Important Questions For X - Ak

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महत्त्वपूर्ण प्रश्न

1) बड़े भाई साहब–मुंशी प्रेमचुंद:


प्र.1 अम्मा और दादा को हमें समझाने और सुधारने का अधधकार हमेशा रहे गा। बड़े भाई साहब ने यह वाक्य
क्या समझाने के लिए कहा ?
उत्तर:अम्मा और दादा को हमें समझाने और सुधारने का अधधकार हमेशा रहे गा। बड़े भाई साहब ने यह वाक्य
छोटे भाई को जीवन में अनुभव के महत्त्व को बताते हुए कहे थे। बड़े भाई साहब छोटे भाई को ककताबी ज्ञान
और अनुभव ज्ञान में श्रेष्ठ कौन है ? यह समझा रहे थे।
प्र.2 फेल होने के बाद बड़े भाई साहब के व्यवहार में क्या अुंतर आ गया था ?
उत्तर: फेल होने के बाद बड़े भाई साहब बहत दखी हो गए थे। उन्हें दखी दे खकर छोटे भाई को कक्षा में प्रथम
आने की ख़शी भी नहीुं रही थी। अब उन्होंने छोटे भाई को डााँटना छोड़ ददया था। फेल होने के बाद अब वे
नरम पड़ गए थे। अब वे समझ गए थे कक उन्हें छोटे भाई को डााँटने का अधिकार नहीुं रहा था इसललए वह
चप रहने लगे थे।
प्र 3 बड़े भाई की स्वभावगत ववशेषताएाँ बताइए ?
उत्तर : बड़े भाई साहब की स्वभावगत ववशेषताएाँ ननम्नललखखत है :
1) अध्ययनशील: बड़े भाई साहब स्वभाव से ही बड़े अध्ययनशील थे। वे ददन रात पढ़ते रहते थे। वे पढाई
के मामले में कोई जल्दबाज़ी पसुंद नहीुं करना चाहते थे। इसललए एक कक्षा में दो साल अथवा तीन
साल ननकाल दे ते थे।
2) अनशासनवप्रय: बड़े भाई साहब अनशासन वप्रय थे, वे स्वयुं भी अनशासन में रहते थे और अपने भाई
को भी अनशासन में रखना चाहते थे।
3) ज़ज़म्मेदार: बड़े भाई साहब एक ज़जम्मेदार व्यज़क्त थे, वे अपने छोटे भाई के अलभभावक के रूप में
अपनी ज़जम्मेदारी समझते थे, इसललए वे कोई भी ऐसा काम नहीुं करना चाहते थे ज़जससे उनके छोटे
भाई पर बरा असर पड़े।
4) अनभवी:बड़े भाई साहब अनभवी व्यज़क्त थे, वे अपने अनभव से ही छोटे भाई को समझाते रहते थे ।
प्र.4 बड़े भाई साहब के अनसार जीवन की समझ कैसे आती है ? अपने शब्दों में ललखखए
उत्तर: बड़े भाई साहब के अनसार जीवन की समझ अनभव से आती है । व्यज़क्त चाहे ककतनी भी ककताबें पढ़
ले, लेककन असली ज्ञान तो अनभव से ही लमलता है । बड़े भाई साहब ने अपने हे ड मास्टर साहब की मााँ और
माता-वपता का उदाहरर् दे कर समझाया है कक भले ही वे ज़्यादा पढ़े ललखे नहीुं थे लेककन उन्हें जीवन का
अनभव हमसे अधिक था ।
प्र.5 छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रनत श्रद्िा क्यों उत्पन्न हई ?
उत्तर: एक ददन जब सारा ददन पतुंग उड़ाकर छोटा भाई की मलाकात बड़े भाई से हई, तब बड़े भाई ने छोटे
भाई को बहत डाुंटा और छोटे भाई से कहा कक यदद तम नहीुं मानोगे तो थप्पड़ ददखाते हए कहा कक मैं इसका
प्रयोग कर सकता हूाँ । बड़े भाई साहब की इस नई यज़क्त से छोटे भाई के मन में बड़े भाई के प्रनत श्रद्िा
उत्पन्न हो गई ।
प्र. 6 बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएाँ क्यों दबानी पड़ती थीुं ?
