Sanskrit Chapter - 3 (Notes) अलसकथा

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9 लाि से अुधक बच्ों का भरोसा
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Full Sanskrit – Class 10


CHAPTERWISE WITH ह द
िं ी अर्थ
CHAPTER – 1 मङ्गलम् (उपिनषद्)
CHAPTER – 2 पारुलपुत्रवैभवम् (िनबन्धः )
िवषय – सूचृ
CHAPTER – 3 अलसकथा (पुरुषपरृक्षातः कथा) Page 1 - 10
CHPATER – 4 सं स्कृ तसािहत्ये लेुिकाः (िनबन्धः )
CHPATER – 5 भारतमिहमा (पद्यािन)
CHAPTER – 6 भारतृयसं स्काराः (िनबन्धः )
CHAPTER – 7 नृितश्लोकाः (िवदुरनृितपद्यािन)
CHAPTER – 8 कममवृरकथा (आधुिनकलघुकथा)
CHAPTER – 9 स्वामृ दयानन्दः (िनबन्धः )
CHAPTER – 10 मन्दािकनृवणमनम् (वाल्मृकीयरामायणम्)
CHAPTER – 11 व्याघ्रपुथककथा (िहतोपदेशकथा)
CHAPTER – 12 कणमस्य दानवृरता (नारकम्)
CHAPTER – 13 िवश्वशाूतः (िनबन्धः )
CHAPTER – 14 शास्त्रकाराः (वातामलाप:)

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तृतृय: पाठ: // अलसकथा


यह पाठ िवद्यापित के द्वारा रुचत पुरूष परृक्षा में सं कुलत आलस कथा से ुलया गया है। पुरूष परृक्षा ग्रन्थ में
मानवों के िवुभन्न गुणों के महत्त्व का वणमन सं स्कृ त भाषा में कथा के रूप में कहा गया है और दोषों को दूर
करने की ुशक्षा दृ गयृ है। िवद्यापित एक लोकििय मैुथुल कवृ थे। इन्ोंने अनेक सं स्कृ त ग्रन्थों का िनमामण
िकये।
िस्तुत पाठ में आलस्य दोष के बारे में बताया गया है और इसे सािबत करने के ुलए एक
व्यं ग्यात्मक क कथा िस्तुत िकया गया है। वहृं कहा गया है की नृितकार लोग आलस्य को शत्रु का रूप मानते है।
िमुथला में एक वृरेश्वर नाम के मं त्रृ थे। वह स्वभाव से दानृ तथा दयावान था। वह सभृ
सं करग्रस्तो और अनाथों को िितिदन इच्छा अनुसार भोजन ुिलाते थे। उसृ बृच में वह आलसृयों को अन्न
और वस्त्र भृ दे ते थे।
इस पाठ में किव उन लोगों पर व्यं ग िकया है जो िबना पीरश्रम के जृवन जृने का ियास करते
है। ुजसकी ूितृ िराब होतृ है उसमें सबसे िथम आलसृयों को बताया गया है िक जो कु छ नहृ कर
सकता। जठर ग्रन्थृ से जलते हुए आग भृ कु छ नहृ करता। आलसृ को भुि से पेर जल रहा है। उसके बाद
भृ आलसृ लोग िाना बना ले तो ये असं भव है। तब आलसृ लोगो के लाभ सुनकर वहााँ तोंद बढ़ाने वाले
जमा हो गए। ुजसमें सभृ लोग सुि-सुिवधा से जृवन का यापन करना चाहते है।िबना मेहनत िकए अपने
जाितयों के सुि को दे िकर कौन जं तु नहृ दौड़ता है।
उसके बाद आलुसयों के सुिो को दे िकर धुतम लोग भृ बनावरृ आलस िदिाकर भोजन ग्रहण
करने लगा। इसके बाद आलुसयों पर अत्याुधक धन िचे को दे िकर सेवकों के द्वारा आपस में िवचार िकया
गया की जो बुिि से अक्षम है उनके ुलए दयापूवमक माुलक समान िदलवाते है। लेिकन धोिा करके भृ कु छ
आलसृ लाभ ग्रहण कर रहे है यह हमलोगों की लापारवाहृ है। तब उन्ोंने सोचा की आलसृ व्यिियों की
परृक्षा लृ जाए । ऐसा िवचार कर आलसृयों के िनवास घर में सेवक ने आग लगा िदया। तब घर में लगे आग
को दे िकर सभृ घुतम वहााँ से भाग गए। इसके बाद कु छ आलसृ भृ भाग गए। ुसर्म चार व्यिि सोये हुए
आपस मे वातामलाप करने लगे।
पहला आलसृ कपड़ा से मुह ढ़के हुआ बोला यह कोलाहल कै सा है। तो दुसरे आलसृ ने
कहा िक लगता है घर में आग लग गई है , तब तृसरे आलसृ ने कहा की कोई भृ यहााँ ऐसा धािममक
व्यिि नहृ है जो भृगा हुआ वस्त्र हमारे शरृर पर डाल दे । तब चौथा आलसृ कहता है, अरे बाचाल ! तुमलोग
िकतना बोलते हो चुपचाप सो जाओ । तब इन चारो के इस िकार के वातामलाप को सुनकर और आग उनके
ऊपर िगर जाएगा ऐसा दे िकर सेवको ने हत्या के डर से चारो को के श ुिचकर घर से बाहर िनकाल िदया।
उसके बाद उन्े दे िकर सेवक ने कहा की ुस्त्रयो का गित या रक्षक पित होता है। उसृ िकार से बच्ों का
रक्षक मााँ होतृ है लेिकन आलुसयों का रक्षक दयावान पुरूष के अलावा सं सार में और कोई नहृ होता । उसके
बाद चारो आलसृयों को पहले से भृ अुधक वस्तु मं त्रृ ने िदलवाया और सभृ को िवदा िकया।

