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सुभाष चन्द्र बोस

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तुम मुझे खून दो और मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा।

सुभाष चन्द्र बोस (२३ जनवरी १८९७ - अज्ञात या 18 अगस्त 1945) एक भारतीय स्वतन्त्रता सेनानी थे, जिनका विश्वास था कि ब्रिटिश शासन के विरुद्ध हिन्सात्मक विरोध सही है। इन्होनें विख्यात आज़ाद हिन्द फ़ौज की स्थापना की थी।

उद्धरण

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  • तुम मुझे खून दो और मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा।
  • जब हम खड़े हों, तब आज़ाद हिन्द फौज को एक ग्रेनाइट की दीवार के समान होना होगा; जब हम आगे बढ़ें, तब आज़ाद हिन्द फौज को एक स्ट्रीमरोलर के समान होना होगा।
  • जय हिन्द।
  • दिल्ली चलो।
  • याद रखिए सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना हैं ।
  • एक सच्चे सैनिक को सैन्य और अध्यात्मिक दोनों प्रशिक्षण की जरुरत होती हैं ।
  • इतिहास में कभी भी विचार-विमर्श से कोई ठोस परवर्तन नहीं हासिल किया गया हैं ।
  • राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्शों सत्यम, शिवम्, सुन्दरम् से प्रेरित हैं।
  • मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि हमारे देश की प्रमुख समस्याएं गरीबी,अशिक्षा, बीमारी, कुशल उत्पादन एवं वितरण सिर्फ समाजवादी तरीके से ही की जा सकती है।
  • किसी एक विचार के लिए यदि कोई मरता है तो वह विचार उसके मरने के बाद भी हजारों लोगों में जीवित रहती है।
  • आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशस्त हो सके.
  • एक सच्चे सैनिक को सैन्य और आध्यात्मिक दोनों ही प्रशिक्षण की ज़रुरत होती है।

