन्दोलन का भी अग्रनी और भूतपूर्व सदस्य था और अभी भी स्वयं को विकासशील देशों का पैरवीकार समझता है।
एक-चीन नीति की अपनी व्याख्या के अन्तर्गत, चीजग ने राजनयिक सम्बन्ध स्थापित करने से पूर्व यह शर्त अनिवार्य कर दी है कि वह देश ताइवान के ऊपर उसका प्रभुत्व माने और चीनी गणराज्य की सरकार से कोई भी आधिकारिक सम्बन्ध न रखे; और जब-जब किसी भी देश ने राजनयिक सम्बन्ध बनाने और ताइवान को हथियार बेचने के लक्षण प्रकट किए हैं तब-तब चीन ने बहुत उग्र रूप में उसका विरोध किया है। चीजग, ताइवान की स्वतन्त्रता से समर्थक अधिकारियों, जैसे ली तेंग-हुइ और चेन शुइ-बियान और अन्य अलगाववादी अग्रकों जैसे दलाई लामा और रेनिया कदीर की विदेश यात्रा को भाव देने का भी विरोध किया है।
अर्थव्यवस्था
[संपादित करें]१९४९ में अपनी स्थापना से १९७८ के उत्तरकाल तक, चीनी जनवादी गणराज्य एक सोवियत-शैली के समान एक केन्द्रीय नियोजित अर्थव्यस्था थी। निजी व्यापार और पूंजीवाद अनुपस्थित थे। देश के एक आधुनिक, औद्योगिक साम्यवादी समाज बनाने के लिए माओत्से तुंग ने प्रगल्भ दीर्घ छलांग की स्थापना की थी। माओ की मृत्यु और सांस्कृतिक क्रान्ति के अन्त के बाद, देंग जियाओपिंग और नए चीनी नेतृत्व में अर्थव्यवस्था में सुधार और एक दलीय शासन के अधीन एक बाज़ार-उन्मुख मिश्रित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सुधार आरम्भ किए। १९७८ से, चीन और जापान के राजनयिक सम्बन्ध सामान्य रहे हैं और चीन ने जापान से सुलभ ऋण लेने का निर्णय लिया। १९७८ से जापान, चीन में प्रथम विदेशी ऋणदाता रहा है। चीन की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से निजी सम्पत्ति के स्वामित्व पर आधारित एक बाज़ार अर्थव्यवस्था के रूप में चित्रित है।[5] कृषि का सामूहीकरण हटा दिया गया और कृषिभूमि का उत्पादकता बढ़ाने के लिए निजीकरण किया गया।
विस्तृत विविधता वाले लघु उद्यमों को प्रोत्साहित किया गया, जबकि सरकार ने मूल्य नियन्त्रण और विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया। विदेश व्यापार पर विकास के एक प्रमुख वाहन के समान ध्यान दिया गया, जो विशेष आर्थिक क्षेत्रों (विआक्षे) के निर्माण की ओर उन्मुख हुआ और शेन्ज़ेन (हांगकांग के निकट) में प्रथम और बाद में अन्य चीनी नगरों शहरों में विआक्षे का निर्माण हुआ। राज्य के स्वामित्व वाले अक्षम उद्यमों (रास्वाउ) का पश्चिमी शैली की प्रबन्धन प्रणाली के आधार पर पुनर्गठन किया गया और लाभहीन वाले बन्द कर दिए गए, जिसके कारण बेरोज़गारी में भी वृद्धि हुई।
१९७८ में आर्थिक उदारीकरण प्रारम्भ होने से लेकर अब तक, चीजग की निवेश-और-निर्यात-आधारित[6] अर्थव्यवस्था आकार में ९० गुणा बढ़ गई है और विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।[7] संज्ञात्मक सकल घरेलू उत्पाद के आधार पर यह अब दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसकी संज्ञात्मक जीडीपी ३४.०६ खरब यूआन (४.९९ खरब अमेरिकी $) है, यद्यपि इसकी प्रति व्यक्ति आय अभी भी ३,७०० अमेरिकी $ ही है जो चीजग को कम से कम सौ देशों से पीछे रखता है।[8] प्राथमिक, गौण और तृतीयक उद्योगों का २००९ में अर्थव्यवस्था में क्रमशः १०.६%, ४६.८% और ४२.६% योगदान था। क्रय शक्ति के आधार पर भी चीजग ९.०५ खरब $ के साथ विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जो प्रति व्यक्ति ६,८०० बैठता है।[9] चीजग ने पिछले एक दशक में औसतन १०.३% की दर से उन्नति की है जबकि अमेरिका के लिए यह आँकड़ा १.८% है। स्टैण्डर्ड चार्टेड का अनुमान है कि वृद्धि दर अगले दशक के मध्य तक ८% रह जाएगी और २०२७ से २०३० के मध्य ५% तक रहेगी।[10]