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सभृ िश्न और उत्तर


1. अलसकथा का वणमय िवषय क्या है ?
उत्तर ➨ िवद्यापित द्वारा रुचत कथाग्रंथ ‘पुरुष परृक्षा’ नामक पुस्तक से ुलया गया ‘अलसकथा’ मानव महत्व एवं दोषों के
िनराकरण की ुशक्षा देता है। आलुसयों को दान दे ने की इच्छा रिनेवाले बृरेश्वर ने यह जानने की उत्कं ठा िकर की थृ िक
आलसृ जृवन जृने की कला का कै से िनवमहन करते हैं। इष्ट लाभ के ुलए मेहनतृ भृ आलसृ का रूप लेकर पहुाँचने लगते हैं।
उनकी परृक्षा के ुलए दानगृह में आग लगा दृ जातृ है। आलसृ भागने के बजाय गृले कपड़े से ढकने, घर में आग लगृ है ,
यहााँ कोई धािममक नहृं है आिद की चचाम करते हैं। आलसृ के वल करूणा के पात्र होते हैं।

2. चारों आलुसयों का सम्वाद अपने शब्ों में ुलिें।


उत्तर ➨ जब राित्र काल में िनयोगृ पुरुषों द्वारा अलसशाला में आग लगा दृ गयृ तो जो वास्तिवक आलसृ थे वे वहृं
उसृ अविा में पड़े रहे और आपस में बात करते रहे। पहला बोला िक ये कै सा कोलाहल हो रहा है तो दूसरा आलसृ
बोला िक लगता है िक अलसशाला में आग लग गयृ है। तो तृसरा आलसृ बोला िक कोई भृ धािममक पुरुष नहृं बचा
जो हमलोगों पर कोई भृंगा कपड़ा डाल दे । इस पर चौथे आलसृ ने कहा िक तुमलोग इतनृ बातचृत क्यों कर रहे हो
चुपचाप पड़े रहो।

3. अलसशाला में आग क्यों लगाई गई ?


उत्तर ➨ वृरेश्वर ने करुणा िदिाकर आलुसयों के ुलए भोजन वस्त्रािद की व्यविा करवाते थे। परंतु सहज, सुलभ
भोजनािद आश्रय को पाकर धूतम और जो आलसृ नहृं थे, वे भृ वहााँ जाकर भोजन पाने लगे ुजससे अलसशाला का
व्यय आवश्यकता से अुधक बढ़ गया। वास्तव में आलसृ कौन है इसका पता लगाने के ुलए हृ अलसशाला में आग
लगवा कर िनयोगृ पुरुषों ने यह जान ुलया िक वास्तव में आलसृ कौन है।

4. अलसशाला के किममयों ने आलुसयों की परृक्षा क्यों लृ ?


