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नौटिलस

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नौटिलस
Nautilus
नौटिलस बेलाउएन्सिस जाति का नमूना
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: जंतु
संघ: मोलस्का (Mollusca)
वर्ग: सेफ़ैलोपोड (Cephalopoda)
उपवर्ग: नौटिलोइडेआ (Nautiloidea)
गण: नौटिलिडाए (Nautilida)
अधिकुल: नौटिलेसियाए (Nautilaceae)
कुल: Nautilidae
ब्लेन्वीय, १८२५
वंश

Carinonautilus
Cenoceras
Eutrephoceras
Pseudocenoceras
Strionautilus
Allonautilus
Nautilus
† = विलुप्त

नौटिलस (Nautilus) नौटिलिडाए जीववैज्ञानिक गण के समुद्री प्राणी होते हैं। ओक्टोपस, स्क्विड और समुद्रफेनी के साथ नौटिलस शीर्षपाद (सेफ़ैलोपोड) जीववैज्ञानिक वर्ग के सदस्य हैं। इन की दो गणों में कुल मिलाकर छह जीववैज्ञानिक जातियाँ अस्तित्व में है, हालांकि इन की अन्य जातियाँ भी हुआ करती थी जो अब विलुप्त हो चुकी हैं। इनके विषेश शंख आसानी से पहचाने जा सकते हैं और नौटिलस करोड़ों वर्षों से पृथ्वी के समुद्रों में बिना बदले रह रहे हैं। इस कारणवश इन्हें कभी-कभी 'जीवित जीवाश्म' (living fossils) भी कहा जाता है।

नौटिलस अकेला सेफ़ैलोपोड है जिसका पूरा शरीर शंख से ढका हो। यह शंख काफ़ी कठोर होते हैं और ८०० मीटर (२६०० फ़ुट) तक के पानी के दबाव को सह लेते हैं। उस से अधिक गहराई पर यह फटकर कुचले जाते हैं। ख़तरा होने पर वह अपना पूरा बदन इस शंख में छुपाकर शंख के मूँह को दो चमड़े के परदों जैसे बने दो विषेश टेन्टेकल से बंद कर लेते हैं। अगर शंख की रचना देखी जाये तो उसकी दो प्रमुख परते होती हैं: बाहरी परत और एक अंदरूनी मोती-सी चमकती परत।[1]

टेन्टेकल

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नौटिलस के शंख के खुले मूँह के पास लगभग ९० टेन्टेकल ("भुजाएँ") होते हैं जिनसे यह अपना ग्रास पकड़ते हैं। इनकी पकड़ बहुत ही शक्तिशाली होती है और किसी नौटिलस से यदि पकड़ा हुआ ग्रास बहुत ही ज़ोर से खींचा जाये तो कभी-कभी उनके टेन्टेकल ही उखड़ जाते हैं लेकिन ग्रास को जकड़े रहते हैं। चार टेन्टेकल बाक़ी टेन्टेकल से अलग होते हैं और उन्हें नौटिलस जल में रसायनिक तत्वों को परखने के काम लाता है, जो कि मनुष्यों के सूँघने के बराबर है।[2]

चित्रदीर्घा

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इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. Buchardt, B.; Weiner, S. (1981). "Diagenesis of aragonite from Upper Cretaceous ammonites: a geochemical case-study". Sedimentology 28 (3): 423–438. Bibcode:1981Sedim..28..423B. doi:10.1111/j.1365-3091.1981.tb01691.x.
  2. Willey, Arthur (1897). "The Pre-ocular and Post-ocular Tentacles and Osphradia of Nautilus". Quarterly Journal of Microscopical Science 40 (1): 197–201.