उत्तर: बड़े भाई साहब बड़े होने के नाते यही चाहते और कोलशश करते थे कक वे जो कुछ भी करें , वह छोटे
भाई के लिए एक उदाहरण का काम करे । उन्हें अपने नैततक कततव्य का बोध था कक स्वयं अनुशालसत रह कर
ही वे भाई को अनश
ु ासन में रख पाएँगे। इस आदशत तथा गररमामयी स्स्थतत को बनाए रखने के लिए उन्हें
अपने मन की इच्छाएँ दबानी पड़ती थीं।
प्र. 7 बड़े भाई साहब के पाठ में लशक्षा के ककन तौर तरीकों पर व्युंग्य ककया गया है ?
उत्तर: बड़े भाई साहब में प्रेमचुंदजी ने आिननक लशक्षा के तौर तरीकों पर व्युंग्य ककया है । वतणमान में लशक्षा
लसफण रटने पर ज़ोर दे ती है । छात्र प्रश्नों को रटकर परीक्षा में अव्वल आ जाते हैं लेककन उन्हें ववषय की
समझ नहीुं होती हैं। जबकक असली लशक्षा तो ववषय की समझ से ही आती है। लशक्षा वहीुं सही है जो
व्यावहाररक ज्ञान प्रदान कर छात्रों का सवाांगीर् ववकास करें ।
प्र. 8 पाठ बड़े भाई साहब के आिार पर छोटे भाई का चररत्र धचत्रर् कीज़जए
उत्तर: छोटे भाई की चाररत्रत्रक ववशेषताएाँ ननम्नललखखत है :
1) बद्धिमान छात्र: छोटा भाई बहत ही बद्धिमान छात्र था, यद्यवप वह बड़े भाई की तरह ददन-रात मेहनत
नहीुं करता था कफर भी वह कक्षा में अव्वल आ जाता था, इसललए हम कह सकते हैं कक वह बद्धिमान था।
2) खेलवप्रय: छोटे भाई को खेल बहत पसुंद थे, वह अपना ज्यादा समय खेलकूद में ही त्रबताते थे। मौका
लमलते ही सब कछ भूलकर खेलने को चले जाते थे ।
3) ववनम्र: छोटे भाई बहत ही ववनम्र स्वभाव के बालक थे। बड़े भाई के बार बार फेल होने और स्वयुं के कक्षा
में अव्वल आने पर भी वे हमेशा अपनी ख़शी व्यक्त नहीुं करते थे। बड़े भाई के डााँटने पर भी कोई ज़वाब
नहीुं दे ते थे ।
2) डायरी का पन्ना:सीताराम सेकसररया
प्र.1 कलकत्ता में 26 जनवरी 1931 की सभा में ज़स्त्रयों की भूलमका का वर्णन डायरी का पन्ना के आिार से
कीज़जए ?
