Computer Project
Computer Project
Using the switch case statement, write a menu driven program to do the following:
(i) To accept a number from the user and print the digit which occurs maximum number of times in
the number. Also print its frequency.
(ii) To accept a number N and print all possible consecutive natural numbers that add upto N.
e.g.: N= 5
Output = 1 2 3 4 5
456
78
(i)
// Traverse through
// all digits
for (int d = 0; d <= 9; d++)
{ // Count occurrences
// of current digit
int count = countOccurrences(x, d);
// Update max_count
// and result if needed
if (count >= max_count)
{ max_count = count;
result = d;
}
}
return result;
}
// Driver Code
public static void main (String[] args)
{ int x = 1223355;
System.out.println("Max occurring digit is " +
maxOccurring(x));
}
}
Output
Max occurring digit is 5
// the frequency of a
// digit in a number
class GFG
{
// Driver Code
public static void main(String args[])
{
// input number N
int N = 1122322;
// input digit D
int D = 2;
System.out.println(frequencyDigits(N, D));
}
}
Examples :
Input: N = 1122322 , D = 2
Output: 4
(ii)
import java.util.*;
int i,j,k,n,sum;
System.out.println("Enter a number");
n=sc.nextInt();
for(i=1;i<=n/2+1;i++)
sum=0;
for(j=i;j<=n/2+1;j++)
sum=sum+j;
if(sum==n)
break;
}
if(j<=n/2+1)
for(k=i;k<=j;k++)
System.out.print(k+" ");
System.out.println();
Copy
Solution 2: (Using Function)
import java.util.*;
class number
int s1=0;
for(int x=i;s1<num;x++)
s1=s1+x;
return (s1);
System.out.println("Enter a number");
int n=sc.nextInt();
int s;
for(int j=1;j<=n;j++)
int ans=obj.sum(j,n);
s=0;
if(ans==n)
for(int y=j;s<n;y++)
s=s+y;
System.out.print(y+" ");
System.out.println();
Output
Enter a number
21
1 2 3 4 5 6
6 7 8
10 11
21
Test 2:
Enter a number
15
12345
456
78
Q.5. Every even integer greater than 2 can be expressed as the sum of two primes. e.g.: n = 44 3+41
44 (3 , 41) both are prime Write a program to enter an even number N and store all the prime
numbers upto N. Find and print the pair of prime numbers which add up to give N.
import java.util.Scanner;
public class PrimeNumbers{
public static void main(String arg[]){
int i,n,counter, j;
Scanner scanner = new Scanner(System.in);
System.out.println("Required packages have been imported");
System.out.println("A reader object has been defined ");
System.out.print("Enter the n value : ");
n=scanner.nextInt();
System.out.print("Prime numbers between 1 to 10 are ");
for(j=2;j<=n;j++){
counter=0;
for(i=1;i<=j;i++){
if(j%i==0){
counter++;
}
}
if(counter==2)
System.out.print(j+" ");
}
}
}
Output
Enter the n value : 10
Prime numbers between 1 to 10 are 2 3 5 7
import java.util.Scanner;
if (count != 10) {
System.out.println("Illegal ISBN");
}
