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काला बाज़ार

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सन् 1925 में कनाडा में पुलिस छापे में पकड़ी गई गैर-कानूनी शराब।

काला बाज़ार (black market), भूमिगत अर्थव्यवस्था (underground economy) या छुपी अर्थव्यवस्था (shadow economy) ऐसा छुपा हुआ बाज़ार होता है जिसमें कोई ग्रैर-कानूनी गतिविधियाँ चल रही होती हैं या किसी अन्य रूप में स्थापित नियमों का उल्लंघन करा जा रहा होता है। ऐसे बाज़ार में अक्सर विधि द्वारा वर्जित माल या सेवाएँ (जैसे कि वर्जित नशे के पदार्थ या वैश्या सेवाएँ) बेचे जा रहे होते हैं, किसी अनिवार्य कर को देने से बचा जा रहा होता है (जैसे कि तस्करी द्वारा लाया गया विदेशी माल जिसपर आयात कर नहीं दिया गया है) या किसी ऐसे व्यक्ति को चीज़े बेची जा रही होती हैं जो कानूनन वर्जित है (जैसे कि किशोरों को सिगरेट)। कभी-कभी आर्थिक संतुलन को हस्तक्षेप से बिगाड़ने वाली, नीयत से सही लेकिन आर्थिक रूप से गलत, सरकारी नीतियों के अनपेक्षित परिणाम में भी कालाबाज़ारी को बढ़ावा मिल सकता है।[1][2][3]

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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सन्दर्भ

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  1. Schneider, Friedrich; Enste, Dominik H. (2000). "Shadow Economies: Size, Causes, and Consequences". Journal of Economic Literature. 38 (1): 77–114. CiteSeerX 10.1.1.716.8484. doi:10.1257/jel.38.1.77. JSTOR 2565360.
  2. Frey, B. S., and Schneider, F. (2015). Informal and Underground Economics. In: James D. Wright (ed.), International Encyclopedia of the Social and Behavioral Sciences, 2nd edition, Vol. 12. Oxford: Elsevier, pp. 50–55.
  3. Feige, Edgar L (2016). "Reflections on the meaning and measurement of Unobserved Economies: What do we really know about the "Shadow Economy"?". Journal of Tax Administration Vol. 2 (1). SSRN 2728060.