उत्तर : कलकत्ता में 26 जनवरी 1931 की सभा में ज़स्त्रयों की महत्त्वपूर्ण भूलमका थी। ज़स्त्रयों ने बढ़ चढ़कर
जलस में भाग ललया। ज़स्त्रयों ने ही मौनमें ट पर चढ़कर झुंडा फहराया और प्रनतज्ञा पढ़ी थी। उस ददन 105
मदहलाओुं को धगरफ्तार ककया गया था। अनेक मदहलाएाँ घायल हई थी। पललस के लाठी चाजण के बाद भी
मदहलाएाँ रूकती नहीुं थी। इस प्रकार मदहलाओुं का उस ददन की सभा में बहत बड़ा योगदान था ।
प्र.2 बड़े बाज़ार के सभी मकानों पर नतरुं गा झुंडा फहराने का क्या कारर् था ? डायरी का एक पन्ना के आिार
से स्पष्ट कीज़जए
उत्तर: बड़े बाज़ार के सभी मकानों पर नतरुं गा झुंडा फहराने का कारर् यह था कक कलकत्ता के लोग भारतीय
स्वतुंत्रता ददवस की पनराववृ त्त करना चाहते थे। भारत की स्वतुंत्रता ददलाने की ख़शी में ही वहााँ के लोगों ने
प्रत्येक घर पर नतरुं गा झुंडा फहराया गया था। कलकत्ता के लोग अपने ऊपर लगे कलुंक को भी िोना चाहते
थे ।
प्र.3 सभाष बाबू के जलस को ओपन लड़ाई क्यों कहा गया ? डायरी का एक पन्ना पाठ के आिार पर ललखखए
उत्तर : सभाष बाबू के जलूस को ओपन लड़ाई इसललए कहा गया है क्योंकक इस ददन पललस कलमश्नर के
नोदटस के बावजूद भी सभा का आयोजन ककया गया था। लोग बढ़ चढ़कर इस सभा में शालमल हो रहे थे।
कलकता में ऐसी सभा पहले कभी नहीुं हई थी।
प्र.4 डॉ.दास गप्ता घायल लोगों के फ़ोटो क्यों ले रहे थे ? उनके फ़ोटो लेने के कारर्ों को ललखखए
उत्तर: डॉ. दास गप्ता घायल लोगों की फ़ोटो इसललए ले रहे थे क्योंकक कलकत्ता के नाम पर कलुंक लगा था
कक वहााँ भारत की स्वतुंत्रता के ललए कोई काम नहीुं हो रहा है। उस ददन कलकत्ता के लोगों ने बता ददया था
कक वहााँ भी काम हो रहा है । दस
ू रा कारर् यह था कक पललस ने ककस बेहरमी से सैनाननयों को मारा था, उसे
सरकार को ददखाना चाहते थे।
प्र.5 पललस कलमश्नर के नोदटस और कौंलसल के नोदटस में क्या अुंतर है ?
उत्तर: पललस कलमश्नर ने नोदटस ननकाला था कक कोई भी सभा नहीुं हो सकती, जो भी सभा में भाग लेंगे
उन्हें धगरफ्तार कर ललया जाएगा। उिर कौंलसल ने नोदटस ननकाला था कक ठीक चार बजकर चौबीस लमनट पर
मोनमेंट पर झुंडा फहराया जाएगा और प्रनतज्ञा पढ़ी जाएगी, सभी की उपज़स्थनत अननवायण है । इस प्रकार पहली
बार खला चैलेंज दे कर नोदटस ननकाला गया था।
प्र.6 आज जो बात थी वह ननराली थी – ककस बात से पता चल रहा था कक आज का ददन अपने आप में
ननराला है ? स्पष्ट कीज़जए
उत्तर: कलकत्ता के हर घर को नतरुं गे झुंडे से सजाया गया था । सबह से ही लोग टोली बनाकर मोनमें ट पर
एकत्रत्रत हो रहे थे। कई मकान तो ऐसे सजाए गए थे मानो स्वतुंत्रता लमल गई हो। ज़जस रास्ते से मनष्य
जाते थे उसी रास्ते में उत्साह और नवीनता मालूम होती थी। लोगों का कहना था कक ऐसी सजावट पहले कभी
नहीुं हई थी।
3) तुंतारा वामीरो कथा–लीलािर मुंडलोई
1 समद्र ककनारे बैठे हए तुंतारा की तन्द्रा कैसे टूटी ? ललखखए
उत्तर : एक शाम तुंतारा ददनभर के अथक पररश्रम के बाद समद्र ककनारे टहलने ननकल पड़ा। समद्र से ठुं डी
बयारें आ रही थी, उसका मन शाुंत था। ववचारमग्न तुंतारा समद्र की बालू पर बैठकर सूरज की रुं ग त्रबरुं गी
ककरर्ों को समद्र पर ननहारने लगा। तभी पास से उसे एक मिर सुंगीत सनाई ददया, ज़जससे उसकी तन्द्रा टूट
गई। वह मिर गीत वामीरों गा रही थी।
2 तुंतारा वामीरों की मत्ृ य क्यों हई और उससे सखद पररवतणन क्या हआ ?