उत्तर ➨ आलुसयों की गरृब अविा को देिकर िमुथला के मं त्रृ वृरेश्वर ने अलसशाला का िनमामण करवा िदया जहााँ
वे आलुसयों को भोजन और वस्त्र देते थे। सहज सुलभ भोजन और वस्त्र को देिकर धूतम और कम आलसृ लोग भृ
वहााँ जाकर भोजनािद िाप्त करने लगे। इस ूिित में अुधक व्यय होने लगा। तब अलसशाला के किममयों ने वास्तिवक
आलसृ कौन है इसकी परृक्षा हेतु अलसशाला में आग लगवा िदया।

5. 'अलसकथा' पाठ में िकसका वणमन है ?


उत्तर ➨ मैुथल किव िवद्यापित ने 'पुरुष परृक्षा' नामक ग्रंथ ुलिा है ुजससे उिृत 'अलस कथा' में आलस्य के
िनवारण की िेरणा और इस सं सार की लोक नृितयों और अनेक पक्षों पर व्यं ग्यात्मक क दृिष्ट डालृ गयृ है। इस पाठ में
मुख्य रूप से िमुथला के मं त्रृ वृरेश्वर और चार आलुसयों का वणमन िकया गया है ।

6. 'अलसकथा' पाठ में वास्तिवक आलुसयों की पहचान कै से हुई ? [2019AII]


उत्तर ➨ जब अलसशाला में भोजन वस्त्रािद पाने वाले लोगों में धूतों और कम आलसृ लोगों की भृ सं ख्या बढ़ने लगृ तो व्यय
अुधक होने लगा। तब मं त्रृ वृरेश्वर के अुधकाीरयों ने सच्े आलसृ का पता लगाने के ुलए अलसशाला में आग लगवा िदया
ुजससे धूतम और कम आलसृ लोग भाग गए और जो वास्तिवक में जो चार आलसृ थे ुसर्म वहृ ाँ बचे रहे।

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7. अलसशाला में आग लगने पर क्या हुआ ?


उत्तर ➨ सहृ आलसृ का पता लगाने के ुलए जब मं त्रृ वृरेश्वर के िनयोगृ पुरुषों ने अलसशाला में आग लगा दृ तो
सबसे पहले कम आलसृ लोग अपनृ जान बचाकर भागे । तत्पश्चात् धूतों ने भृ वहााँ से भागने में हृ अपनृ भलाई
सोचृ और के वल चार आलसृ हृ बचे जो वास्तिवक आलसृ थे।

8. िवद्यापित कौन थे ? उन्ोंने िकस ग्रंथ की रचना की तथा 'अलस कथा' में िकसकी कहानृ है ? छः वाक्यों में ुलिें।
उत्तर ➨ िवद्यापित िबहार के िमुथला िदेश के एक सुिवख्यात है। मैुथलृ भाषा के अितीरि सं स्कृ त भाषा पर भृ उनका
अुधकार है तथा उन्ोंने 'पुरुषपरृक्षा' नामक एक कथाग्रंथ ुलिा है ुजसका एक अंश िवशेष 'अलसकथा' शृषमक पाठ से पाठ्य
पुस्तक में सं कुलत है। 'अलसकथा' पाठ में चार आलुसयों की कथा वुणमत है ुजनके भरण पोषण के ुलए मं त्रृ वृरेश्वर ने
अलसशाला का िनमामण करवाया । जहााँ कु छ धूतम और कम आलसृ भृ भोजन वस्त्र िाप्त करने लगे ुजससे आवश्यकता से
अुधक व्यय होने लगा। तब सच्े आलसृ का पता लगाने के ुलए अलसशाला में आग लगा कर सच्े आलुसयों का पता
लगाया गया।

9. मं त्रृ वृरेश्वर की िवशेषताओं का वणमन करें।


उत्तर ➨ मं त्रृ वृरेश्वर स्वभाव से दयालु और दानशृल थे। वह अनाथों और िनधमनों को उनकी इच्छा के अनुसार भोजन
तथा वस्त्र दे ते थे। उन्ोंने आलुसयों को भोजन तथा वस्त्र दे ने के ुलए अलसशाला का िनमामण करवाया था।

10. िकनकी क्या-क्या गितयााँ हैं ? पिठत पाठ के आधार पर स्पष्ट करें ।
उत्तर ➨ गित को यहााँ िवशेष रूप से िवश्लेिषत िकया गया है । स्त्रृ, पुरुष एवं बच्ों की गितयााँ अलग-अलग हैं।
ुस्त्रयों की गित पित हैं, बच्ों की गित मााँ है तथा आलुसयों की गित कारुुणकता (दयालुता) है। अथामत् ुस्त्रयों की
जृवनभं िगमा उसके पित पर िनभमर करतृ है। बच्ों की जृवनवृित्त उसकी मााँ हृ होतृ है। आलुसयों की जृवनवृित्त
दयालुओ ं पर हृ िनभमर होतृ है।