नवम्बर २०१० में जापान की सरकार ने कहा कि चीन, जो विश्व का सबसे बड़ा मोबाइल फ़ोन, कम्प्यूटर और वाहन निर्माता है, में उत्पादन में सितम्बर २०१० से आरम्भ तिमाही में जापान को पछाड़ चुका है। चीन की अर्थव्यवस्था ने २००५ में ब्रिटेन और २००७ में जर्मनी की अर्थव्यवस्थाओं को पछाड़ दिया था।[11]
चीजन विश्व का सर्वाधिक पधारा जाने वाला देश है जहाँ २००९ में ५ करोड़ ९ लाख अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटक पधारे थे। यह विश्व व्यापार संगठन (विव्यास) का सदस्य है और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी व्यापारिक शक्ति है जिसका कुल अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार २.२१ खरब अमेरिकी $ (१.२० खरब निर्यात (#१) और १.०१ खरब आयात (#२)) था। इसका विदेशी मुद्रा भण्डार २.४ खरब $ है जो विश्व में बड़े अन्तर से सर्वाधिक है। चीजग एक अनुमान के अनुसार १.६ खरब $ की अमेरिकी प्रतिभूतियों का स्वामी है। चीजग, ८०१.५ अरब $ के राजकोषीय (ट्रेज़री) बॉण्ड के साथ, संराअमेरिका के सार्वजनिक ऋण का सबसे बड़ा विदेशी धारक है। २००८ में चीजग ने ९२.४ अरब $ का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (प्रविनि) आकर्षित किया जो विश्व में तीसरा सर्वाधिक था यह और स्वयं चीजग ने भी विदेशो में ५२.२ अरब $ निवेश किए जो विश्व में छठा सर्वाधिक था।[12]
विज्ञान और प्रौद्योगिकी
[संपादित करें]चीन-सोवियत अलगाव के बाद, चीन ने स्वयं के नाभिकीय हथियार और प्रक्षेपण प्रणालियाँ विकसित करनी आरम्भ की और १९६1 में अपना प्रथम नाभिकीय परिक्षण लोप नुर में किया। इसके पश्चात चीन ने अपना उपग्रह प्रक्षेपण कार्यक्रम भी १९७० में आरम्भ किया और दोंग फांग होंग १ यान अन्तरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। इस प्रक्षेपण ने चीन को ऐसा करने वाला पाँचवा राष्ट्र बना दिया।
१९९२ में, शेन्झोउ नामक मानवसहित अन्तरिक्ष कार्यक्रम आरम्भ किया गया। चार मानवरहित परिक्षणों के पश्चात, शेन्झोउ पाँच १५ अक्टूबर, २००३ को लॉंग मार्च टूएफ़ प्रक्षेपण वाहन का उपयोग कर चीनी अन्तरिक्षयात्री यांग लिवेइ सहित प्रक्षेपित किया गया और ऐसा करने वाला चीजग क्रमशः सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद विश्व का तीसरा देश बना जिसने घरेलू प्रौद्योगिकी के बलबूते पर मानवसहित अन्तरिक्ष यान भेजा। अक्टूबर २००५ में चीन ने दूसरा मानवसहित अभियान भी पूरा किया जब शेन्झोउ छः दो अन्तरिक्षयात्रियों को लेकर प्रक्षेपित किया गया। २००८ में चीन ने सफलतापूर्वक शेन्झोउ सात अभियान पूरा किया और अन्तरिक्ष-चहलकदमी करने वाला चीन तीसरा देश बना। २००७ में चीन ने चन्द्र गवेषण के लिए चैंग'ई नामक अन्तरिक्षयान भेजा, जिसका नाम चीन की प्राचीन चन्द्रदेवी के नाम पर था, जो चीनी चन्द्र गवेषण कार्यक्रम का भाग था। चीन की भविष्य में अन्तरिक्ष स्टेशन बनाने और मंगल ग्रह पर भी मानवसहित अभियान भेजने की योजना है।
