लहरबाज़ी
लहरबाज़ी या लहरसवारी या तरंगक्रीडा (अंग्रेज़ी: surfing, सरफ़िंग) समुद्र की लहरों पर किया जाने वाला एक खेल है जिसमें लहरबाज़ (सरफ़र) एक फट्टे पर संतुलन बनाकर खड़े रहते हुए तट की तरफ़ आती किसी लहर पर सवारी करते हैं। लहरबाज़ों के फट्टों को 'लहरतख़्ता' या 'सर्फ़बोर्ड' (surfboard) कहा जाता है। लहरबाज़ी का आविष्कार हवाई द्वीपों के मूल आदिवासियों ने किया था और वहाँ से यह विश्वभर में फैल गया।[1]
ओलिंपिक खेलों
2016 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) द्वारा जापान में [[२०२० ग्रीष्मकालीन ओलंपिक] में शुरू होने वाले ओलंपिक खेल के रूप में सर्फिंग को जोड़ा गया था। [2] टोक्यो 2020 सर्फिंग पुरुषों और महिलाओं की प्रतियोगिताओं के पहले स्वर्ण पदक विजेता क्रमशः ब्राज़ीलियाई Íतालो फेरेरा और हवाई से अमेरिकी कैरिसा मूर थे। [3][4]
लहरबाज़ी के प्रकार
खड़े होकर करी जाने वाली लहरबाज़ी में दो प्रकार के लहरतख़्ते इस्तेमाल होते हैं: छोटे तख़्ते (shortboard, शॉर्टबोर्ड) और लम्बे तख़्ते (longboard, लॉन्गबोर्ड)। इनके अकार से इनपर सवारी करने की शैलियाँ भी अलग होती हैं। किश्ती से खींच कर करी गई लहरबाज़ी (tow-in surfing, टो-इन सरफ़िंग) में एक मोटर-चालित लहरबाज़ को ऊँची लहरों की उच्चतर गति के बराबर की रफ़्तार देता है जो बिना नाव की मदद के लहरबाज़ नहीं पा सकता।
पतंग लहरबाज़ी (kite surfing, काइट सर्फ़िंग) और हवा लहरबाज़ी (wind surfing, विंड सर्फ़िंग) में हवा की ताक़त से लहरबाज़ वेग पकड़ता है। पैडलतख़्ते (paddleboard, पैडलबोर्ड) और कायैक (kayak) में लहरों की ज़रुरत नहीं होती और चप्पू का इस्तेमाल किया जाता है। इन सभी में चप्पू और हवा के अतिरिक्त लहरों की शक्तियों का भी प्रयोग किया जा सकता है। कभी-कभी शक्तिशाली इंजन वाली नौकाओं के ज़रिये भी पानी में लहरें बनाई जा सकती हैं और लहरबाज़ इनपर सवारी कर सकते हैं।
इतिहास
लहरबाज़ी प्राचीन पोलिनीशियाई संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हुए करती थी। सन् १७६७ में 'डॉल्फिन' नामक समुद्री जहाज़ में ताहिती पहुँचे यूरोपियों ने पहली दफ़ा वहां के वासियों को लहरबाज़ी करते हुए देखा। १७६९ में 'एन्डेवर' नामक जहाज़ पर खोजयात्री कप्तान जेम्स कुक के दस्ते ने भी ताहिती में यह देखा। उन्होने हवाई में भी लहरबाज़ी देखी। उसपर यात्रा कर रहे एक सदस्य लेफ़्टेनेन्ट जेम्स किंग ने बाद में इंग्लैण्ड लौटकर १७७९ में इसका वर्णन लिखा।[5] १८६६ में जब अमेरिकी लेखक मार्क ट्वेन ने हवाई का दौरा किया तो उन्होंने लिखा कि "एक जगह हम बहुत से नंगे आदिवासियों के झुण्ड में आ पहुँचे, जो दोनों लिंगों और हर उम्र के थे और लहर-स्नान के राष्ट्रीय खेल का मज़ा ले रहे थे"।[6] सामोआ में भी तख़्तों और डोंगीनुमा पेंदियों पर प्राचीनकाल में लहरबाज़ी होती थी और वहाँ इस खेल को "फा'एसे'ए (fa'ase'e)" या "से'ईगालु (se'egalu)" कहा जाता था। इन बाक़ी पोलिनीशियाई जगहों की तरह, टोंगा में भी लहरबाज़ी होने का वर्णन है।