11.अलसकथा पाठ का पााँ च वाक्यों में पीरचय दें ।


उत्तर ➨ यह पाठ िवद्यापित द्वारा रुचत पुरुषपरृक्षा नामक कथाग्रन्थ से सं कुलत एक उपदे शात्मक क लघु कथा है।
िवद्यापित ने मैुथलृ, अवहट्ट तथा सं स्कृ त तृनों भाषाओं में ग्रन्थ-रचना की थृ। पुरुषपरृक्षा में धमम, अथम, काम इत्यािद
िवषयों से सम्बि अनेक मनोरं जक कथाएाँ दृ गयृ हैं। अलसकथा में आलस्य के िनवारण की िेरणा दृ गयृ है। इस
पाठ से सं सार की िवुचत्र गितिवुध का भृ पीरचय िमलता है।

12.‚अलसकथा’ पाठ के लेिक कौन है तथा इससे क्या ुशक्षा िमलतृ है ?


उत्तर- मैुथलृ किव िवद्यापित रुचत ‚अलसकथा‛ में आलुसयों के माध्यम से ुशक्षा दृ गयृ है िक उनका भरण-
पोषण करुणाशृलों के िबना सं भव नहृं है। आलसृ काम नहृं करते, ऐसृ ूिित में कोई दयावान् हृ उनकी व्यविा
कर सकता है। अतएव आत्मक िनभमर न होकर दूसरे पर वे िनभमर हो जाते हैं।
13. ‚अलसकथा’ का क्या सं देश है ?
उत्तर ➨ अलसकथा का सं दे श है िक आलस्य एक महान् रोग है। आलसृ का सहायक िायः कोई भृ नहृं होता।
जृवन में िवकास के ुलए व्यिि का कममठ होना अत्यावश्यक है। आलस्य शरृर में रहनेवाला महान् शत्रु है ुजससे
अपना, पीरवार का और समाज का िवनाश अवश्य हृ होता है। यिद जृवन में िवकास की इच्छा. रिते हैं तब आलस्य
त्यागकर उद्यम को िेीरत हों।
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14. आलसशाला के किममयों ने आलुसयों को आग से कै से और क्यों िनकाला ?


उत्तर ➨ जब चार आलसृ परुष आग लगने पर भृ घर से नहृं भागे तब एक योगृ पुरुष ने आकर उनके के शों को
पकड़कर उन्ें ढके लते हुए बाहर िकया। क्योिकं उन्ें वास्तिवक आलुसयों की पहचान हो चुकी थृ। एवं उनके िाण
का दाियत्व भृ उन्ृ के ऊपर था। इस िकार आलसृ पुरुष आग से बचे।

15. चारों आलसृ पुरुष आग से िकस िकार बचना चाहते थे ?


उत्तर ➨ चारों आलसृ पुरुष आग लगने पर भृ घर से नहृं भागे। शोरगुल सुनकर वे जान गए थे िक घर में आग लगृ
हुई है। वे चाहते थे िक कोई धािममक एवं दयालु व्यिि आकर आग पर जल, वस्त्र या कं बल डाल दे , ुजससे आग बुझ
जाए और वे लोग बच जाएाँ ।

16. ‘अलसकथा’ पाठ के आधार पर लेिक के िवचार स्पष्ट करें।


उत्तर ➨ ‘अलसकथा’ पाठ में लेिक िवद्यापित ने अपने िवचार को स्पष्ट करते हुए कहते हैं िक आलसृ व्यिि िबना
पीरश्रम िकए हुए जृवन व्यतृत करना चाहता है। कारूुणक व्यिि के िबना वह अपने को मौत से भृ नहृं बचा पाता
है। आलस्य शत्र के समान है।

VVI Objective Question


1. अलसकथा पाठ कहााँ से ुलया गया है ? 6. आलुसयों की परृक्षा क्या लगाकर ुलया गया ?
( A ) पुरुषपरृक्षा ( A ) पानृ
( B ) नृितश्लोक ( B ) आग
( C ) भारतमिहमा ( C ) हवा
( D ) व्याघ्रपुथक कथा ( D ) िबजलृ

