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थाइसेनोप्टेरा

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थाइसेनोप्टेरा गण के कीट
थाइसेनोप्टेरा गण के कीट

थाइसेनोप्टेरा (Thysanoptera) कीटों का छोटा गण है। ये कीट अंग्रेजी भाषा में थ्रिप्स (thrips) कहलाते हैं। ये स्वभाव से चपल, कोमल शरीरधारी और सूक्ष्म आकार के, अर्थात्‌ प्राय: १/२० से लेकर १/३ इंच तक के, होते हैं। इनकी प्रमुख विशेषता है पंखों के किनारों का झालरदार होना और इसीलिये इस वर्ग का नाम झल्लरीपक्ष भी पड़ा है। इनका मुखांग पौधों के कोमल भागों को छिन्न भिन्न करने और उनके रसको चूसने के अनुकूल बना होता है। मुखांगों में सममिति (symmetry) नहीं होती। चिबुकास्थि (mandible) बहुत ही क्षीण अथवा अनुपस्थित होती है। कुछ जातियों में नर या मादा ही पक्षहीन होते हैं और कुछ जातियों में नर तथा मादा दोनों ही पक्षहीन होते हैं। पक्षयुक्त झल्लरीपक्ष कीटों में चार पक्ष होते हैं, जिनका पार्श्वभाग झालरदार होता है। अंडे पौधों के तंतुओं, अथवा अन्य किसी जाति के कीटों के शरीर में दिए जाते हैं। अंडे देते समय नुकीला अंड निक्षेपक अंग (ovipositor) पौधे या कीट के शरीर में घुसेड दिया जाता है और अंडे दे दिए जाते हैं। झल्लरीपक्ष कीटों में अर्द्ध रूपांतरण होता है। लार्वा (larva) वयस्क बनने के पूर्व शांत प्यूपा (pupa) जैसी अवस्था में रहता है।

थ्रिप्स या झल्लरीपक्ष प्राय: शाकाराही होते है और फूलों के अंदर कोमल पत्तियों के गुच्छों पर, छाल के नीचे अथवा वृक्षफेन (galls) में पाए जाते हैं। ये फूल, फल, शाक, सब्जी तथा खेत की फसलों के शत्रु हैं। झल्लरी पक्षों में कुछ कीट फसलों के प्रसिद्ध पीड़क (pest) हैं, जिनमें मुख्य प्याज का थ्रिप्स, (थ्रिप्स टबेसी Thrips tabeci L.), मिर्चा थ्रिप्स (Scirto thrips dorsalis, H.), धान भ्रिप्य (Thrips ordozoe, W.), अंगूर थ्रिप्स (Rhipiphora thrips cruentatus, H.) और चीनिया बादाम थ्रिप्स (Helio thrips indicus, B.) हैं।

पत्ती पर थ्रिप्स का प्रकोप

थाइसेनोप्टेरा का जीवन चक्र

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१. अंडा,

२. लार्वा की प्रथमावस्था,

३. पूर्णविकसित लार्वा,

४. प्यूपा की प्रथमावस्था,

५. प्यूपा की अंतिम अवस्था,

६. सिर का पार्श्व भाग, तथा

७. वयस्क थाइसेनोप्टेरा

बाहरी कड़ियाँ

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