उत्तर : तुंतारा और वामीरों की मत्ृ य उनके गााँव की परम्परा के कारर् हई थी। वह दोनों वववाह करना चाहते
थे लेककन उनके गााँव की परम्परा थी कक एक दस
ू रे गााँव के लोग आपस में शादी वववाह नहीुं कर सकते थे ।
शादी नहीुं होने के कारर् दखी होकर ही दोनों ने अपनी जान गाँवा दी थी। उनकी मत्ृ य से अुंडमान और
ननकोबार के गााँव अब शादी वववाह करने लगे थे। लोगों ने प्राचीन परम्परा को तोड़ ददया था।
3 तुंतारा की तलवार के बारे में लोगों का क्या मानना था ?
उत्तर तुंत्तारा की तलवार के बारे में लोगों का मानना था कक उसमें अद्भत दै वीय शज़क्त थी। तुंतारा ने इसका
उपयोग पहले कभी नहीुं ककया था। बावजद
ू लकड़ी की होने पर भी उसमें दै वीय शज़क्त थी। तुंतारा उसे हमेशा
अपनी कमर में लटका कर रखता था।
4 प्राचीन काल में मनोरुं जन और शज़क्त प्रदशणन के ललए ककसका आयोजन ककया जाता था ?
उत्तर: प्राचीन काल में मनोरुं जन और शज़क्त प्रदशणन के ललए पशपवण का आयोजन ककया जाता था। यह साल
में एक बार होता था। गााँव के सभी लोग इसमें भाग लेते थे। इसमें हृष्ट पष्ट पशओुं के प्रदशणन के साथ
पशओुं से यवकों की शज़क्त प्रदशणन परीक्षा भी हआ करती थी। नत्ृ य सुंगीत के साथ ही साथ भोजन का
आयोजन भी होता था।
5 रूदढ़यााँ जब बुंिन बन बोझ बनने लगे तो उनका टूट जाना ही अच्छा है । लेखक ने ऐसा क्यों कहा है ?
क्या आप उनके ववचारों से सहमत है ? स्पष्ट कीज़जए
उत्तर: कोई भी रूढ़ी मनष्य के ववकास से बढ़कर नहीुं हो सकती है , यदद कोई रूढी मनष्य के ववकास में बािक
हो तो उसका टूट जाना ही अच्छा होता है । तुंतारा और वामीरो के गााँव में भी रूढी थी कक एक दस
ू रे गााँव के
लोग शादी वववाह का सम्बन्ि नहीुं बना सकते थे । लेककन तुंतारा और वामीरों के त्याग के बाद लोगों ने उस
परम्परा को तोड़ दददया और आपस में शादी वववाह करने लगे थे ।
4) तीसरी कसम के लशल्पकार–प्रहलाद अग्रवाल
1) कफल्मों में त्रासद ज़स्तधथयों का धचत्राुंकन ग्लोररफाई क्यों कर ददया जाता है ?
उत्तर : कफल्मों में त्रासद ज़स्तधथयों का धचत्राुंकन ग्लोररफाई इसललए कर ददया जाता है ताकक दशणकों का
भावनात्मक शोषर् कर सकें। त्रासद ज़स्तधथनतयों को ग्लोररफाई इसललए ककया जाता है ताकक अधिक से अधिक
सुंख्या में लोग उसे दे खने के ललए दटकट खरीदे ज़जससे ननमाणताओुं को लाभ हो ।
2) तीसरी कसम कफ़ल्म को सैल्यलाईड पर ललखी कववता क्यों कहा गया है ?
