Sudarshan Ashtakam
Sudarshan Ashtakam
Sudarshan Ashtakam
शुभजगद्रप
ू मण्डन सुरगणत्रास खन्डन शतमखब्रह्म वन्दित शतपथब्रह्म नन्दित ।
प्रथितविद्वत ् सपक्षित भजदहिर्बुध्न्य लक्षित जय जय श्री सद
ु र्शन जय जय श्री सद
ु र्शन
॥
स्फुटतटिज्जाल पिञ्जर पथ
ृ ुतरज्वाल पञ्जर परिगत प्रत्नविग्रह पतुतरप्रज्ञ दर्ग्र
ु ह।
प्रहरण ग्राम मण्डित परिजन त्राण पण्डित जय जय श्री सद
ु र्शन जय जय श्री सद
ु र्शन ॥
दनुज विस्तार कर्तन जनि तमिस्रा विकर्तन दनुजविद्या निकर्तन भजदविद्या निवर्तन
।
अमर दृष्ट स्व विक्रम समर जुष्ट भ्रमिक्रम जय जय श्री सुदर्शन जय जय श्री सुदर्शन ॥
प्रथिमुखालीढ बन्धरु पथ
ृ ुमहाहे ति दन्तुर विकटमाय बहिष्कृत विविधमाला परिष्कृत ।
स्थिरमहायन्त्र तन्त्रित दृढ दया तन्त्र यन्त्रित जय जय श्री सद
ु र्शन जय जय श्री सद
ु र्शन
।।
Prathimukhaaleeta Bandhura, Pruthumahaheti Danthura
Vikatamaaya Bahishkrutha,VividhamaalaaParishkrutha,
Sthiramahaayantra Tantritha, Dhruta Daya Tantra Yantrita
Jaya Jaya Sri Sudarsana, Jaya Jaya Sri Sudarsana. 6
महित सम्पत ् सदक्षर विहितसम्पत ् षडक्षर षडरचक्र प्रतिष्ठित सकल तत्त्व प्रतिष्ठित
।
विविध सङ्कल्प कल्पक विबध
ु सङ्कल्प कल्पक जय जय श्री सुदर्शन जय जय श्री
सुदर्शन ॥
भुवन नेत्र त्रयीमय सवन तेजस्त्रयीमय निरवधि स्वाद ु चिन्मय निखिल शक्ते
जगन्मय ॥
अमित विश्वक्रियामय शमित विश्वग्भयामय जय जय श्री सुदर्शन जय जय श्री सुदर्शन
॥
फलश्रति
ु
द्विचतुष्कमिदं प्रभूतसारं पठतां वेङ्कटनायक प्रणीतम ् ।
विषमेऽपि मनोरथः प्रधावन ् न विहन्येत रथाङ्ग धुर्य गुप्तः ॥
Phala Sruthi
॥इति श्री सद
ु र्शनाष्टकं समाप्तम ् ॥
कवितार्कि कसिंहाय कल्याणगुणशालिने ।
॥ श्रीमते वेन्कटे षाय वेदान्तगरु वे नमः ॥