2. अलसकथा ' पाठ िकस िकार की कथा है ? 7. चारो आलुसयों को क्या पकड़कर बाहर िनकाल िदया ?
( A ) पद्यात्मक क ( A ) हाथ
( B ) व्यं ग्यात्मक क ( C ) के श
( C ) रसात्मक क ( B ) पैर
( D ) कथात्मक क ( D ) कान

3. ' अलसकथा ' पाठ में िकस दोष का वणमन है ? 8. आलुसयों का रक्षक कौन होता है ?
( A ) आलस्य ( A ) बलवान
( B ) चतुराई ( B ) दयावान
( C ) अंधा ( C ) िपता
( D ) बहरा ( D ) पुत्र

4. कौन आलस्य का बहाना बनाता है ? 9. चारों आलुसयों को कै से बाहर िकया गया ?


( A ) धूतम ( A ) पैर पकड़कर
( B ) िमत्र ( B ) हाथ पकड़कर
( C ) शत्रु ( C ) के श पकड़कर
( D ) दानव ( D ) बााँ ह पकड़कर

5. आलुसयों के घर में आग कौन लगवाता है ? 10. अलसकथातगमत िमुथला में कौन मं त्रृ थे ?
( A ) राजा ( A ) तपेश्वर
( B ) मं त्रृ ( B ) भुवनेश्वर
( C ) शत्रु ( C ) वृरेश्वर
( D ) योिगपुरुष ( D ) महेश्वर

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11. अलसशाला में आग क्यों लगाई गई ? 19. 'पुरुषपरृक्षा' िकस रूप में िवुभन्न मानवगुणों के महत्त्व का वणमन करता
( A ) आलुसयों को भगाने के ुलए है ?
( B ) आलुसयों की परृक्षा करने के ुलए ( A ) पद्य रूप
( C ) अलसशाला की सम्पित्त को हड़पने के ुलए ( B ) श्लोक रूप
( D ) इनमें से िकसृ के ुलए नहृं ( C ) नारक रूप
( D ) कथा रूप
12. अलस शाला में आग लगने पर भृ िकतने लोग नहृं भागे ?
( A ) तृन 20. 'पुरुषपरृक्षा' िकस भाषा में ुलुित है ?
( B ) पााँ च ( A ) सं स्कृ त
( C ) चार ( B ) िहन्दृ
( D ) छः ( C ) मैुथलृ
( D ) अवधृ
13. घर में लगृ आग को दे िकर कौन लोग पलायमान हो गये ?
( A ) आलसृ लोग 21. 'पुरुषपरृक्षा' क्या ुशक्षा दे तृ है ?
( B ) समझदार लोग ( A ) गुण िनराकरण
( C ) र्ुतीले लोग ( B ) दशमन
( D ) धूतम लोग ( C ) दोष िनराकरण
( D ) सत्य
14. अरे कै सा हल्ला है ? िकसने बोला ?
( A ) पहला आलसृ 22. बनावरृ आलस्य िदिाकर कौन भोजन ग्रहण करते थे ?
( B ) दूसरा आलसृ ( A ) िवद्वान
( C ) मं त्रृ ( B ) मूिम
( D ) लेिक ( C ) धूतम
( D ) जानकार
15. " लगता है इस घर में आग लग गई " िकस पुरुष ने कहा ?
( A ) पहला आलसृ 23. 'ूिितः सौकयममूला िह............. के न धावूत जतवः ।" यह उिि
( B ) दूसरा आलसृ िकस पाठ से सं कुलत है ?
( C ) मं त्रृ ( A ) अलसकथा
( D ) लेिक ( B ) सं स्कृ त सािहत्ये लेुिका :
( C ) व्याघ्र पुथक कथा
16. आग को िगरते हुए दे िकर कौन आलुसयों को बाहर िनकाला ? ( D ) पारुलपुत्रवैभवम्
( A ) मं त्रृ
( B ) राजा 24. वृरेश्बर कौन था ?
( C ) िथम पुरुष ( A ) िमुथला का राजा
( D ) िनयोगृ पुरुष ( B ) िमुथला का मं त्रृ
( C ) िमुथला का राजकु मार
17. दयावान लोग िकसका रक्षक होता है ? ( D ) िमुथला का सं तरृ
( A ) दानव
( B ) मानव 25. सं सार में बच्ों का सच्ा रक्षक कौन है ?
( C ) आलसृ ( A ) माता
( D ) दुष्ट ( B ) िपता
( C ) भाई
( D ) बहन
18. िवद्यापित कौन थे ?
( A ) लेिक 26. ' पुरुष परृक्षा ' के रचनाकार कौन हैं ?
( B ) किव ( A ) वृरेश्वर
( C ) राजा लोग ( B ) िवष्णुशमाम
( D ) मं त्रृ ( C ) िवद्यापित
( D ) चाणक्य