उत्तर : ‘तीसरी कसम’ क़िल्म को सैल्यूिाइड पर लिखी कववता अथातत ् कैमरे की रीि में उतार कर धचत्र पर
प्रस्तुत करना इसलिए कहा गया है, क्योंकक यह वह क़िल्म है , स्जसने हहंदी साहहत्य की एक अत्यंत मालमतक
कृतत को सैल्यूिाइड पर साथतकता से उतारा; इसलिए यह क़िल्म नहीं, बस्ल्क सैल्यूिाइड पर लिखी कववता
थी।
3) राजकपूर द्वारा कफ़ल्म की असफलता के खतरों से आगाह करने पर भी शैलेन्द्र ने यह कफ़ल्म क्यों बनाई?
उत्तर: राजकपूर द्वारा कफ़ल्म की असफलता के खतरों से आगाह करने पर भी शैलेन्द्र ने यह कफ़ल्म इस ललए
बनाई क्योंकक बे एक भावक कवव थे। उन्हें अपार सुंपवत्त और यश तक की इतनी कामना नहीुं थी ज़जतनी
आत्म सुंतज़ष्ट के सख की अलभलाषा थी ।
5) अब कहााँ दस
ू रों के दुःख में दखी होने वाले–ननदा फाज़ली
1 अब कहााँ दस
ू रे के दुःख से दखी होने वाले पाठ में लेखक की मााँ की सोच क्या थी ? मााँ की सोच पर
अपने ववचार ललखखए ।
उत्तर : अब कहााँ दस
ू रे के दुःख से दखी होने वाले पाठ में लेखक की मााँ की सोच प्रकृनत और जानवरों के प्रनत
दया और करुर्ा की थी । वह शाम के समय पेड़ों से पत्ते तोड़ने को मना करती थी , दररया को सलाम करने
को कहती थी और कबत
ू रों को न सताने की बात करती थी । उन्होंने अपनी गलती से अुंडा टूट जाने पर परू े
ददन का रोज़ा भी रखा था । इस प्रकार हम कह सकते है की लेखक की मााँ परोपकारी स्वभाव की थी ।
2 समद्र के गस्से की वज़ह क्या थी ? उसने अपना गस्सा कैसे ननकाला ?
उत्तर : समद्र के गस्से की वज़ह यह थी कक बड़े बड़े त्रबल्डर समद्र को पीछे िकेल कर बड़ी बड़ी त्रबज़ल्डुंग बना
रहे थे ज़जसके कारर् समद्र लसमटता जा रहा था । जब समद्र को खड़े रहने की जगह नहीुं लमली तो उसको
गस्सा आ गया। उसने एक रात अपनी लहरों पर दौड़ते हए तीन जहाजों को उठाकर गें द की तरह तीन ददशाओुं
में फ़ेंक ददया। बाद में वे तीनों जहाज ककसी भी काम के नहीुं रहे थे ।
3 अरब में लशकर को नूह के नाम से याद क्यों ककया जाता है ?
उत्तर: अरब में लशकर को नूह के नाम से इसललए याद ककया जाता था क्योंकक वे उम्र भर रोते रहे थे। उनके
रोने का कारर् यह था कक उन्होंने एक कत्ते को गुंदा कत्ता कहकर दत्कार ददया था। जब कत्ते ने उन्हें जवाब
ददया कक न तो वह अपनी मज़ी से कत्ता है और न ही वह आदमी, बनाने वाला तो एक ही है । कत्ते की यह
बात सनकर लशकर उम्र भर रोते रहे थे।
4 शेख अयाज़ के वपता भोजन की थाली छोड़कर क्यों खड़े हो गए थे ? ललखखए
उत्तर: शेख अयाज़ के वपता जब कँु ए से नहाकर िौटे तो कािा च्योंटा चढ़ कर आ गया। भोजन करते वक्त
उन्होंने उसे दे खा और भोजन छोड़कर उठ खड़े हुए। वे पहिे उसे घर छोड़ना चाहते थे।
5 लेखक की मााँ शाम के समय पत्ते तोड़ने से इनकार करती थी ?