लहरों की उत्पत्ति
समुद्र जैसे बड़े क्षेत्रफल में खुले पानी पर लगातार हवा चलने से लहरों का महातरंग उत्पन्न होता है जिसे आनयन (swell, स्वेल) कहते हैं। आनयन कितना अधिक होगा, यह हवा की गति और बहाव के काल पर निर्भर करता है। इस वजह से लहरों का आनयन वहाँ ज़्यादा होता है जहाँ हवा का कम दबाव हो (क्योंकि वहाँ अन्य जगहों से हवा तीव्र गति से खिंची चली आती है) और जहाँ कोई लम्बा तट खुले समुद्र पर स्थित हो। हवा का स्थानीय बहाव लहरों पर काफ़ी असर रखता है। अगर किनारे से थोड़ी ही दूरी पर हलकी या माध्यम हवा चल रही हो तो वह लहर के आगे चलकर उसे एक गोल ढोल या ट्यूब का अकार दे देती है जो लहरबाज़ी के लिए ज़्यादा आनंदायक है। अगर हवा ज़्यादा तेज़ हो तो पानी को उत्तेजित और लहरबाज़ी के लिए ख़राब कर देती है। लहर के पीछे और उसके नीचे के समुद्री फर्श का भी लहर पर गहरा असर पड़ता है। पानी में अगर रीफ़ हो तो वह लहरों के अकार को बदल देती है। आधुनिक तकनीकों से फर्श और हवा को मापा जा सकता है और आगे लहरें कैसे होने वाली हैं इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है। लहरबाज़ों को तट पर जाने से पहले यह भविष्यवानियाँ रेडियो, अख़बारों और इन्टरनेट के ज़रिये मिल जाती हैं।
मौसम और स्थान के अनुसार महातरंगों का नियम बदलता रहता है। सर्दियों में जब उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवीय अग्रभाग भूमध्य रेखा की ओर बढ़ती है तो सघन महातरंग मध्य-अक्षांश (मिड-लैटिट्यूड) में उत्पन्न होती है। पूर्व की ओर चलती शक्तिशाली पश्चिमी हवाओं की वजह से देशों के पश्चिमी तटों पर सबसे ऊँची लहरें सर्दियों में देखी जाती हैं। लेकिन मध्य-अक्षांश पर होने वाले चक्रवात (साइक्लोन) के सिलसिले वक़्त-वक़्त पर इन महातरंगों को ऊष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) क्षेत्रों की तरफ धकेल देते हैं। उप-ऊष्णकटिबंधीय (सबट्रॉपिकल) इलाक़ों के पूर्वी तटों पर भी कभी-कभी कम दबाव के क्षेत्र बन जाते हैं क्योंकि वहाँ ज़्यादा दबाव वाली हवाएँ कभी-कभी कम गति पर पहुँच पाती है। इस से यहाँ पूर्वी तटों पर ऊँची महातरंगे देखी जाती हैं। गर्मियों में, उष्ण क्षेत्र में चक्रवातों से भारी महातरंगे पैदा होती हैं। यह चक्रवात गर्म समुद्र में उत्पन्न होते है, इसीलिए एल नीनो (El Niño) और ला नीना (La Niña) चक्र से प्रभावित होते है। ऐसे चक्रवातों की दिशा का कोई भरोसा नहीं। यह कभी पश्चिम को भी निकल जाते हैं जैसे कि १९७९ में कॅरी चक्रवात (Cyclone Kerry) के साथ हुआ। यह कमज़ोर पड़कर ग़ायब होने से पहले तीन हफ़्तों तक कोरल सागर और ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड प्रान्त पर मंडराता रहा।
लहर की शक्ति
वर्गीकरण मानदंड
- लंबाई से चौड़ाई अनुपात (रेशो) द्वारा ट्यूब आकार परिभाषित
- वर्ग (चकोर, स्क्वेयर): <१:१
- वृत्त (बेलनाकार): १-२:१