चीन का शोध और विकास व्यय विश्व में दूसरा सर्वाधिक है और २००६ में चीन ने शोध और विकास पर १३६ अरब $ खर्च किए जो २००५ की तुलना में २०% अधिक था। चीनी सरकार नवोन्मेष और वित्तीय और कर प्रणालियों में सुधार करके वृह्द जन जागरुकता के द्वारा शोध और विकास पर निरन्तर बल देती रही है ताकि अत्याधुनिक उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जा सके।
२००६ में राष्ट्रपति हू जिन्ताओ ने चीन को विनिर्माण-आधारित अर्थव्यवस्था से नवोन्मेष-आधारित अर्थव्यवस्था बनाने की बात कही और राष्ट्रीय जन कांग्रेस ने शोध निधि के लिए विशाल वृद्धि की। स्टेम सेल अनुसन्धान और जीन थेरेपी, जिसे पश्चिमी देशों में विवादास्पद माना जाता है, पर चीन में न्यून विनियमन है। चीन में अनुमानित ९,२६,००० शोधकर्ता हैं, जो संराअमेरिका के १३ लाख के बाद विश्व में सर्वाधिक है।
चीन बड़ी सक्रियता से अपने सॉफ़्टवेयर, अर्धचालक (सेमीकण्डक्टर) और ऊर्जा उद्योगों, जिनमें अक्षय ऊर्जाएँ जैसे जल, पवन और सौर ऊर्जा, सम्मिलित हैं का भी विकास कर रहा है। कोयला जलाने वाले ऊर्जा संयन्त्रों से निकलने वाले धुएँ को कम करने के लिए, चीन, कंकड़ शय्या नाभिकीय रिएक्टर प्रस्तरण, जो ठण्डे और सुरक्षित हैं, में भी अग्रणी है और हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के लिए भी जिसकी सम्भावना है।
२०१० में चीन ने तियान्हे-१ए विकसित किया, जो विश्व का सबसे तेज़ सूपरकम्प्यूटर है और वर्तमान में तियान्जिन के राष्ट्रीय सूपरकम्प्यूटिंग केन्द्र में रखा हुआ है। इस प्रणाली की तेल गवेषण के लिए भूकम्प-सम्बन्धी आँकड़ो, बायो-मेडिकल कम्प्यूटिंग और अन्तरिक्षयानों के अभिकल्प के लिए प्रयुक्त किए जाने की सम्भावना है। चीन के तियान्हे १ए के अतिरिक्त, चीन के पास नेबुले भी है और यह विश्व के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध शीर्ष के दस सूपरकम्प्यूटरों में से एक है।
संचार
[संपादित करें]वर्तमान में चीन में सर्वाधिक सेलफ़ोन प्रयोक्ता हैं और यह संख्या जुलाई २०१० में ८० करोड़ थी। चीन में अन्तरजाल और ब्रॉडबैण्ड उपभोक्ताओं की संख्या भी विश्व में सर्वाधिक है।
चीन टेलीकॉम और चीन यूनिकॉम दो भीमकाय ब्रॉडबैण्ड सेवा प्रदाता हैं, जिनके पास विश्व ब्रॉडबैण्ड उपभोक्ताओं का २०% भाग है, जबकि पश्चातवर्ती दस सबसे बड़े ब्रॉडबैण्ड सेवा प्रदाताओं के पास विश्व के ३९% प्रतिशत उपभोक्ता हैं। चीन टेलीकॉम के पास ५.५ करोड़ ब्रॉडबैण्ड उपभोक्ता हैं और चीन यूनिकॉम जिसके पास ४ करोड़ उपभोक्ता है जबकि तीसरे सबसे बड़े प्रदाता एनटीटी के पास केवल १.८ करोड़ उपभोक्ता हैं। आने वाले वर्षों में इन शीर्ष के दो संचालकों और विश्व के अन्य ब्रॉडबैण्ड सेवा प्रदाताओं के बीच का अन्तर बढ़ता ही जाएगा, क्योंकि जहाँ चीन का ब्रॉडबैण्ड उपभोक्ता बाज़ार फैल रहा है वहीं अन्य आईएसपी पूर्णतः विकसित बाज़ारों में संचालन कर रहे हैं, जहाँ पहले से ही ब्रॉडबैण्ड फैलाव है और उपभोक्ता वृद्धि दर तेज़ी से कम हो रही है।
परिवहन