else if (sum % 11 == 0) {
System.out.println("Legal ISBN");
}
else {
System.out.println("Illegal ISBN");
}
}
}
OUTPUT
(b)
import java.util.Scanner;
import java.util.Scanner;
OUTPUT
अतिथि देवो भव हिंदी में निबंध –
Atithi Devo Bhava Essay in Hindi
Leave a Comment / By Rajkumar Singh / January 27, 2022
Atithi Devo Bhava Essay in Hindi: हेलो स्टूडेंट, हम आपको इस आर्टिकल में
अतिथि देवो भव हिंदी में निबंध के बताया गया है | पोस्ट अंत तक पढ़े |
हमारे देश में अनगिनत परिवर्तनों के बावजूद अतिथि का भगवान के रूप में
स्वागत करने की प्राचीन भारतीय परंपरा जीवित रही है। प्राचीन वेदों में
कहा गया है अतिथि देवो भव यानि की हमारे महेमान भगवान के समान होते है।
अतिथि उसे कहा जाता है की जिसके आने का नाम कोई समय होता है और ना कोई
उदेश्य।
ऐसा कहा जाता है की महेमान हमेशा भाग्यशाली के घर में ही आते है। हमें
उनका भावपूर्वक आदर करना चाहिए। हमें उनका सत्कार, खान-पान और सेवा खुशी-
ख़ुशी करना चाहिए । हमारे घर आने वाला अतिथि हमारे रिश्तेदार, सगे
संबंधी, पड़ोसी ,दोस्त और कोई भी हो सकता है। भारतीय संस्कृति में अतिथी
पूजनीय है।
अतिथि आपके यहाँ किसी भी रूप में आ सकता है। वह कोई भी हो सकता है, चाहे वह
आपके रिश्तेदार हो या अन्य कोई भी व्यक्ति। हमें हमेशा इस बात को याद
रखना चाहिए कि हमें अपने अतिथि का आदर करना चाहिए।
अतिथि को हमारे ग्रंथों में भगवान अतुल्य बताया है। कहते है भगवान और
अतिथि में कोई अंतर नहीं होता है। अतिथि की सेवा करना एक पूजा है, जो इस
पूजा को निस्वार्थ भाव से करता है। कहते है वही इस दुनियाँ में पूजनीय
है।
हमारे भारत की पुरानी परंपरा है, कि अगर हमारे यहाँ हमारे घर में कोई
मेहमान आता है तो उसको बहुत सम्मान दिया जाता था। उसको इज़्ज़त दी जाती
थी वही परंपरा तब से लेकर आज भी चली आ रही है।
इतिहास
पहले जब राजा महाराजाओं के यहाँ कोई भी अतिथि आता था, तो उसको एक भगवान की
तरह पूजा जाता था, उसके रहने के लिये एक अलग से उसकी सुख सुविधा का इंतज़ाम
किया जाता था, उसको सैनिक व दासियाँ भी दिये जाते थे जो उस अतिथि की सारी
देखभाल करते थे, उनकी ज़रूरतों का वे सैनिक और दासियाँ पूर्ण ख्याल रखते
थे।
उनको पहनने के लिये अच्छे कपड़े, आभूषण और अच्छे-अच्छे पकवान खाने में
दिये जाते थे और जब वह जाता था, तो अतिथि की विदाई में उनको सोने के सिक्के
और कई उपहार स्वरुप वस्तुयें दी जाती थी आपने ऐसी पुरानी कई कहानियां
सुनी और देखी भी होंगी जों हमें पुरानी परंपरा याद दिलाती है जैसे आपने
भगवान कृष्ण और उनके दोस्त सुदामा का नाम सुना होगा।
तो वे सुदामा जी से मिलने ऐसे भागे की वे अपने पैर में कुछ पहनना ही भूल
गये उन्होंने सुदामा जी अपने महल में अतिथि की तरह रखा था और उनका खूब जी
भर के स्वागत किया उनकी खातिरदारी में कोई कमी नहीं रखी। जब सुदामा जी
गये तो उनको कृष्ण जी ने उपहार में रहने के लिये एक महल दिया जो कि सुदामा
जी के लिये एक गुप्त उपहार था। Atithi Devo Bhava Essay in Hindi
अगर हमारे देश में किसी दूसरे देश से टूरिस्ट भी कोई आता है, तो वो भी
हमारा अतिथि होते है इसलिये हमारे भारत में जगह-जगह रास्तों में बोर्ड पर
