User:SinduriyaNanda
सिन्दुरिया बनिया ( Sinduriya Baniya )
हिन्दु धार्मिक मान्यता के वर्ण ब्यवस्था ( cast system ) के अनुरुप चार वर्ण ब्राह्मण ,क्षत्रीय,वैश्य और शुद्र , यिन्हि चारोमे से बैश्य वर्ण जिसको बनिया भि कहा जाता है । बैश्य(बनिया) वर्ण के अन्तर्गत पारम्परिक रुप से बैधिय पेशा (जडिबुटी के ब्यवसाय) को अपनाने वाले धोकरिया कायस्थ ने सिन्दुर के औषधिय गुण के कारण अपने ब्यवसाय मे सिन्दुर को सामिल कर लिया । फिर हिन्दु बहुसंख्यक समाज मे हिन्दु महिलावो से सिन्दुर के अधिक ब्यापार के कारण धोकरिया कायस्थ ने सिन्दुर के ब्यवयाय पर अधिक बल दिया इसप्रकार वे समाज मे सिन्दुर बेचने वाले ब्यापारी "सिन्दुरिया बनिया" के नाम से प्रसिद्ध हुवे । ईश समुदाय के लोग नाम के वाद लिखे जानेवाला टाइटल (surname) मे अधिकांश दास शब्द का प्रयोग करते है । लेकिन इस समुदाय के लोगो द्वारा अलग अलग जगह पर स्थान परिवर्तन करके ब्यवसाय करने और शिक्षा को महत्व नहि देने के कारण वे अपनी सन्तती को अपनी परम्परा और इतिहास को बतापाने मे अक्षम रहे जिसके चल्ते इनके नाम के बाद का टाइटल(surname) मे बदलाव आने लगा । आज ईश समुदाय के लोग अलगअलग जगहो पर विभिन्न अलगअलग टाइटल (surname) का प्रयोग करतें है जैसे कि दास,सेनुरिया,बनिया,बानियाँ,कैथलबैश्य,कथबनिया,प्रसाद,कायस्थ,गुप्ता,मोदि,श्रीवास्तव,साह,चौधरी । दुर्भाग्यवश पारम्परिक इतिहास कि जानकारी कि अभाव के कारण ईश समुदाय के लोग तो अलगअलग स्थान पर अपने जाति को हि अलगअलग नामों से परिचय कराते रहते है जिससे कि ईश समुदाय के लोग एकजुट होने मे असमर्थ होते रहे है और पिछ्डे होने कि यह भि एक प्रमुख कारण कारण रहा है । सिन्दुरिया समाज के अगुवाई करने वाले भारत ,दिल्ली के निवासी सत्यप्रकाश गुप्ता के अनुसार ईश समुदाय मे १०% शिक्षित,२०% आर्थिक रुपमे सक्षम और ७०% के लोग ऎसे है जो कि शैक्षिक और आर्थिक रुपसे पिछ्डे हुवे है । नेपाल मे बि.स.२०६५/८/१२ (ई.स.2008 november 27) के दिन स्थानीय जिला प्रशासन कार्यलय,मकवानपुर ,हेटौंडा उपमहानगरपालिका ,बागमती प्रदेश मे "सिन्दुरिया समाज नेपाल" के नाम से बिधिवत आधिकारिक रुप मे इस समुदाय का Registration कराया गया था । जिस से संस्थापक अध्यक्ष हेटौंडा निवासी राजाबाबु दास कथबनिया है । इसके अलावा इस समुदाय को उजागर करते हुवे नेपाल मे पहलिबार २०७५ चैत्र( March 20019) मे प्रकाशित हेटौंडा निवासी नन्दलाल दास द्वारा लिखित पुस्तक "नेपालमा सिन्दुरिया बनिया (कैथल वैश्य/कथबनिया)" का लोकार्पण June 2019 को जनकपुरधाम मे आयोजित एक स्वाजाती सम्मेलन मे नेपाल कथबनिया सेवा समाज के अध्यक्ष निरंजन दास और इसके निवर्तमान अध्यक्ष केशव दास के द्वारा संयुक्त रुपमे हुवा था ।