[संपादित करें]मुख्यभूमि चीन में १९९० के उत्तरकाल से परिवहन में बहुत तीव्र सुधार हुए हैं। चीन की सरकार का प्रयास है कि पूरे देश को द्रुतगामी मार्गों के तन्त्र द्वारा जोड़ दिया जाए। इस तन्त्र की कुल लम्बाई २००७ के अन्त तक ५३,६०० किमी थी, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद विश्व में सर्वाधिक है, जबकि १९८८ में यह लम्बाई कुल १,००० किमी थी।
वर्ष २००९ से चीन विश्व का सबसे बड़ा वाहन निर्माता है और यह प्रतिवर्ष किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक वाहनों का निर्मान कर रहा है।
चीन में वायु परिवहन में भी बहुत सुधार हुए हैं, लेकिन वायुयात्रा अभी भी बहुत से चीनीयों की पहुँच से दूर है। १९७८ से २००५ के दौरान चीन में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या २३ लाख से बढ़कर १३ करोड़ ८० लाख हो हई है। लम्बी दूरी की यात्रा अभी भी रेल और बस परिवहन पर निर्भर है।
चीन के रेल परिवहन में भी बहुत तीव्र सुधार हुए हैं और इस समय चीन का उच्चगति रेल तन्त्र ७,०५० किमी लम्बा है जो विश्व में सर्वाधिक है। चीनी सरकार इस तन्त्र को और बढ़ाने की योजना बना रही है। रेल परिवहन सरकार के अधीन है।
चीन के बड़े नगरों में भूमिगत रेलमार्ग हैं। शंघाई, जिसके पास विश्व के सबसे बड़े मेट्रों मार्गों में से एक है, में विश्व की सबसे तीव्रगामि रेलगाड़ी भी है, जो नगर केन्द्र को पुडोंग अन्तर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से जोड़ती है। यह रेलसेवा पारम्परिक रेलमार्ग पर आधारित न होकर चुम्बकीय शक्ति का उपयोग कर चलती है जिसे मैगलेव कहा जाता है।
जनसांख्यिकी
[संपादित करें]जुलाई २०१० की स्थिति तक, चीनी जनवादी गणराज्य की कुल जनसंख्या १,३३,८६,१२,९६८ है। २१% लोग १४ वर्ष या कम के हैं, ७१% १५ से ६४ वर्ष के बीच हैं और ८% ६५ वर्ष या ऊपर हैं। जनसंख्या वृद्धि दर २००६ में ०.६% थी।
चीन १.३ अरब की जनसंख्या को लेकर चीनी सरकार बहुत चिन्तित है और इस पर लगाम लगाने के लिए चीन की सरकार ने कड़ाई से परिवार नियोजन योजना लागू की जिसका मिश्रित परिणाम रहा। सरकार का उद्देश्य, केवल ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे और कुछ नस्त्लीय अल्पसंख्यकों को छोड़कर, प्रति परिवार एक बच्चा है। सरकार का उद्देश्य २१वीं सदी में जनसंख्या वृद्धि को सन्तुलित करना है, हालांकि कुछ अनुमानों के अनुसार २०५० तक चीन की जनसंख्या १.५ अरब तक होगी। इसलिए चीन के परिवार नियोजन मन्त्रालय ने इंगित किया है कि चीन अपनी एक-बच्चा नीति कम से कम २०२० तक जारी रखेगा।
नस्लीयता
[संपादित करें]चीजग आधिकारिक रूप से ५६ विभिन्न नस्लीय समूहों को मान्यता देता है, जिसमें सबसे बड़ा समूह हान चीनीयों का है, जो जनसंख्या का लगभग ९२% हैं। अन्य बड़े नस्लीय समूह हैं झुआंग (१.६ करोड़), मांचू (१ करोड़), हुई (९० लाख), मियाओ (८० लाख), उइघिर (७० लाख), यि (७० लाख), तूजिया (५७.५ लाख), मंगोल (५० लाख), तिब्बती (५० लाख), बूयेइ (३० लाख) और कोरियाई (२० लाख)।[13]
धर्म
[संपादित करें]मुख्यभूमि चीम में सीमित धार्मिक स्वतन्त्रता प्रदान की जाती है और केवल उन्हीं समुदायों के प्रति सहनशीलता बरती जाती है जो सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। आधिकारिक आँकड़े उपलब्ध न हो पाने के कारण धर्मानुयायीयों की सही संख्या बता पाना कठिन है, लेकिन यह माना जाता है कि पिछले २० वर्षों के दौरान धर्म का उत्थन देखा गया है। १९९८ के एडहियर्ण्ट.कॉम के अनुसार चीन की ५९% जनसंख्या अधार्मिकों की है। इसी दौरान २००७ के एक अन्य सर्वेक्षण के अनुसार चीन में ३० करोड़ (२३%) विश्वासी है जो सरकारी आँकड़े १० करोड़ से अधिक है।