- बादामी: >२:१
- पील लाइन के कोण से ट्यूब गति जानी जाती है
- तेज: ३०°
- मध्यम: ४५°
- धीमी गति: ६०°
तेज़ | मध्यम | धीमी | |
---|---|---|---|
वर्ग | कोबरा | टीहुपू (Teahupoo) | शार्क द्वीप |
वृत्त | स्पीडीज (Speedies), ग्नारालू (Gnaraloo) | बंजाई पाइपलाइन (Banzai Pipeline) | |
बादामी आकार | लगुन्द्री बे, सुपरबैंक | जेफ्रीज़ बे, बेल्स बीच | अंगॉरी प्वाइंट |
कृत्रिम रीफ़ें
कुछ तटीय क्षेत्रों में लहरबाज़ सैलानियों को ऊँची लहरों से आकर्षित करने के लिए बनावटी रीफ़ों का निर्माण किया जाता है। यह पानी में रेत की बोरियाँ या कोंक्रीट की बड़ी सिल्लियाँ डुबो कर बनाई जाती हैं। कभी-कभी कोई डूबी हुई बड़ी किश्ती भी एक रीफ़ का काम करती है। यह रीफ़ें न सिर्फ़ लहरबाज़ी के लिए अच्छी होती है बल्कि बीच को भी समय के साथ समुद्र द्वारा खाए जाने से बचाती हैं। दक्षिण अफ़्रीका के केपटाउन इलाक़े की टेबल खाड़ी में 'सेली १' नामक तुर्की जहाज़ २००९ में डूब गया और अब वहाँ अच्छी लहरें बनाने का काम कर रहा है। दक्षिण भारत के कोवलम तट में स्थानीय लोगों ने एक कृत्रिम रीफ़ बनाई तो तट की रक्षा कर रहा है और लहरबाज़ी के लिए अच्छी लहरें भी देता है। इसके विपरीत दक्षिण कैलिफ़ोर्निया के एल सेगुन्दो तट पर 'शेव्रोन रीफ़' नामक एक कृत्रिम रीफ़ बनाई गई लेकिन उस से अच्छी लहरें नहीं बनने से रीफ़ बनाने वालों की उम्मीदों पर पानी फिर गया।
लहरबाज़ी की लोक-संस्कृति
लहरबाज़ लहरबाज़ी पर आधारित एक विविध संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। कुछ लोग लहरबाज़ी का अभ्यास शौकिया गतिविधि के रूप में करते हैं, जबकि अन्य इसे अपने जीवन का केंद्रीय विषय मानते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया, फ़्लोरिडा और हवाई राज्यों में लहरबाज़ी संस्कृति सबसे अधिक प्रभावशाली है। इस से सम्बंधित चीज़ों में 'वुडी' (woodie) शामिल है - यह एक लम्बी स्टेशनवैगन गाड़ी होती है जिसपर लहरतख़्ते लादकर ले जाए जाते हैं। लहरबाज़ों को 'ब्रोडशोर्ट्स' (broadshorts) नामक एक लम्बी नेकर भी पहननी पसंद होती है। लहरबाज़ी सम्बंधित माल की बिक्री में हर साल अब दसियों अरबों डालर का माल ख़रीदा-बेचा जाता है। लहरबाज़ी न करने वाले भी इस खेल से सम्बंधित होने के लिए इसके चिह्न अपनाते हैं।
लहरबाज़ एक-दुसरे को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करते हैं:
- प्रो (प्रोफ़ेशनल या Pro) - यह माहिर लहरबाज़ होते हैं और उपजीविका ले लिए लहरबाज़ी सिखाते हैं साथ ही बड़े इनामों वाली प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। यह विभिन्न कम्पनियों के विज्ञापनों में काम करके भी पैसे कमाते हैं।
- औसत (average) - यह आम लहरबाज़ होते हैं जो लहरों पर सवारी करते हुए खड़े रह सकते हैं और जिन्हें आसानी से मुड़ना आता है।
- कूक (kook) - यह नौसिखिये होते हैं। लहरबाज़ी करते हुए यह गिरते रहते हैं। इनको औसत बनने के लिए अभ्यास करना होता है।