  • अगर संघर्ष न रहे, किसी भी भय का सामना न करना पड़े, तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है।
  • याद रखें – अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना सबसे बड़ा अपराध है।
  • मैंने जीवन में कभी भी खुशामद नहीं की है। दूसरों को अच्छी लगने वाली बातें करना मुझे नहीं आता।
  • कष्टों का, निसंदेह एक आंतरिक नैतिक मूल्य होता है।
  • मुझे यह नहीं मालूम कि स्वतंत्रता के इस युद्ध में हम में से कौन कौन जीवित बचेंगे। परन्तु मैं यह जानता हूँ कि अंत में विजय हमारी ही होगी।
  • ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं। हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगी, हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए।
  • तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
  • मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि हमारे देश की प्रमुख समस्याओं जैसे गरीबी, अशिक्षा, बीमारी, कुशल उत्पादन एवं वितरण का समाधान सिर्फ समाजवादी तरीके से ही किया जा सकता है।
  • व्यर्थ की बातों में समय खोना मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता।
  • आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए – मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके। एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशस्त हो सके।
  • राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्श सत्य, शिव और सुन्दर से प्रेरित है।
  • भारत में राष्ट्रवाद ने एक ऐसी सृजनात्मक शक्ति का संचार किया है जो सदियों से लोगों के अन्दर सुसुप्त पड़ी थी।
  • यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े, तब वीरों की भांति झुकना।
  • समझौतापरस्ती सबसे बड़ी अपवित्र वस्तु है।
  • संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया है। मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ, जो पहले नहीं था।
  • मुझ में जन्मजात प्रतिभा तो नहीं थी, परन्तु कठोर परिश्रम से बचने की प्रवृति मुझ में कभी नहीं रही।
  • जीवन में प्रगति का आशय यह है कि शंका संदेह उठते रहें और उनके समाधान के प्रयास का क्रम चलता रहे।
  • हम संघर्षों और उनके समाधानों द्वारा ही आगे बढ़ते हैं।
  • श्रद्धा की कमी ही सारे कष्टों और दुखों की जड़ है।
  • मैं संकट एवं विपदाओं से भयभीत नहीं होता। संकटपूर्ण दिन आने पर भी मैं भागूँगा नहीं, वरन आगे बढकर कष्टों को सहन करूँगा।
  • इतना तो आप भी मानेंगे कि एक न एक दिन तो मैं जेल से अवश्य मुक्त हो जाऊँगा, क्योंकि प्रत्येक दुःख का अंत होना अवश्यम्भावी है।
  • हमें अधीर नहीं होना चहिये। न ही यह आशा करनी चाहिए कि जिस प्रश्न का उत्तर खोजने में न जाने कितने ही लोगों ने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया, उसका उत्तर हमें एक-दो दिन में प्राप्त हो जाएगा।
  • जहाँ शहद का अभाव हो वहां गुड़ से ही शहद का कार्य निकालना चाहिए।
  • असफलताएं कभी-कभी सफलता की स्तम्भ होती हैं।
  • सुबह से पहले अँधेरी घडी अवश्य आती है। बहादुर बनो और संघर्ष जारी रखो ,क्योंकि स्वतंत्रता निकट है।
  • समय से पूर्व की परिपक्वता अच्छी नहीं होती, चाहे वह किसी वृक्ष की हो, या व्यक्ति की। उसकी हानि आगे चल कर भुगतनी ही होती है।
