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लोग

विक्षनरी से

संज्ञा

अनुवाद

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

लोग संज्ञा पुं॰ [सं॰ लोक] [स्त्री॰ लुगाई, लोगाई] जन । मनुष्य । आदमी । उ॰—(क) देख रतन हीरामन रोवा । राजा जिव लोगन हठ कोवा ।—जायसी (शब्द॰) । (ख) अमृत वस्तु जानै नहीं, मगन भए कित लोग । कहहि कबीर कामो नहीं जीवहिं मरन न जोग ।—कबीर (शब्द॰) । (ग) जिन विथिन बिहरहिं सब भाई । थकित होहिं सब लोग लुगाई ।—तुलसी (शब्द॰) । विशेष—हिंदी में इस शब्द का प्रयोग सदा बहुवचन में और मनुष्यों के समूह के लिये ही होता है । जैसे,—लोग चले आ रहे हैं । यौ॰—लोगबाग = जनसमाज । सर्वसाधारण जन ।