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विकिपीडिया:शिष्टाचार

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
सबसे मिलजुल कर शिष्टाचार के साथ कार्य करे

विकिपीडिया के सदस्य विभिन्न शहरों, राज्यों व यहाँ तक अनेक देशों से आते है। हमारे हिंदी विकिपीडिया पर भी अनेक प्रान्तों व सभ्यताओं के लोग अपना योगदान दे रहे है। भारत जैसे विभिन्ताओं वाले देश में भी एकता से सब शांति से रह पाते है वैसे ही यहाँ विकिपीडिया पर भी हमें ध्यान देना चाहिए की हर सदस्य अलग परिस्थिति, सोच, विचार, भाषा व भौगोलिक स्थिति से आता है व जरूरी नहीं की किन्हीं दो व्यक्तियों के विचार हर सम्बन्ध में हर समय एक दूसरे से मिले।

मुख्य बात यह हैं की हम सभी से तमीज़ और प्यार से पेश आयें ताकि इस बड़े कार्य जिसे हम विकिपीडिया कहते पे अधिक से अधिक योगदान हो सके वह यह प्रयास अधिक लाभकारी बन सके।

कुछ अन्य मुख्य बातें जिनपर आपका ध्यान होना चाहिए:

  • सद्भाव कायम करे - विकिपीडिया जिस तरक्की व नेकी की राह पर चल रहा है वो उस नीति की वजह से ही संपन्न हो पाया है जो किसी को भी मुक्त रूप से ज्ञान उपलब्ध कराती है व किसी को भी किसी प्रतिबन्ध के बिना उसमे और अधिक जानकारी जोड़ने का हक देती है।
  • सुनहरा वसूल याद रखे - किसी दूसरे व्यक्ति से वैसे ही बर्ताव करे जैसा की आप चाहते है की आप से हो। नए उपयोगकर्ताओ से भी। याद रखे हम सब भी कभी नए थे।
  • विनम्र रहे - चाहे हालत कुछ भी हो हमेशा विनम्र रहे इससे यह होगा की आपकी बात अंत तक सुनी और समझी जायेगी।
  • भावों को समझे - यहाँ विकिपीडिया पर हम आपस में वार्ता लिखकर करते है व यह एक अच्छा माध्यम है। पर ध्यान देने वाली बात यह है की शब्द आखिरकार शब्द होते है व कोरे शब्द कई बार असली मंशा व भाव प्रदर्शित नहीं कर पाते या सामने वाले को इसके पीछे की मंशा पर संशय हो सकता है। जितना हो सके खुलकर व सीधे रूप में बात करे। शब्दों के चयन व लिखने के तरीके पे ध्यान दे, ताकि आपके साथी सदस्य पर इसका विपरीत असर न हो।
  • अपनी पहचान व्यक्त करे - हर बार जब भी आप किसी वार्ता पृष्ठ पर कुछ लिखते है तो अपने हस्ताक्षर ज़रूर छोड़े, पर सिर्फ वार्ताओं पर न की लेखो पर। वो अलग बात है की आप किसी विशेष कारण से अपनी पहचान गुप्त रखना चाहते हो। पर इससे आपके कहे गए वक्तव्य का भार कम हो सकता है।
  • समझोते का प्रयास करे - विचारों में मतभेद होना लाज़मी है पर बात बढ़ाने की जगह एक मध्यम रास्ता निकाले और किसी निर्णायक समझोते तक पहुचे।
  • तथ्यों पे तर्क करे न की व्यक्तित्व पर - व्यक्ति विशेष को निशाना न बनाये। याद रखे आपका उनके किये गए कार्य से मतभेद हो सकता है पर यह कोई निजी दुश्मनी नहीं है।
  • बातों का गलत मतलब नहीं निकाले - जो कहा नहीं गया उसे सच ना मने। ज़्यादातर समय जो लिखा गया है वो ही कहा गया है। विभिन्न पहलुओं की जगह सीधा सोचे।
  • उचित प्रश्नों की उपेक्षा नहीं करे - सवाल कई तरह के हो सकते है व हो सकता सभी हमें रास नहीं आये या कुछ हमारे खुद के कार्यों की समीक्षा के बारे में हो। याद रखे की उचित प्रश्न जवाब के हक़दार होते है।
  • आपके किये गए संपादन की समीक्षा - अगर कोई अन्य सदस्य आपके द्वारा किये गए संपादन से संतुष्ट नहीं है या उसके खिलाफ है तो वाद-विवाद की जगह तर्कपूर्ण तरीके से यह बात स्पष्ट करे की आपका संपादन सही क्यों है।
  • अपने विचार रखे - अगर आपके पास किसी विषय के बारे में कोई उत्तर नहीं हो तो उसे स्वीकार करे या अगर आप किसी विषय वस्तु के खिलाफ है तो उसे बताए व वजह साफ़ करे।
  • सभ्य रहे - चाहे कोई भी परिस्थिति क्यों न हो हमेशा सभ्य बने रहे। इससे आप सामने वाले का दिल जीत सकते है। हां ऐसा करना कई बार मुश्किल हो सकता है वो भी जब वार्ता आपके बारे में या आप की ग़लतियाँ निकालने के लिए हो रही हो। हो सकता है की सामने वाला आप से सभ्य न हो पर आप शालीनता का परिचय दे।
  • बदतमीजी का जवाब दे पर बदतमीजी से नहीं - ऐसा करने वाले व्यक्ति को बताए की वह क्या गलत कर रहे है व आप इस प्रकार के व्यवहार का जवाब नहीं देंगे व अगर उन्हें आपसे वार्ता जारी रखनी है तो सभ्यता से पेश आये।
  • क्षमा मांगे - कई बार हम भावना के वश में ऐसी कुछ बाते कर जाते है जिनपर हमें बाद में खेद होता है। अपनी ग़लती स्वीकारे। क्षमा मांगे।
  • क्षमा करे और भूल जाये - अगर आप किसी को क्षमा कर रहे है तो फिर दिल से उन्हें माफ़ कर दे, व नयी शुरुआत करे। बाद के लिए मन काला नहीं रखे।
  • अपने पूर्वाग्रहों को समझे - हम में से कोई भी परिपूर्ण नहीं है। अगर आप भी कोई पूर्वाग्रह रखते हो तो उन्हें पहचाने व उनपे काबू रखे।