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27. ' पुरुष परृक्षा ' ग्रंथ में िकसके गुणों का वणमन है ? 35. कौन परृश्रम नहृं करना चाहता है ?
( A ) दानव ( A ) परृश्रमृ
( B ) मानव ( B ) मूिम
( C ) दे वता ( C ) िवद्वान्
( D ) पशु ( D ) आलसृ

28. मैुथलृ भाषा के किव कौन थे ? 36. भूिा रहना कौन पसं द करता है ?
( A ) िेमचं द ( A ) परृश्रमृ
( B ) िदनकर ( B ) आलसृ
( C ) मैथलृशरण गुप्त ( C ) मूिम
( D ) िवद्यापित ( D ) िवद्वान

29. पितरेव गित: ............कारुुणकं िबना || िकस पाठ से ुलया गया है ? 37. ूिित सौकमममूला...........धावूत जतवः । कहााँ से ुलया गया है ?
( A ) सं स्कारा ( A ) पं चतं त्र
( B ) मं गलम ( B ) पुरुषपरृक्षा
( C ) शास्त्रकारा ( C ) नृितश्लोक
( D ) अलसकथा ( D ) शास्त्रकारा

30. ुस्त्रयों का रक्षक कौन होता है ? 38. सारे सुिों का मूल क्या है ?
( A ) पुत्र ( A ) िवघरन
( B ) पित ( B ) युि
( C ) माता ( C ) सं गठन
( D ) िपता ( D ) परृक्षा

31. पित िकसका रक्षक होता है ? 39. आग को दे िकर कौन सब भाग गया ?
( A ) ुस्त्रयों ( A ) आलसृ
( B ) पुत्रों ( B ) वलवान
( C ) भाई ( C ) धूतम
( D ) बहन ( D ) मं त्रृ

32. बच्ों का रक्षक कौन होता है ? 40. घर में आग लगने पर कौन नहृं भागा ?
( A ) िपता ( A ) राजा
( B ) भाई ( B ) आलसृ
( C ) माता ( D ) सैिनक
( D ) बहन ( C ) मं त्रृ

33. माता िकसका रक्षक होता है ? 41. " कोई धािममक पुरुष नहृं है " ऐसा िकस पुरुष ने कहा ?
( A ) िपता ( A ) िद्वतृय
( B ) भाई ( B ) तृतृय
( C ) पौत्र ( C ) िथम
( D ) बच्ों का ( D ) चतुथम

34. वृरेश्वर अनाथों को क्या दे ता था ? 42. अरे वाचाल ! िकतना बोलते हो ? िकस पुरुष का कथन है ?
( A ) भोजन ( A ) चतुथम
( B ) िवद्या ( B ) िद्वतृय
( C ) पैसा ( C ) तृतृय
( D ) कलम ( D ) िथम

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43. आलुसयों को िितिदन इच्छा अनुसार भोजन कौन िदलवाता था ? 46. सबसे बड़ा शत्रु कौन है ?
( A ) िवद्यापित ( A ) क्षमा
( B ) वृरेश्वर ( B ) आलस्य
( C ) अलसशाला का कममचारृ ( C ) क्रोध
( D ) िमुथला का राजा ( D ) लोभ

44. ' तकम यत यदूिन् गृहे अििलमिोऽूस्त। ' अलसकथा पाठ में यह िकसकी 47. वास्तिवक आलुसयों की सं ख्या िकतनृ थृ ?
उिि है ? (A)5
( A ) पहले आलसृ की (B)6
( B ) तृसरे आलसृ की (C)4
( C ) दूसरे आलसृ की (D)3
( D ) चौथे आलसृ की
48. नृितकार आलस्य को क्या मानते हैं ?
45. इस सं सार में आलुसयों का रक्षक ( गित ) कौन हैं ? ( A ) गुण
( A ) जननृ ( B ) शत्रु
( B ) कारुुणक ( C ) िमत्र
( C ) पित ( D ) धमम
( D ) धािममक

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