उत्तर:लेखक की मााँ शाम के समय पेड़ों से पत्ते तोड़ने से इनकार इसललए करती थी क्योंकक उनका मानना था
कक पेड़ों में भी जान होती है और जब हम उन्हें शाम के समय तोड़ते है तो उन्हें ददण होता हैं ।
6 लेखक की मााँ ने पूरे ददन का रोज़ा क्यों रखा था ?
उत्तर: लेखक के ग्वाललयर वाले घर के दालान में कबूतरों ने दो अुंडे ददए थे , उनमें से एक अुंडे को त्रबल्ली ने
उझककर तोड़ ददया था। जब लेखक की मााँ ने दस
ू रे अुंडे को बचाना चाहा तो दस
ू रा अुंडा उनके हाथ से धगर
कर टूट गया। जब उन्होंने कबूतरों को फडफडाते दे खा तो अल्लाह से उस गनाह को माफ करवाने के ललए पूरे
ददन का रोज़ा रखा था ।
7 लेखक की पत्नी ने खखड़की में जाली क्यों लगवा दी थी ? ललखखए
उत्तर : लेखक की पत्नी ने खखड़की में जाली इसललए लगवा दी थी क्योंकक कबूतर लेखक की लाइब्रेरी में
घसकर कबीर या लमज़ाण ग़ाललब को सताने लगते थे । इस रोज़ रोज़ की परे शानी से तुंग आकर लेखक की
पत्नी ने वहााँ जाली लगवा दी थी ।
6) पतझर में टूटी पवत्तयाुं–रवीन्द्र केलेकर
1 झेन की दे न पाठ के आिार पर बताइए कक जापान के लोगों में ककस प्रकार के रोग बढ़ रहे है और क्यों ?
उत्तर : जापान में मानलसक रोग अधिक बढ़ रहे हैं, वहााँ के अस्सी फीसदी लोग मानो रुग्र् होते हैं। इसका
कारर् यह है कक वहााँ कोई बोलता नहीुं बकता हैं, वहााँ कोई चलता नहीुं दौड़ता है। वे तीस ददन काम एक
ददन में करना चाहते है। वे अमेररका से आगे बढ़ना चाहते हैं। उन्होंने अपने ददमाग में स्पीड का इुंजन लगा
रखा है। जब वह काम करना बुंद कर दे ता है और वे मानलसक रोगों से ग्रलसत हो जाते हैं।
2 आज की भागदौड भरी ज़ज़ुंदगी में मानलसक रोग से ग्रलसत लोगों की सुंख्या ददनोंददन बढ़ती जा रही है ।
आपके ववचार से इसके कौन कौन से कारर् हो सकते है और उनसे कैसे बचा जा सकता है ? झेन की दे न
पाठ के सन्दभण में ललखखए ।
उत्तर: मानलसक रोग बढ़ने के कारर् एक दस
ू रे के प्रनत प्रनतस्पिाण की भावना, तीस ददन का काम एक में
करना और ददमाग को स्पीड का इुंजन बनाने के कारर् ही लोगों में मानलसक रोग बढ़ते जा रहे हैं। इनसे
बचने के ललए हमें प्रनतस्पिाण न कर, सननयोज़जत तरीके से कायण करना चादहए ।
3 गाुंिीजी में नेतत्ृ व की अद्भत क्षमता थी–पाठ धगन्नी का सोना के आिार से स्पष्ट कीज़जए
उत्तर: गााँिीजी में नेतत्ृ व की अद्भत क्षमता थी, वे आदशों को व्यावहाररकता के स्तर पर उतरने नहीुं दे ते थे
बज़ल्क व्यावहाररकता को आदशों से स्तर पर चढ़ा दे ते थे, वे सोने में ताम्बा नहीुं बज़ल्क ताम्बे में सोना
लमलाकर उसकी कीमत बढ़ा दे ते थे। ज़जसके कारर् लोग उनका अनकरर् करते थे।
4 लेखक ने व्यावहाररकता को समाज के ललए अच्छा क्यों नहीुं बताया है ? पाठ धगन्नी का सोना के आिार