__________________________________________________________________ २०७६/१०/११(25 January 2020) सिन्दुरिया समाज नेपालको बार्षिक सभा सम्पन्न ____________
सिन्दुरिया समाज नेपालको ११औं बार्षिक सभाबाट पुनः राजाबाबु दास कथबनिया ज्युको अध्यक्षतामा नयाँ कार्यसमितिको निर्बिरोध चयन। मधेसी आयोगका अध्यक्ष माननीय डाक्टर बिजय कुमार दत्त ज्युको प्रमुख आथित्यतामा सम्पन्न कार्यक्रममा बिशिस्ट अथिती हेटौंडा उपमहानगरपालिका उप प्रमुख मिना लामा ज्यु लगायत हेटौंडा नगर क्षेत्रमा कृयाशिल बिभिन्न जातीय संस्थाका अध्यक्ष /प्रतिनिधि ज्युहरुको आथित्यता रहेको थियो । नन्दलाल दासले संचालन गरेका कार्यक्रममा मधेसी आयोगका अध्यक्ष माननीय डाक्टर दत्त ज्यु समक्ष "सिन्दुरिया" जाती लाई मधेसी जाती अन्तर्गत र सिन्दुरिया जातिले प्रयोग गर्ने विभिन्न थरहरुलाई सुचिकृत कोलागी सिन्दुरिया समाज नेपालका अध्यक्ष राजाबाबु दास कथबनियाले ज्ञापन पत्र बुझाउनु भएकोथियो । साथै नया चुनिएको कार्यसमितिको तर्फबाट अध्यक्ष राजाबाबु दास कथबनियाले आगामी कार्ययोजना प्रस्तुत गरेकाथिए ।सिन्दुरिया समाज नेपालको ११औं बार्षिक सभाबाट पुनः राजाबाबु दास कथबनिया ज्युको अध्यक्षतामा नयाँ कार्यसमितिको निर्बिरोध चयन। मधेसी आयोगका अध्यक्ष माननीय डाक्टर बिजय कुमार दत्त ज्युको प्रमुख आथित्यतामा सम्पन्न कार्यक्रममा बिशिस्ट अथिती हेटौंडा उपमहानगरपालिका उप प्रमुख मिना लामा ज्यु लगायत हेटौंडा नगर क्षेत्रमा कृयाशिल बिभिन्न जातीय संस्थाका अध्यक्ष /प्रतिनिधि ज्युहरुको आथित्यता रहेको थियो । नन्दलाल दासले संचालन गरेका कार्यक्रममा मधेसी आयोगका अध्यक्ष माननीय डाक्टर दत्त ज्यु समक्ष "सिन्दुरिया" जाती लाई मधेसी जाती अन्तर्गत र सिन्दुरिया जातिले प्रयोग गर्ने विभिन्न थरहरुलाई सुचिकृत कोलागी सिन्दुरिया समाज नेपालका अध्यक्ष राजाबाबु दास कथबनियाले ज्ञापन पत्र बुझाउनु भएकोथियो । साथै नया चुनिएको कार्यसमितिको तर्फबाट अध्यक्ष राजाबाबु दास कथबनियाले आगामी कार्ययोजना प्रस्तुत गरेकाथिए ।
नया कार्यसमितिको नामावली _________ १. अध्यक्ष - राजाबाबु दास कथबनिया २. उपाध्यक्ष - सुनिल कुमार दास ३. उपाध्यक्ष - सुशील प्रसाद सेनुरिया बनिया "गुड्डु" ४. सचिव - नन्दलाल दास ५. कोषाध्यक्ष - राजदेव बानिया ६. सदस्य - रामनाथ बानिया ७. सदस्य - दिपक प्रसाद कायस्थ बनिया ८ .सदस्य - चन्दन प्रसाद बानिया ९. सदस्य - बिनोद सेनुरिया १०.सदस्य - सन्जय दास बानिया ११.सदस्य - सुजित प्रसाद बानिया १२.सदस्य - अनिल दास बानिया १३.सदस्य - देबेन्द्र प्रसाद बानिया ____________________________________________________________________________ 5 March 2020 (२०७६/१२/२२)बिहीवार
