Mahamaya Mata Bala Tripura Sundari Temple, Hathira, Kurukshetra, Haryana
Mahamaya Mata Bala Tripura Sundari Temple, Hathira, Kurukshetra, Haryana
Mahamaya Mata Bala Tripura Sundari Temple, Hathira, Kurukshetra, Haryana
Location of temple:
Mata Bala Sundari is seated as Mother in the form of Pindi in the temple.
It is believed that in this Siddhapeeth, before the Mahabharata war, Sri
Krishna and Arjuna worshiped here for victory and got the blessings of Maa
Mahamaya. There is such a religious belief that Pandavas had established
the Pindi form of mother during the time of Mahabharata war. At that time
there was a grand temple of Mata Bala Sundari in Hastinapur, which was
worshiped by the Pandavas.
Bala Sundari Mata was the Kuldevi of the Pandavas, when the war started
in the Mahabharata, Lord Krishna had asked Arjuna to please his Kuldevi
by worshiping her before the War. Arjun, being away from Hastinapur,
established the Pindi of Mother Bala Sundari in village Hastipur itself and
worshiped and pleased Mother Bala Sundari. Mothe manifested happily to
the Pandavas and blessed them to be victorious in the war.
How to reach:
By Road:
By Rail:
By Air:
कुरुक्षे तर् : धर्मनगरी से 10 किलोमीटर दरू स्थित महाभारत कालीन प्राचीन माता बाला
सुं दरी मं दिर में 1640 ई. पूर्व से ही एक परिवार माता की पूजा अर्चना कर रहा है । कई
पीढि़यां माता की पूजा में समर्पित हो चु की हैं । माता बाला सुं दरी पांडवों की कुल दे वी थी,
जिसकी ¨पडी को अर्जुन ने यु द्ध आरं भ होने से पहले गां व हथीरा में स्थापित कर पूजा की
थी।
धार्मिक मान्यताओं के अनु सार महाराष्ट् र के पु णे में रहने वाला डूडर भक्त माता का परम
भक्त था। माता ने उसे दर्शन दे कर गां व हथीरा में स्थित मं दिर से अवगत करवाया। डूडर
भक्त ने गां व हथीरा में पहुंचकर मं दिर निर्माण का कार्य आरं भ किया। जै से ही खु दाई का
कार्य आरं भ हुआ तो टीले के नीचे माता का ¨पडी व छोटा मं दिर निकला जो आज भी
स्थापित है । माता ने डूडर भक्त को आशीर्वाद दिया था कि उसका परिवार ही सदियों तक
उसकी पूजा करे गा। वर्तमान में डूडर भक्त से सं बंधित पीढ़ी माता की पूजाकर रही है ।
डूडर भक्त ने ली थी ¨जदा समाधि
मं दिर पु जारी रूलदा राम ने बताया कि डूडर भक्त ने माता की अराधना करते समय ही
¨जदा समाधि ले ली थी। मं दिर से मं दिर से मात्र 30 गज की दरू ी पर उत्तर दिशा में
समाधि भी स्थित है । श्रद्धालु माता बाला सुं दरी की पूजा-अर्चना करने के बाद डूडर भक्त
की समाधि पर माथा टे कते हैं । वह पिछले 80 सालों से मं दिर में माता की पूजा-अर्चना कर
रहे हैं ।
हस्तिपु र से बना हथीरा
महाभारत यु द्ध आरं भ होने से पहले पांडवों ने अपनी कुलदे वी माता बाला सुं दरी की ¨पडी
स्थापित कर हथीरा में पूजा-अर्चना की थी। पांडवों ने इसका नाम हस्तिपु र रखा था। बाद
में माता बाला सुं दरी का मं दिर स्थापित होने से हस्तिपु र से हथीरा के नाम से प्रसिद्ध
हुआ।
शु भ कार्य में सबसे पहले माता की पूजा
ग्रामीण ओमप्रकाश ने बताया कि गां व व आसपास के क्षे तर् में कोई भी शु भ कार्य करने
से पहले माता की पूजा की जाती है । गाय-भैं स का सर्वप्रथम दधू माता को चढ़ाया जाता
है तो शादी के बाद नवविवाहित जोड़ा भी दर्शन के लिए मं दिर में पहुंचता है ।