छेद
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]छेद ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. छेदन । काटने का काम ।
२. नाश । ध्वंस । जैसे, उच्छेद, वंशच्छेद ।
३. छेदन करनेवाला ।
४. गणित में भाजक ।
५. खंड । टुकडा ।
६. श्वेतांबर जैन संप्रदाय के ग्रंथो का एक भेद ।
७. विराम । अवसान । समाप्ति (को॰) ।
८. कोई परिचयात्मक चिन्ह । लक्षण (को॰) ।
९. कटने का घाव या चिन्ह (को॰) ।
छेद ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ छिद्र]
१. किसी वस्तु में वह खाली स्थान जो फटने या सुई, काँटे हथियार आदि के आरपार चुभने से होता है । किसी वस्तु में वह शून्य या खुला स्थान जिसमें होकर कोई वस्तु इस पार उस पार जा सके । सूराख । छिद्र । रंध्र । जैसे, छलनी के छेद, कपडे में छेद, सुई का छेद । जैसे,—दीवार के छेद में से बाहर की चीजें दिखाई पडती हैं । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना ।
२. वह खाली स्थान जो (खूदने, कटने, फटने या और किसी कारण से ) किसी वस्तु में कुछ दूर तक पडा हो । बिल । दरज । खोखला । विवर । कुहर ।
३. दोष । दूषण । ऐब । क्रि॰ प्र॰—ढूँढना ।—मिलना ।