सिन्दुरिया संस्कृति मे कुल देवी देवता _________
सिन्दुरिया समुदाय के लोग जब भि शादि सम्बन्ध (बिवाह)के बात को आगे बढाते है तो उनका कोशिस यह भि रहती है कि दोनो पक्षों का कुल देवीदेवता भि समान प्रकार के हो । अभि तक से जानकारी के अनुसार सिन्दुरिया संस्कृति मे प्रायः चौध (१४) प्रकार से लोग अलगअलग कुल देविदेवता वों को अपने कुल देविदेवता वों के रुप मे पुजते है । साथ हि इस समुदाय मे कयि लोग एक या एक से ज्यादा कुल देविदेवता वों को पुजते है । जिनमे से प्रायः निम्न लिखित प्रकार से भिन्न भिन्न कुल देविदेवता वों के नाम है ।
१. सती बनी,गोरिया बाबा २.काली बनी,गोरिया बाबा ३.नरसिंह जि,हनुमान जी ४.सोखा बाबा ५.सोखा बाबा,हनुमान जी ६.बैदेही सति,हनुमान जी,नरसिंह जी ७.सोखा बाबा, मिरा ८.मिरा ९.गोबिन्द जी १०.सोखा बाबा,बनी देवी,बिसहर,आमिल माई(देबी भगवती) ११.गोबिन्द जी,फेकुराम,कारिख महाराज,हनुमान जी,बिसहर १२.गहिल (देवी ) १३.सतप्रीया (देवी ) १४.सतप्रीया (देवी ),हनुमान जी __________________________________________________________________ 13 october 2021 (२७ असोज २०७८,बुधबार )
- राष्ट्रिय जनगणना २०७८
राष्ट्रिय जनगणना मे अपनी जाती "सिन्दुरिया बनिया" लिखवाएं 🙏🙏🙏🙏🙏
बिक्रम सम्बत २०७८ के तहत जल्द हि देश मे राष्ट्रिय जनगणना होने जा रहि है । तो हम सभी को इसबार कि राष्ट्रिय जनगणना मे हमारी उपस्थिति दर्ज करानी है । और आप सभी से अनुरोध है कि आप जो भि जानकारीयां जनगणना मे आए हुवें कर्मचारीवों को देङ्गे वह अपनी रेकर्ड पुस्तिका मे वहि लिखेङ्गे जो कि सरकार के पास जाएगा और उसि के आधार पर यह तय होगा कि देश कि कुल आवादी कितनी है और कौन कौन सि जातिया रहती है फिर उनकि धर्म ,संस्कृति ,भाषाएं किस प्रकार कि है ? उनकी क्या स्थिति है ? दुर्भाग्य कहना पडेगा कि हमारे स्वजाती मे बहुसंख्यक लोग बिभिन्न कारणबस खुद कि जाती के बारे मे न तो ज्यादा जानते है और ना हि अपने परम्परा ,संस्कृति के बारे मे पुरी जानकारी रखते है । जिसके कारण आज भि हामारे जाती के बारे मे सरकार के पास अभि तक कोइ भि ठोस जानकारी नहि पहुच पायी है । जैसे कि हमारे स्वजाती के पुर्वज लोग विभिन्न प्रकार के आयुर्वेदिक जडिबुटी इत्यादि सामाग्री धोकरी (थैला) मे रखकर एवम् घुमकर बेचा करते थें तो इसिलिए उन्हे "धोकरिया" के नाम से पुकारा गया । जैसे कि धोकरिया लोग आयुर्वेदिक जडिबुटीवों का औषधि के रुप मे व्यापार किया करते थे तो उन्होने अपने खोज मे पाया कि "सिन्दूर" चर्मरोग मे उपयोगि है तो उन्होने अपनी आयुर्वेदिक व्यवसाय मे "सिन्दूर" को भि सामिल कर लिया । व्यवसाय के क्रम