हास्य योग
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बिना किसी वाह्य कारण के, प्रयत्नपूर्वक लम्बे समय तक हंसने की क्रिया को हास्ययोग कहते हैं। हास्ययोग इस विश्वास पर आधारित है कि हास्ययोग से भी वही सारे लाभ होते हैं जो अनायास हंसने से मिलते हैं। हास्ययोग प्रायः समूह में किया जाता है जिसमें एक-दूसरे से आँख से आँख मिलाकर, चुटकुले सुन-सुनाकर, तथा अन्य खिलवाड़ करके हास्य पैदा किया जाता है।
१९६० के दशक में हास्ययोग को प्रायः पार्कों में सुबह के समय आयोजित किया जाता था जिसमें प्रायः वृद्ध लोग भाग लेते थे।