स्वर वर्ण
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उन ध्वनियों को कहते हैं जो बिना किसी अन्य वर्णों की सहायता के उच्चारित किये जाते हैं। स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण,स्वर कहलाते हैं। हिंदी में स्वर का उच्चारण बिना रुके लगातार होता है लेकिन व्यंजनों का उच्चारण लगातार नहीं होता है। 'क' वर्ण को लगातार बोलते रहने से अंत में 'अ' की ध्वनि सुनाई देती है। इस प्रकार से 'क' वर्ण, 'अ' वर्ण से मिलकर बना है। यहाँ 'अ' एक स्वर है और 'क' एक व्यंजन है। हिन्दी भाषा में मूल रूप से ग्यारह स्वर होते हैं। ग्यारह स्वर के वर्ण : अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ऋ,ए,ऐ,ओ,औ आदि। हिन्दी भाषा में ऋ को आधा स्वर(अर्धस्वर) माना जाता है,अतः इसे स्वर में शामिल किया गया है। हिन्दी भाषा में प्रायः ॠ और ऌ का प्रयोग नहीं होता है। ॠ और ऌ प्रयोग प्रायः संस्कृत भाषा में होता है। अं और अः को भी स्वर में नहीं गिना जाता। इसलिये हम कह सकते हैं कि हिन्दी में 10 स्वर होते हैं। परंतु भारत सरकार द्वारा स्वीकृत मानक हिंदी वर्णमाला में 11 स्वर और 35 व्यंजन हैं। जिसमें ऋ(अर्धस्वर) को भी स्वर में ही गिना जाता है। हालांकि, पारंपरिक हिंदी वर्णमाला को 13 स्वरों और 33 व्यंजनों से बना माना जाता है। अक्षर अं [हूँ] और अ: [आह] को पारंपरिक हिंदी में स्वर और मानक हिंदी में व्यंजन के रूप में गिना जाता है। यदि ऍ,ऑ नाम की विदेशी ध्वनियों को शामिल करें तो हिन्दी में 11+2=13 स्वर होते हैं, फिर भी ऋ, अं, अः को हटा दे तो 10 स्वर हिन्दी में मूलभूत हैं। यदि हम ऋ, अं, अः को हटा दे तो स्वरों कि संख्या 10 होगी । परंतु भारत सरकार द्वारा स्वीकृत 11 स्वर हैं जिसमें ऋ(अर्धस्वर) कि गिनती स्वरों में ही शामिल है।
स्वरों के भेद
[संपादित करें]स्वरों के तीन भेद होते हैं।
ह्रस्व स्वर
[संपादित करें]वह स्वर जिनको सबसे कम समय में उच्चारित किया जाता है। ह्रस्व स्वर कहलाते हैं। जैसे- अ, इ, उ, ऋ,
दीर्घ स्वर
[संपादित करें]वह स्वर जिनको बोलने में ह्रस्व स्वरों से अधिक समय लगता है। जैसे- आ, ई, ऊ,
संयुक्त स्वर
[संपादित करें]वह स्वर जो दो और स्वर से मिलकर बने हों उन्हें संयुक्त स्वर कहते हैं जैसे- ए, ऐ, ओ, औ
प्लुत स्वर
[संपादित करें]वह स्वर जिनको बोलने में ह्रस्व स्वरों की अपेक्षा तिगुना समय लगता है उन्हे प्लुत स्वर कहते है। जैसे - ॐ = अ + ओ + म्
वर्गीकरण
[संपादित करें]स्वरों को कई तरह से वर्गीकृत किया जा सकता है :
- जिह्वा की ऊँचाई की दृष्टि से :
- विवृत (खुला हुआ, यानि कि जीभ नीचे गिरी हुई है) / Open
- अर्धविवृत / half-open
- बीच का
- अर्धसंवृत / half-closed
- संवृत (अत्यन्त संकीर्ण, यानि कि जीभ मुँह की छत तक उठी हुई है) / closed
- जिह्वा का कौन हिस्सा उठा हुआ है :
- होंठों की स्थिति से :
- प्रसृत (खुले होंठ) / unrounded
- वर्तुल (गोलाकार होंठ) / rounded
- अर्ध-वर्तुल / semi-rounded
- मात्रा की दृष्टि से :
- ह्रस्व / short
- दीर्घ / long
- प्लुत / very long
नीचे दी गयी तालिका में सभी भाषाओं के स्वरों का वैज्ञानिक वर्गीकरण और उनके IPA वर्णाक्षर दिये गये हैं :
अग्रस्वर | लगभग अग्रस्वर | मध्यस्वर | लगभग पश्वस्वर | पश्वस्वर | ||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
प्रसृत | वर्तुल | प्रसृत | वर्तुल | प्रसृत | वर्तुल | प्रसृत | वर्तुल | प्रसृत | वर्तुल | |
संवृत | i | y | ɨ | ʉ | ɯ | u | ||||
लगभग संवृत | ɪ | ʏ | ʊ | |||||||
अर्धसंवृत | e | ø | ɘ | ɵ | ɤ | o | ||||
बीच का | Schwa: ə | |||||||||
अर्धविवृत | ɛ | œ | ɜ | ɞ | ʌ | ɔ | ||||
लगभग विवृत | æ | ɐ | ||||||||
विवृत | a | ɶ | ɑ | ɒ |
जिस स्वर पर बलाघात लगता है, उसके शब्दांश के पहले एक << ' >> का निशान लगा दिया जाता है। जिस स्वर में नासिकीकरण होता है, उसके ऊपर टिल्ड << ~ >> का निशान लगा दिया जाता है। दीर्घ स्वरों के बाद << : >> का निशान लगाया जाता है।
हिन्दी भाषा के स्वर
[संपादित करें]- अ / ə /
- आ / ɑ , a /
- इ / ɪ /
- ई / i /
- उ / ʊ /
- ऊ / u /
- ऋ / ɻɪ /
- ए / e /
- ऐ / ɛ /
- ओ / o /
- औ / ɔ /
- ऑ / ɒ /
अंग्रेज़ी भाषा के स्वर
[संपादित करें]- A - ए
- E - इ
- I - आई
- O - ओ
- U - यू