सर्वेक्षणों के पश्चात भी अधिकांश लोग इस बात पर सहमत हैं कि पारम्परिक धर्म जैसे बौद्ध धर्म, ताओ धर्म और चीनी लोक धर्म बहुसंख्यक हैं। विभिन्न स्रोतो के अनुसार चीन मैं बौद्धों की संख्या ६६ करोड़ (~५०%) से १ अरब (~८०%) है जबकि ताओ धर्मियों की संख्या ४० करोड़ या लगभग ३०% है। लेकिन चूंकि एक व्यक्ति एक से अधिक धर्मों का पालन कर सकता है इसलिए चीन में बौद्धों, ताओं और चीनी लोक धर्मियों की सही संख्या बता पाना कठिन है।
चीन में ईसाई धर्म ७वीं सदी में तांग राजवंश के दौरान आया था। इसके पश्चात १३वीं सदी में फ़्रान्सिसकन मिशनरी आए, १६वीं सदी में जीज़ूइट और अन्ततः १९वीं सदी में प्रोटेस्टेण्ट आए और इस दौरान चीन में ईसाई धर्म ने अपनी जड़े सुदृढ़ कीं। अल्पसंख्यक धर्मों में ईसाई धर्म सबसे तेज़ी से फैला (विशेषकर पिछले २०० वर्षों में) और आज चीन में ईसाईयों की संख्या चार करोड़ से साढ़े पाँच करोड़ के बीच है जो लगभग ४% है, जबकि आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार चीम में एक करोड़ साठ लाख ईसाई हैं। कुछ अन्य स्रोतो का मानना है कि चीन में १३ करोड़ तक ईसाई हैं।
चीन में इस्लाम धर्म का आगमन ६५१ ईस्वी में हुआ था। मुसलमान चीन में व्यापार करने के लिए आए थे और सोंग राजवंश के दौरान उनका आयात-निर्यात उद्योग पर प्रभुत्व था। वर्तमान में चीन में मुसलमानों की संख्या दो से तीन करोड़ के बीच है जो कुल जनसंख्या का १.५ से २% है। चीन में मुसलमानों पर अत्यधिक तवजुब दी जाती है । वो हमेशा सरकार की नजरों में रहते है । मुसलमानों का नमाज़ अदा करना , मस्जिदों में नमाज पढ़ना स्कक्त मना ही है । इस्लामिक कट्टर वादी होने के कारण हमसे चीनी मुस्लिम , चीनी सैनकों द्वारा नज़र बंद रहता है ।
शिक्षा
[संपादित करें]१९८६ में, चीन ने प्रत्येक बच्चे को नौ वर्ष की अनिवार्य प्रारम्भिक शिक्षा देने का एक दीर्घावधि लक्ष्य निर्धारित किया। २००७ की स्थिति तक, चीन में ३,९६,५६७ प्रारम्भिक विद्यालय, ९४,११६ माध्यमिक विद्यालय और २,२३६ उच्च शिक्षा के संस्थान थे। फरवरी २००६ में सरकार में यह निर्णय लिया कि नौ वर्ष की शिक्षा बिल्कुल निशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी, जिसमें पाठ्यपुस्तकें और शुल्क प्रदान किए जाएंगे। चीन में निशुल्क शिक्षा पाठशाला से लेकर माध्यमिक विद्यालय तक होती है जो नौ वर्षों की होती है (आयु ६-१५); नगरी क्षेत्रों में लगभग सभी बच्चे उच्चतर विद्यालय की तीन वर्षों की शिक्षा भी जारी रखते हैं।
२००७ की स्थिति तक, १५ वर्ष से ऊपर के ९३.३% लोग साक्षर हैं।[14] चीन की युवा साक्षरता दर २००० में (आयु १५ से २४) ९८.९% है (पुरुष ९९.२% और महिलाएं ९८.५%) थी।[15] मार्च २००७ में चीन ने यह उद्घोषणा करी कि शिक्षा को राष्ट्रीय "सामरिक प्राथमिकता" बनाया जाएगा। राष्ट्रीय छात्रवृतियों के लिए आवण्टित बजट में अगले तीन वर्षों में तीन गुण की वृद्धि की जाएगी और २२३.५ अरब यूआन (२८.६५ अरब $) का अतिरिक्त फ़ण्ड भी केन्द्रीय सरकार द्वारा अगले पाँच वर्षों में उपलब्ध कराया जाएगा ताकी ग्रामीण क्षेत्रों में अनिवार्य शिक्षा को सुधारा जा सके।[16]