लिखा होता है अतिथि देवो भवः और हम बाहर देश से आने वालों की इज्जत भी करते
है और जब वे हमारे देश से लौत्कार्जाते है तो वे हमारे प्यार और सम्मान से
इतना खुश होकर जाते है है कि वह बार-बार भारत की सुन्दरता देखने आते है।
इसीलिए कहते है हमारे अतिथि हमारे भगवान या देव के समान होते है। हमें
उनका हमेशा सम्मान करना चाहिये क्यों कि, हमारे यहाँ हमारे अतिथि केवल
कुछ दिनों के लिये रहने आते है और फिर वे चले जाते है तो उनका सम्मान व आदर
करना चाहिए।
समय बदला तो उसके साथ-साथ कुछ रश्म और रिवाज भी बदल गये, अतिथि को इज्जत व
सम्मान आज भी देते है पर आज लोगों के दिल में पहले के लोगों जितना प्यार
नहीं रह गया न ही आज के हर इंसान के पास उतने पैसे होते है अगर हम पैसे की
बात करें तो पुराने ज़माने में भी कई लोगों के पास पैसे नहीं थे, पर वे
अपनी ज़रूरतों में कमी करके पहले अतिथि की ज़रूरतों को पूरा करते थे पर
आज अतिथि के लिये लोगों के मन में ऐसा प्यार और सदभाव नहीं रह गया है।
वह पहले अपना और अपने परिवार के लोगों की ज़रूरतों को देखते है, बाद में
अतिथि के सम्मान और ज़रूरतों को पूरा करने के बारे में सोचते है। अगर आज
हमारे यहाँ कोई आता है तो हम उनको पानी तो पिलाते है पर कुछ खिलाना है या
नहीं खिलाना है, वो जिसके घर में अतिथि आये है वह ही निर्धारित करता है कि
अतिथि का सम्मान किस प्रकार करना है। आज के ज़माने में लोगों के पास इतना
वक्त नहीं होता है, कि वे अतिथि साथ बैठकर अपना कुछ समय व्यतीत कर पाये।\
हमारी संस्कृति में अतिथि का काफी महत्व रहा है। अतिथि देवतुल्य है।
बचपन से ही हमें सिखाया गया है कि अतिथि भगवान का रूप है।प्राचीन ग्रंथों
में अतिथि देवो भव की काफी महत्ता बताई है।
अतिथि सन्यासी, भिक्षु, मुनि, साधु, संत और साधक के रूप में भी हो सकते है
घर के द्वार पर आए किसी भी व्यक्ति व्यक्ति को भूखा लौटा देना पाप माना
गया है।
यदि कोई अतिथि घर में आता है, तो उसे बहुत प्रेम से सत्कार किया जाता है।
यदि अतिथि नाराज़ हुआ तो माना जाता है कि भगवान नाराज़ हो गए हैं। गृहस्थ
जीवन में अतिथि का सत्कार करना सबसे बढ़ा पुण्य माना गया है।मेहमानों की
सेवा करने से और उन्हें अन्न-जल देने से हमारे कई पाप दूर हो जाते है
वर्तमान में लोगों की लाइफ बहुत तेजी से दौड़ रही है। किसी भी व्यक्ति को
किसी के लिए भी समय नहीं है। लोग भारतीय परंपरा के मायने भूलते जा रहे है।
आज अतिथि जैसे एक बोझ बन गया है। घर में अतिथि के आने पर लोग एक गिलास पानी
भी देने से कतराते है। लोगों के पास महेमान के साथ बैठने तक का समय नहीं
है।
निष्कर्ष
अंत में हम इतना ही कहना चाहेंगे कि, हमें अपने अतिथियों का सम्मान करना
चाहिए और अपने कीमती समय से कुछ समय निकालकर अपने अतिथियों के साथ ख़ुशी
पूर्वक व्यवहार करना चाहिये।
चाहे वह आपके यहाँ कितने भी दिन रुकने आये ऐसा करने से लोगों में प्यार की
भावना भी बढती है और लोगों को एक दूसरे से मेल मिलाप का मौका भी मिलता है,
तो हमें इस भावना को बनाये रखना है और अपने देश के लोगों को यही सलाह देना
है, कि हमें हमेशा अपने अतिथियों का आदर करना है और यही भाव हमें अपने आने
बाली पीढ़ियों को भी सिखाना है कि अतिथि देवो भवः।
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