  • साथियों! आपने स्वेच्छा से उस मिशन को स्वीकार किया है, जो उतना महान है, जिसकी मानव ह्रदय कल्पना भी नहीं कर सकता है। ऐसे मिशन की पूर्ति के लिए कोई भी बलिदान बहुत महान नहीं होता है, किसी के जीवन का बलिदान भी नहीं। आप आज भारत के राष्ट्रीय सम्मान के संरक्षक और भारत की आशाओं एवं आकांक्षाओं के प्रतीक हैं। इसलिए ऐसे पेश आओ कि आपके देशवासी आपको आशीर्वाद दे सकें और आप पर गर्व कर सके।
  • अपने कॉलेज जीवन की देहलीज पर खड़े होकर मुझे अनुभव हुआ, कि जीवन का कोई अर्थ और उद्देश्य है।
  • स्वामी विवेकानंद का यह कथन बिलकुल सत्य है, यदि तुम्हारे पास लोह शिराएं हैं और कुशाग्र बुद्धि है, तो तुम सारे विश्व को अपने चरणों में झुका सकते हो।
  • मुझे जीवन में एक निश्चित लक्ष्य को पूरा करना है। मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है। मुझे नैतिक विचारों की धारा में नहीं बहना है।
  • निसंदेह बचपन और युवावस्था में पवित्रता और संयम अतिआवश्यक है।
  • मैं जीवन की अनिश्चितता से जरा भी नहीं घबराता।
  • मैंने अमूल्य जीवन का इतना समय व्यर्थ ही नष्ट कर दिया। यह सोच कर बहुत ही दुःख होता है। कभी कभी यह पीड़ा असह्य हो उठती है। मनुष्य जीवन पाकर भी जीवन का अर्थ समझ में नहीं आया। यदि मैं अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच पाया, तो यह जीवन व्यर्थ है। इसकी क्या सार्थकता है?
  • भविष्य अब भी मेरे हाथ में है।
  • मेरे जीवन के अनुभवों में एक यह भी है कि मुझे यह आशा है कि कोई-न-कोई किरण उबार लेती है और जीवन से दूर भटकने नहीं देती।
  • चरित्र निर्माण ही छात्रों का मुख्य कर्तव्य है।
  • मैं चाहता हूँ चरित्र, ज्ञान और कार्य।
  • हमें केवल कार्य करने का अधिकार है। कर्म ही हमारा कर्तव्य है। कर्म के फल का स्वामी वह (भगवान) है, हम नहीं।
  • कर्म के बंधन को तोडना बहुत कठिन कार्य है।
  • मैंने अपने छोटे से जीवन का बहुत सारा समय व्यर्थ में ही खो दिया है।
  • माँ का प्यार सबसे गहरा होता है, स्वार्थ रहित होता है। इसको किसी भी प्रकार नापा नहीं जा सकता।
  • जिस व्यक्ति में सनक नहीं होती, वह कभी भी महान नहीं बन सकता। परन्तु सभी पागल व्यक्ति महान नहीं बन जाते क्योंकि सभी पागल व्यक्ति प्रतिभाशाली नहीं होते। आखिर क्यों ? कारण यह है कि केवल पागलपन ही काफी नहीं है। इसके अतिरिक्त कुछ और भी आवश्यक है।
  • भावना के बिना चिंतन असंभव है। यदि हमारे पास केवल भावना की पूंजी है तो चिंतन कभी भी फलदायक नहीं हो सकता। बहुत सारे लोग आवश्यकता से अधिक भावुक होते हैं। परन्तु वह कुछ सोचना नहीं चाहते।
  • मेरी सारी की सारी भावनाएं मृतप्राय हो चुकी हैं और एक भयानक कठोरता मुझे कसती जा रही है।
  • एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा – निष्ठा, कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है। अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने ह्रदय में समाहित कर लो।
  • एक सच्चे सैनिक को सैन्य और आध्यात्मिक दोनों ही प्रशिक्षण की ज़रुरत होती है।
  • हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो, हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक हो, फिर भी हमें आगे बढ़ना ही है। सफलता का दिन दूर हो सकता है, पर उसका आना अनिवार्य है।
  • परीक्षा का समय निकट देख कर हम बहुत घबराते हैं। लेकिन एक बार भी यह नहीं सोचते कि जीवन का प्रत्येक पल परीक्षा का है। यह परीक्षा ईश्वर और धर्म के प्रति है। स्कूल की परीक्षा तो दो दिन की है, परन्तु जीवन की परीक्षा तो अनंत काल के लिए देनी होगी। उसका फल हमें जन्म-जन्मान्तर तक भोगना पड़ेगा।