नगरीकरण
[संपादित करें]पिछले दशक में, चीन के नगर वार्षिक १०% की दर से फैले। वर्ष १९७८ से २००९ के मध्य चीन में नगरीकरण की दर १७.४% से बढ़कर ४६.८% हो गई है, जो मानव इतिहास में अभूतपूर्व है। लगभग १५ से २० करोड़ प्रवासी कर्मी नगरों में अंशकालिक रूप से कार्यरत हैं जो समय-समय पर अपनी कमाई के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में अपने घरों को लैट जाते हैं।
आज, चीनी जनवादी गणराज्य में दर्जनों ऐसे नगर हैं जिनकी स्थाई या दीर्घकालिक नागरिकों की संख्या १० लाख से अधिक है। इन नगरों में तीन वैश्विक नगर बीजिंग, शंघाई और हांगकांग भी सम्मिलित हैं।
नीचे दिए गए आँकड़े २००८ की जनगणना के हैं और इसमें नगर प्रशासनिक सीमा के भीतर के निवासियों की संख्या दी गई है और इसमें केवल स्थाई निवासियों की संख्या सम्मिलित है, क्योंकि प्रवासी निवासियों की सही संख्या आ अनुमान लगाना कठिन है।
स्वास्थ्य
[संपादित करें]
भाषा
[संपादित करें]चीनी भाषा विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। दरसल चीन के विभिन्न लोगों द्वारा जो भाषाएँ बोली जाती हैं उन्हें सामूहिक रूप से चीनी भाषा कहा जाता है। चीन की प्रमुख और राष्ट्रव्यापी भाषा चीनी मन्दारिन है जो देश की आधिकारिक भाषा भी है। कुल मिलाकर चीन के ७५% लोग यह भाषा बोलते हैं।[17] इसके अतिरिक्त यह ताइवान और सिंगापुर में भी आधिकारिक भाषा है। हांगकांग और मकाउ में कण्टोनी भाषा आधिकारिक है। इसके अतिरिक्त क्रमशः हांगकांग में अंग्रेज़ी और मकाउ में पुर्तगाली भाषाएँ भी आधिकारिक हैं। इसके अतिरिक्त चीन में बहुत सी भाषाएँ इसके नस्लीय समूहों द्वारा बोली जाती हैं जिन्हें झोंग्गुओ यूवेन कहा जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ है "चीन की बोली और लेखन" जिसमें मुख्यतः छः भाषा परिवारों की भाषाएँ हैं।
संस्कृति
[संपादित करें]
भोजन
[संपादित करें]पारंपरिक भोजन, मांसाहार जिसमे समुद्री जीव, फास्टफुड सम्मिलित हैं।
खेलकूद
[संपादित करें]चीन की खेलकूद संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन में से एक है। इस बात के भी प्रमाण हैं कि फुट्बॉल चीन में प्राचीन काल में भी खेला जाता था। फुट्बॉल के अतिरिक्त देश में अन्य लोकप्रिय खेल हैं मार्शल आर्ट्स, टेबल टेनिस, बैडमिण्टन, तैराकी, बॉस्केटबॉल और स्नूकर। बोर्ड खेल जैसे वेइकी और श़ीयंगकी (चीनी चैस) और हाल ही में चैस भी आमतौर पर खेले जाते हैं और इनकी प्रतियोगिताएं आयोजित कराई जाती हैं।
शारीरिक चुस्ती पर चीनी संस्कृति में बहुत बल दिया जाता है। प्रातः कालीन व्यायाम एक आम क्रिया है और वृद्ध लोगों को पार्कों में किगोंग और ताइ ची चूआन खेलते हुए या छात्रों को विद्यालय परिसरों में स्ट्रेचिस करते हुए देखा जा सकता है।
युवा लोगों की बॉस्केटबॉल में भी गहन रुचि है, विशेषकर नगरीय क्षेत्रों में जहाँ पर खुले और हरे क्षेत्रों का अभाव है। एनबीए के चीन में बहुत सेयुवा प्रशंसक हैं और याओ मिंग बहुतों के आदर्श हैं।
८ से २४ अगस्त, २००८ के बीच चीन में आयोजित २००८ ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में चीन सर्वाधिक स्वर्ण जीतकर पदक तालिका में प्रथम स्थान पर रहा।
