राग मालकौंस ,मालकंस ,मालकोस नाम से भी जाना जाता है

ग ध नी कोमल स्वर तथा अन्य स्वर शुद्ध है

रे प वर्जित स्वर

जाति औडव-औडव

रात के तीसरे प्रहर को गाया जाता है

यह गंभीर प्रकृति का राग है तथा यह एक पुरूष राग है

इसका समप्राकृतिक राग चन्दकोष है ।