  • अपनी ताकत पर भरोसा करो, उधार की ताकत हमेशा घातक होती है।
  • आजादी मिलती नहीं, बल्कि इसे छीनना पड़ता है।
  • जीवन के हर पल में आशा की कोई ना कोई किरण जरुर आती है जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
  • अच्छे विचारों से कमजोरियां दूर होती हैं, हमें हमेशा अपनी आत्मा को उच्च विचारों से प्रेरित करते रहना चाहिए।
  • जो भी तुम कुछ करते हो यह तुम्हारा कर्म है। इसमें किसी भी प्रकार का कोई बंटवारा नही होता है। इसका फल भी तुम्हे ही भोगना होता है।
  • सफल होने के लिए आपको अकेले चलना होगा। लोग तो तब आपके साथ आते हैं जब आप सफल हो जाते हैं।
  • एक व्यक्ति एक विचार के लिए मर सकता है, लेकिन वह विचार उसकी मृत्यु के बाद, एक हजार व्यक्तियों के जीवन में खुद को अवतार ले लेता है।
  • आज़ादी मांगने से नहीं, छीनने से मिलेगी।
  • इतिहास के इस अभूतपूर्व मोड़ पर मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि अपनी अस्थायी हार से निराश न हों, हंसमुख और आशावादी बनें। इन सबसे बढ़कर, भारत के भाग्य में अपना विश्वास कभी ना खोयें। पृथ्वी पर ऐसी कोई शक्ति नहीं है जो भारत को बंधन में रख सके। भारत आजाद होगा और वह भी जल्द ही। जय हिंद।
  • राजनीतिक सौदेबाजी की कूटनीति यह है कि आप जो भी हैं, उससे ज्यादा शक्तिशाली दिखें।
  • केवल पूर्ण राष्ट्रवाद, पूर्ण न्याय और निष्पक्षता के आधार पर ही भारतीय सेना का निर्माण किया जा सकता है।
  • केवल रक्त ही आज़ादी की कीमत चुका सकता है।
  • शाश्वत नियम याद रखें -: यदि आप कुछ पाना चाहते हैं, तो आपको कुछ देना होगा।
  • गुलाम लोगों के लिए आज़ादी की सेना में पहला सैनिक होने से बड़ा कोई गौरव, कोई सम्मान नहीं हो सकता है।
  • एक ऐसी सेना, जिसके पास साहस, निर्भयता और अजेयता की कोई परंपरा नहीं है, वह एक शक्तिशाली दुश्मन के साथ संघर्ष में अपनी खुद की पकड़ नहीं बना सकती। इसलिए स्वतंत्रता के इस युद्ध के दौरान आपको अनुभव प्राप्त करना होगा और सफलता प्राप्त करनी होगी। यह अनुभव और सफलता ही हमारी सेना के लिए एक राष्ट्रीय परंपरा का निर्माण कर सकते हैं।
  • उन कार्यों के लिए अपनी कमर कस लें, जो सामने हैं। मैंने आपसे पुरुष, धन और सामग्री के लिए कहा था। मैंने उन्हें बहुतायत में पा लिया है। अब मैं आपसे और मांग करता हूँ। पुरुष, धन और सामग्री स्वयं जीत या स्वतंत्रता नहीं ला सकती है। हमारे पास उद्देश्य को पूर्ण करने की शक्ति होनी चाहिए, जो हमें बहादुरी के कार्यों और वीरतापूर्ण कारनामों के लिए प्रेरित करे।
  • भारत पुकार रहा है, रक्त रक्त को पुकार रहा है। उठो, हमारे पास व्यर्थ के लिए समय नहीं है। अपने हथियार उठा लो, हम अपने दुश्मनों के माध्यम से ही अपना मार्ग बना लेंगे या अगर भगवान की इच्छा रही, तो हम एक शहीद की मौत मरेंगे।
  • दिल्ली की सड़क स्वतंत्रता की सड़क है। दिल्ली चलो।
  • मुझे आपको याद दिलाना है कि आपको दो गुना कार्य करने हैं। हथियारों के बल और अपने खून की कीमत पर आपको स्वतंत्रता हासिल करनी होगी। फिर, जब भारत स्वतंत्र होगा, तो आपको स्वतंत्र भारत की स्थायी सेना को संगठित करना होगा। जिसका कार्य हर समय अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखना होगा। हमें अपनी राष्ट्रीय रक्षा ऐसी अटल नींव पर बनानी होगी, ताकि हम इतिहास में फिर कभी अपनी स्वतंत्रता न खोयें।

  • तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
  • ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं. हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगी, हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए।
  • आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके। एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके।
  • मुझे यह नहीं मालूम की स्वतंत्रता के इस युद्ध में हममे से कौन कौन जीवित बचेंगे। परन्तु में यह जानता हूँ ,अंत में विजय हमारी ही होगी।
  • राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्श सत्य, शिव और सुन्दर से प्रेरित है ।
  • भारत में राष्ट्रवाद ने एक ऐसी सृजनात्मक शक्ति का संचार किया है जो सदियों से लोगों के अन्दर से सुसुप्त पड़ी थी ।
  • मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि हमारे देश की प्रमुख समस्यायों जैसे गरीबी ,अशिक्षा , बीमारी , कुशल उत्पादन एवं वितरण का समाधान सिर्फ समाजवादी तरीके से ही की जा सकती है ।
  • यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े तब वीरों की भांति झुकना।
  • समझोतापरस्ती बड़ी अपवित्र वस्तु है।
  • मध्या भावे गुडं दद्यात -- अर्थात जहाँ शहद का अभाव हो वहां गुड से ही शहद का कार्य निकालना चाहिए।
  • संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया। मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ ,जो पहले नहीं था।
  • कष्टों का निसंदेह एक आंतरिक नैतिक मूल्य होता है।
  • मुझमे जन्मजात प्रतिभा तो नहीं थी ,परन्तु कठोर परिश्रम से बचने की प्रवृति मुझमे कभी नहीं रही।
  • जीवन में प्रगति का आशय यह है की शंका संदेह उठते रहें और उनके समाधान के प्रयास का क्रम चलता रहे।
  • हम संघर्षों और उनके समाधानों द्वारा ही आगे बढ़ते हैं।
  • हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो ,हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक हो , फिर भी हमें आगे बढ़ना ही है। सफलता का दिन दूर हो सकता है ,पर उसका आना अनिवार्य है।
  • श्रद्धा की कमी ही सारे कष्टों और दुखों की जड़ है।
  • अगर संघर्ष न रहे ,किसी भी भय का सामना न करना पड़े ,तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है।
  • मैं संकट एवं विपदाओं से भयभीत नहीं होता। संकटपूर्ण दिन आने पर भी मैं भागूँगा नहीं वरन आगे बढकर कष्टों को सहन करूँगा।
  • इतना तो आप भी मानेंगे ,एक न एक दिन तो मैं जेल से अवश्य मुक्त हो जाऊँगा ,क्योंकि प्रत्येक दुःख का अंत होना अवश्यम्भावी है।
  • असफलताएं कभी कभी सफलता की स्तम्भ होती हैं।
  • सुबह से पहले अँधेरी घडी अवश्य आती है। बहादुर बनो और संघर्ष जारी रखो ,क्योंकि स्वतंत्रता निकट है।।
  • समय से पूर्व की परिपक्वता अच्छी नहीं होती ,चाहे वह किसी वृक्ष की हो ,या व्यक्ति की और उसकी हानि आगे चल कर भुगतनी ही होती है।
  • अपने कॉलेज जीवन की देहलीज पर खड़े होकर मुझे अनुभव हुआ ,जीवन का कोई अर्थ और उद्देश्य है।
  • निसंदेह बचपन और युवावस्था में पवित्रता और संयम अति आवश्यक है।
  • में जीवन की अनिश्चितता से जरा भी नहीं घबराता।
  • मैंने अमूल्य जीवन का इतना समय व्यर्थ ही नष्ट कर दिया। यह सोच कर बहुत ही दुःख होता है। कभी कभी यह पीड़ा असह्य हो उठती है। मनुष्य जीवन पाकर भी जीवन का अर्थ समझ में नहीं आया। यदि मैं अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच पाया ,तो यह जीवन व्यर्थ है। इसकी क्या सार्थकता है ?।
  • परीक्षा का समय निकट देख कर हम बहुत घबराते हैं। लेकिन एक बार भी यह नहीं सोचते की जीवन का प्रत्येक पल परीक्षा का है। यह परीक्षा ईश्वर और धर्म के प्रति है। स्कूल की परीक्षा तो दो दिन की है ,परन्तु जीवन की परीक्षा तो अनंत काल के लिए देनी होगी। उसका फल हमें जन्म-जन्मान्तर तक भोगना पड़ेगा।
  • मुझे जीवन में एक निश्चित लक्ष्य को पूरा करना है। मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है। मुझे नेतिक विचारों की धारा में नहीं बहना है।।
  • भविष्य अब भी मेरे हाथ में है।
  • मेरे जीवन के अनुभवों में एक यह भी है। मुझे आशा है की कोई-न-कोई किरण उबार लेती है और जीवन से दूर भटकने नहीं देती।
  • मैंने जीवन में कभी भी खुशामद नहीं की है। दूसरों को अच्छी लगने वाली बातें करना मुझे नहीं आता।
  • मैं चाहता हूँ चरित्र ,ज्ञान और कार्य....।
  • चरित्र निर्माण ही छात्रों का मुख्य कर्तव्य है।
  • हमें केवल कार्य करने का अधिकार है। कर्म ही हमारा कर्तव्य है। कर्म के फल का स्वामी वह (भगवान ) है ,हम नहीं।
  • कर्म के बंधन को तोडना बहुत कठिन कार्य है।
  • व्यर्थ की बातों में समय खोना मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता।
  • मैंने अपने छोटे से जीवन का बहुत सारा समय व्यर्थ में ही खो दिया है।
  • माँ का प्यार सबसे गहरा होता है। स्वार्थ रहित होता है। इसको किसी भी प्रकार नापा नहीं जा सकता।
  • जिस व्यक्ति में सनक नहीं होती ,वह कभी भी महान नहीं बन सकता। परन्तु सभी पागल व्यक्ति महान नहीं बन जाते। क्योंकि सभी पागल व्यक्ति प्रतिभाशाली नहीं होते। आखिर क्यों ? कारण यह है की केवल पागलपन ही काफी नहीं है। इसके अतिरिक्त कुछ और भी आवश्यक है।
  • भावना के बिना चिंतन असंभव है। यदि हमारे पास केवल भावना की पूंजी है तो चिंतन कभी भी फलदायक नहीं हो सकता। बहुत सारे लोग आवश्यकता से अधिक भावुक होते हैं। परन्तु वह कुछ सोचना नहीं चाहते।
  • मेरी सारी की सारी भावनाएं मृतप्राय हो चुकी हैं और एक भयानक कठोरता मुझे कसती जा रही है।
  • हमें अधीर नहीं होना चहिये। न ही यह आशा करनी चाहिए की जिस प्रश्न का उत्तर खोजने में न जाने कितने ही लोगों ने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया ,उसका उत्तर हमें एक-दो दिन में प्राप्त हो जाएगा।
  • एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा निष्ठा कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है. अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने ह्रदय में समाहित कर लो।
  • याद रखें अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना सबसे बड़ा अपराध है।
  • एक सच्चे सैनिक को सैन्य और आध्यात्मिक दोनों ही प्रशिक्षण की ज़रुरत होती है।
  • स्वामी विवेकानंद का यह कथन बिलकुल सत्य है ,यदि तुम्हारे पास लोह शिराएं हैं और कुशाग्र बुद्धि है ,तो तुम सारे विश्व को अपने चरणों में झुक सकते हो।