से स्पष्ट कीज़जए
उत्तर : लेखक ने व्यावहाररकता को समाज के ललए अच्छा नहीुं बताया है क्योंकक व्यवहारवादी लोग बड़े स्वाथी
होते हैं, लाभ-हानन दे खकर ही काम करते हैं। वे जीवन में सफल भी होते हैं लेककन ऊपर नहीुं चढ़ पाते हैं ।
जो अपने साथ दस
ू रों को भी ऊपर ले चले वह ही महत्त्व की बात होती है जो लसफण आदशणवादी ही करते हैं ।
7) कारतूस–हबीब तनवीर
1) वज़ीर अली की चाररत्रत्रक ववशेषताएाँ ललखखए
उत्तर: वज़ीरअली की चाररत्रत्रक ववशेषताएाँ ननम्नललखखत हैं
1) दे शभक्त: वज़ीर अली एक सच्चा दे शभक्त व्यज़क्त था । वह अुंग्रेजों को भारत से भगा कर दे श की रक्षा
करना चाहता था ।
2) जाबाज़ लसपाही : वज़ीर अली एक जाबाज़ लसपाही था । वह अुंग्रेज़ों से डरता नहीुं था । उसके पास बहत
कम लसपाही थे कफर भी वह अुंग्रेज़ों के हाथ में नहीुं आ रहा था ।
3) अुंग्रेज़ों का दश्मन: वज़ीर अली को अुंग्रेज़ पसुंद नहीुं थे । वह उन्हें भारत से भगाना चाहता था । उसने
एक अुंग्रेज़ वकील की हत्या भी कर दी थी ।
4) साहसी और ननडर: वज़ीर अली साहसी और ननडर व्यज़क्त था , वह कनणल के खेमे में चला जाता है ,
कनणल से दस कारतूस ले लेता है और अपना नाम भी बता दे ता है ।
2) कनणल और लेज़फ्टनेंट को वज़ीरअली से रॉत्रबनहड की याद क्यों आती थी ? वज़ीरअली के बारे में उन्हें क्या
क्या जानकारी लमली ? कारतूस पाठ के आिार पर ललखखए
उत्तर : वज़ीर अिी के अ़िसाने सुनकर कनति को रॉबबन हुड की याद आ जाती थी, क्योंकक उनको जंगि में डेरा डािे
हफ़्तों हो गए थे, किर भी वज़ीर अिी भूत की तरह हाथ ही नहीं िगता था। इसी प्रकार रॉबबन हुड भी जंगिों में घूमता
रहता था, पर ककसी के भी हाथ नहीं िगता था। राबबन हुड भी अमीरों को िट ू कर गरीबों को दे दे ता था ,ठीक वैसे ही
वज़ीर अिी भी अंग्रेजों को भगा कर दे श की जनता की सहायता करना चाहता था ।
3) वज़ीरअली जैसे जाबाजों के कारर् ही हम आज़ाद है – इस कथन के पक्ष में अपने ववचार कारतूस एकाुंकी
के सन्दभण में ललखखए ।
उत्तर: वज़ीर अली जैसे दे शभक्त और बललदानी जाबाज़ यदद भारत में नहीुं होते तो अुंग्रेजों को भारत से भगाना
आसान नहीुं था। भारतीय स्वतुंत्रता सैनाननयों के त्याग और बललदान के कारर् ही हम अुंग्रेजों की गलामी से
मक्त हो पाए हैं । हम भारत के स्वतुंत्रता सैनाननयों के इस बललदान को कभी भी भल
ू ा नहीुं सकते हैं।
4) वज़ीरअली सच्चे मायनों में जाबाज़ लसपाही था ,कारतस
ू पाठ के आिार से स्पष्ट कीज़जए
वज़ीर अिी सचमच ु एक जाँबाज लसपाही था। वह बहुत हहम्मती और साहसी था। उसे अपना िक्ष्य पाने के लिए जान
की बाजी िगानी आती थी। जब उससे अवध की नवाबी िे िी गई तो उसने अंग्रेज़ों के ववरुद्ध संघर्त करना शुरू कर