चित्र दीर्घा
[संपादित करें]-
चीनी भोजन
-
जनता का विशाल हॉल
-
शंघाई शेयर बाज़ार भवन
-
उत्तर चीन में एक घासभूमि
-
पूर्वी चीन के खेत
-
तिब्बत का पठार
-
हैनान, दक्षिण चीन सागर तट पर
-
लि नाड्डी
-
लॉंगशेंग के चावल के सीढ़ीदार खेट
-
स्वर्ग का मन्दिर
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ यह नाम पिनयिन में लिखित Zhōnghuá Rénmín Gònghéguó का देवनागरी लिप्यन्तरण हैं। यदि आप सही लिप्यन्तरण जानते हैं तो कृपया इसे देवनागरी में लिप्यन्तरित कर दें।
- ↑ https://www.aajtak.in/amp/world/story/li-qiang-close-to-president-xi-jinping-becomes-the-new-prime-minister-of-china-ntc-1652348-2023-03-11
- ↑ पाकिस्तान के साथ चीन की सीमा भारत द्वारा विवादित है, जो पूरे कश्मीर को अपने क्षेत्र के रूप में दावा करता है।
- ↑ "चीन ने अपने डिफेंस बजट में की 12.2 फीसदी की बढ़ोतरी". नवभारत टाईम्स. 5 मार्च 2014. अभिगमन तिथि 5 मार्च 2014.[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "China is already a market economy – Long Yongtu, Secretary General of Boao Forum for Asia" Archived 2009-09-09 at the वेबैक मशीन English.eastday.com अभिगमन १४ जुलाई २००९
- ↑ "China must be cautious in raising consumption" Archived 2008-12-19 at the वेबैक मशीन China Daily अभिगमन ८ फ़रवरी २००९
- ↑ "China's gross domestic product (GDP) growth". Archived 2011-03-04 at the वेबैक मशीन Chinability. अभिगमन १६ अक्टूबर २००८.
- ↑ "China’s GDP: Still Number Three - China Real Time Report". Archived 2010-12-06 at the वेबैक मशीन Wall Street Journal. २ जुलाई २०१०. अभिगमन १६ अगस्त २०१०.
- ↑ World Economic Outlook Database Archived 2011-06-28 at the वेबैक मशीन International Monetary Fund (अक्टूबर 2010). अभिगमन ७ अक्टूबर २०१०
- ↑ "Bloomberg BusinessWeek (१४ नवम्बर २०१०) अभिगमन ३ जनवरी २०११।". मूल से 27 दिसंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जनवरी 2011.
- ↑ China to Exceed U.S. by 2020, Standard Chartered Says Archived 2010-12-27 at the वेबैक मशीन Bloomberg BusinessWeek (१४ नवम्बर २०१०) अभिगमन ३ जनवरी २०११।
- ↑ "On China's rapid growth in outward FDI". Archived 2010-12-03 at the वेबैक मशीन China Daily. ३ अगस्त २००९। अभिगमन १९ जुलाई २०१०।
- ↑ Taking the Deliberative in China Stein, Justin J (Spring 2003).
- ↑ HDRstats.undp.org Archived 2010-07-15 at the वेबैक मशीन (२००९) संरामावि
- ↑ ""Where And Who Are The World’s Illiterates: China" Archived 2006-07-21 at the वेबैक मशीन यूनेस्को
- ↑ ""Premier Wen announces hefty educational investment"". मूल से 14 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 मार्च 2011.
- ↑ "About Learning Mandarin with Berlitz". मूल से 15 फ़रवरी 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 दिसंबर 2010.
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- सरकार
- चीनी जनवादी गणराज्य की केन्द्रीय जनवादी सरकार (अंग्रेज़ी)
- अन्य
- चीन का इतिहास (गूगल पुस्तक)
- चीनी जन्वादी गणराज्य - गूगल खोज परिणाम