सुभाष चन्द्र बोस के बारे में मंतव्य

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  • रक्तेन भाव्यं स्वातन्त्र्ययज्ञम् न भिक्षया वा सत्याग्रहेण ।
आज़ादहिन्दस्य प्रवर्तकः सः सुभाषचन्द्रः जयतु सदैव ॥
स्वतंत्रता का यज्ञ रक्त की समिधा से होता है, भिक्षा या सत्याग्रह से नहीं। ये बताने वाले आज़ाद हिन्द के निर्माता सुभाषचन्द्र की जय हो !!
  • "सुभाष चन्द्र बोस राष्ट्रभक्तों के राजा हैं…."
    • महात्मा गाँधी, Collected Works of Mahatma Gandhi (Ahmedabad: The Publications Division, Ministry of Information and Broadcasting, Government of India, Navajivan Trust, 1972–78), Volume LXXXIII, p. 135
  • "नेताजी सुभाष भारत को एक स्वाधीन व गौरवशाली देश बनने के लिए प्रेरणा दी थी । भारत की धरती पर स्वाधीन सरकार बनाने वाले वे पहले व्यक्ति थे ।"
  • "नेताजी कटक के धरती पुत्र हैं । कटक भूमि उनके प्राण में सेवा, संघर्ष और त्याग का मंत्र जागृत की।"
  • आज पराक्रम दिवस पर मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और देश के इतिहास में उनके अतुल्नीय योगदान को याद कर रहा हूं। वह अंग्रेजी शासन का उग्र प्रतिरोध करने के लिए जाने जाएंगे। उनके विचारों से मैं बेहद प्रभावित हूं, हम भारत के लिए उनके विजन को हकीकत बनाने के लिए काम कर रहे हैं। -- नरेद्र मोदी, २३ जनवरी २०२३
  • अपनी अद्वितीय नेतृत्व क्षमता से नेताजी ने लोगों को संगठित किया और ‘आजाद हिंद फौज’ बनाकर आजादी के लिए सशस्त्र आंदोलन किया। उनके साहस और संघर्ष को पूरा देश नमन करता है।-- -- अमित शाह, २३ जनवरी २०२३

संदर्भ

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  1. प्रधान, डॉ तपन कुमार (2021). कालाहांडी - द ऑनटोलड स्टोरी. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-945797-1-7. 

बाह्य सूत्र

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सुभाष चन्द्र बोस के अनमोल वचन

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