मे हिन्दू समाज मे सिन्दूर के अधिक व्यापार के चल्ते उन्होने सिन्दूर के व्यवसाय पर प्राथमिकता दिया फिर वह समाज मे सिन्दूर बेचनेवाला बनिया या "सिन्दुरिया बनिया" के नाम से प्रसिद्द हुवे । फिर उन्होने अपनी ग्राहकों के माग (डिमान्ड) अनुरुप अपने जडिबुटी और सिन्दुर के नियमित व्यवसाय मे घरेलु मसालों के अलावा महिलावों के श्रृङ्गार सामाग्रीवों को भि सामिल किया । फलस्वरूप कयी सारे स्थायी ,अस्थायी हाट बजार, मेला एवम् मन्दिरों के आसपास हमारे स्वजाती के लोग आज भि अपनी उसि पारम्परिक व्यवसायीक सामाग्री जडिबुटी ,सिन्दूर के साथ घरेलु मसालों और श्रिङ्गार सामाग्रीवों का व्यापार करते हुवे मिल हि जाते हैं । गरिबी के कारण शिक्षा को महत्त्व न दे पाने और अपनी स्वजाती संगठन के प्रति चेतना के अभाव मे एवम् अन्य कयिं कारणों से इस समाज के बहुसंख्यक लोग आज भि अपनी संस्कृति , जातीय इतिहास और परम्परा के बारे नहि बता पाते है । इस जाती के सरकारी आकडाँवों पर गौर किया जाए तो पडोसी देश भारत के उडिसा राज्य ने पहली बार सन् 1952 मे अपनी अनुसूचीत जातिवों के सूची मे क्रमसंख्या 85 पर "सिन्दुरिया" को सूचीकृत किया था । फिर विहार राज्य ने सन् 1991 मे वैश्य (बनिया) कि उपजाती के रुप मे " सिन्दुरिया बनिया " को क्रमसंख्या 20 पर और फिर केन्द्रिय स्तर पर सन् 2002 अप्रिल 2 मे इसे अति पिछ्डा जाती(EBC) कि सूची मे क्रमसंख्या 110 पर सूचीकृत किया गया । हिन्दु धर्मावलम्बीवों का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल जनकपुरधाम कि जानकी मन्दिर के साथ भि सिन्दुरिया का प्रसङ्ग जुडा हुवा है । बिवाह-पञ्चमि के दिन जानकी मन्दिर मे दुल्हन बनी सीता को सिन्दूर-दान दिए जाने के अवसर पर वहाँ उपस्थित मैथिल भाषी महिलाएं जो बैवाहिक गित गाती है उसमे "सिन्दुरिया" का जिक्र होता है । " कौन नगर से सिन्दुरिया सिन्दुर बेचे आयल है ..." बोल के बिवाह गित युट्युब (YouTube) या गुगल (Google) पर आज भि लोकप्रिय है । सिन्दुरिया बनिया का धार्मिक महत्व , संस्कृति , परम्परा और ईतिहास जाहिर करती यह बैवाहिक गित हमारें समाज के लिए गौरव है । आज आवस्यकता है कि समाज के जागरूक लोग अपनी समाज के संस्कृति एवम् इतिहास को नष्ट होने से बचावें । हमारे स्वजाती को अज्ञानता एवम् विभिन्न कारणों से कयि जगहों पर भिन्न भिन्न नामो से भि पुकारा जाता है लेकिन हमारा मुल पहिचान "सिन्दुरिया बनिया" हि है । अत: हमारे सभी स्वजातीवों से अपिल करते है कि इसबार के राष्ट्रिय जनगणना मे अपनी जाती "सिन्दुरिया बनिया" जरुर लिखवावें । " सिन्दुरिया कहलाने मे हमे गर्व होना चाहिए ।"
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