हदया। उसने गवनतर जनरि के सामने पेश होने को अपना अपमान माना और पेश होने से साि मना कर हदया। गस्
ु से
में आकर उसने कंपनी के वकीि की हत्या कर डािी। यह हत्या शेर की माँद में जाकर शेर को ििकारने जैसी थी।
इसके बाद वह आज़मगढ़ और गोरखपुर के जंगिों में भटकता रहा। वहाँ भी तनडर होकर अंग्रेज़ों के कैं प में घुस गया
था। उसे अपनी जान की भी परवाह नहीं थी। उसके जाँबाज़ लसपाही होने का पररचय उस घटना से लमिता है जब वह
अंग्रेज़ों के कैं प में घुसकर कारतूस िेने में सिि हो जाता है तथा कनति उसे दे खता रह जाता है । इन घटनाओं से पता
चिता है कक वह सचमुच जाँबाज़ आदमी था।
5) कुंपनी के वकील का क़त्ल ककसने ककया था और क्यों ? कारतस
ू पाठ के आिार से ललखखए
उत्तर वज़ीर अिी को उसके पद से हटाने के बाद अंग्रेज़ों ने उसे बनारस भेज हदया और तीन िाख रुपया सािाना
वज़ीिा तय कर हदया। कुछ महीने बाद गवनतर जनरि ने वज़ीर अिी को किकत्ता बुिाया। वज़ीर अिी इस बुिावे से
धचढ़कर कंपनी के वकीि के पास गया जो बनारस में ही रहता था। वकीि ने वजीर अिी की लशकायत की कोई परवाह
नहीं की, उल्टा उसे बरु ा-भिा सन
ु ा हदया। वज़ीर अिी को गस्
ु सा आ गया और उसने खंजर तनकािकर वकीि का कत्ि
कर हदया। इसके बाद वज़ीर अिी अपने सैतनकों के साथ आज़मगढ़ की ओर भाग गया। वहाँ के बादशाह ने उन िोगों
को अपनी हहिाज़त में घाघरा तक पहुँचा हदया। तब से वह जंगिों में तछपकर अपनी शस्क्त बढ़ाने िगा।
6) सवार के जाने के बाद कनणल हक्का बक्का क्यों रह गया ? ललखखए
उत्तर : सवार के जाने के बाद कनति हक्का-बक्का इसलिए रह गया, क्योंकक स्जस वज़ीर अिी को पकड़ने के लिए वह
जंगि में िाविश्कर के साथ िंबे समय से डेरा डािे हुए था, वही वज़ीर अिी ऐसा वेश बदिकर आया कक कनति को
उसके ककसी भी हाव-भाव से नहीं पता चिा कक वह वज़ीर अिी है । इसके अततररक्त उसने बड़ी ही होलशयारी से अपना
पररचय दे कर कनति से कारतस
ू िेकर उसकी जान भी बख्श दी और दे खते-ही-दे खते घोड़े पर सवार होकर चिा गया।
कनति केवि घोड़ों की टापों का शोर ही सुनता रह गया।
7) वज़ीरअली के जीवन का लक्ष्य अुंग्रेजों को इस दे श से बाहर करना था ? कारतूस पाठ के आिार से इस
कथन की सत्यता लसद्ि कीज़जए
उत्तर:वज़ीर अली के जीवन का लक्ष्य अुंग्रेजों को भारत से बाहर कर खद अवि का राजा बनना था । उसे
अुंग्रेजों की गलामी पसुंद नहीुं थी। उसने अफगाननस्तान के बादशाह शाहे ज़मा को यद्ि करने के ललए आमुंत्रर्
भेजा था। वह नेपाल जाकर अपनी शज़क्त बढाकर अुंग्रेजों से लड़ना चाहता था , उन्हें हराकर भारत से खदे ड़ना
चाहता था ।

Made by : Dr.Nitesh Shah


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