लहरबाज़ों की आपसी बातचीत से भी बहुत से नए शब्द पैदा हुए हैं:
- ब्राह (brah) - यानि 'मेरे भाई'। यह 'ब्रदर' को सिकोड़कर बना है।
- ऐग्रो (aggro) - नाराज़ होना। यह 'ऐग्रावेट' (aggravate) को सिकोड़कर बना है।
- बिचिन (bitchin') - कमाल की चीज़ या कारनामा।
- बारनी (Barney) - नौसिखिया।
- कार्व (carve) - तेज़ी से लिया गया एक बहुत ही तंग मोड़।
- श्रेडिंग (shredding) - यानि 'चीथड़े करना'। इसका अर्थ है बहुत आक्रामक तरीक़े से ख़तरनाक लहरबाज़ी करना।
कुछ लहरबाज़ इस खेल में इतने डूबे हुए थे कि उन्हें अनुकूल लहरों कि स्थिति न होने पर भी इस से मिलता कुछ करना था। इस चेष्टा में उन्होंने तख़्तों के नीचे पहिये लगाकर 'पैदलपथ लहरबाज़ी' (sidewalk surfing, साइडवॉक सर्फ़िंग) शुरू कर दी। इसे अब 'स्केटबोर्डिन्ग' (skateboarding) कहा जाता है। आगे चलकर यह पहाड़ियों पर बर्फ़ के ऊपर तख़्तों पर भी खेला जाने लगा और इस खेल का नाम 'स्नोबोर्डिन्ग' (snowboarding) पड़ा।
कौशल
लहर पर सवारी करने के लिए लहरबाज़ अपने लहरतख़्ते पर लेट के तट से समुद्र में निकल जाता है। वह अपने हाथों को पतवार बनाकर तैरकर समुद्र में कुछ दूर निकलता है। फिर वह मुड़कर तट का सामना करता है और उस तरफ़ अपने तख़्ते को ले जाते हुए तट कि तरफ़ जाती हुई लहर की गति की बराबरी करने की कोशिश करता है। जहाँ लहर नीचे पानी पर पटक रही होती है वहाँ पानी में झाग बनने से उसे 'सफ़ेद पानी' (white water, व्हाईट वॉटर) कहा जाता है। लहरबाज़ इस सफ़ेद पानी से आगे रहने की कोशिश करता है। नौसिखियों के लिए लहर को पकड़ना ही मुश्किल होता है, जबकि माहिर लहरबाज़ लहर को बीच में पकड़ते हैं और खड़े हो जाते हैं और फिर 'लहर के कंधे' की तरफ़ अपना तख़्ते को बढ़ाते हैं (जहाँ वह लहर टूट रही होती है)। नौसिखिये अक्सर कन्धों पर ही चढ़ पाते हैं और अक्सर माहिर लहरबाज़ों के रस्ते में आ जाते हैं। लहरबाज़ी में माहिर उसे माना जाता है जो लहर के बदलते रूख़ को समझकर हर परिस्थिति में अपने तख़्ते पर टिका रहे और उसे मनचाही दिशा में ले जाने की क्षमता रखता हो। आजकल लहरबाज़ी में एक 'एयर' (air यानि 'हवा') नाम का नया अंदाज़ भी निकला है जिसमें लहर से तेज़ी पकड़ा हुआ लहरबाज़ अपने तख़्ते पर खड़ा-खड़ा पानी नीचे छोड़कर हवा में कुछ पलों के लिए उड़ जाए और फिर लहर पर नीचे संतुलित तरीक़े से आ टिके।
ट्यूब की सवारी
लहरबाज़ी के इस खेल में ट्यूब की सवारी युक्ति या कौशल का प्रदर्शन है। जब कोई लहर टूटना शुरू होती है, तो जैसे ही रेल के टीले या चट्टान के नीचे उतरती है यह अक्सर एक खोखली धारा का निर्माण करती है, जो एक अनुभवी लहरबाज़ को लहर के खोखला भाग में खुद को स्थित करने में सक्षम करती है, इसे ट्यूब भी कहा जाता है। लहरबाज़ पूरी तरह से कई सेकंड के लिए पानी से घिर सकता है (कभी-कभी इससे ज्यादा देर तक, यह लहर पर निर्भर करता है); तब तक, जब तक कि लहर ट्यूब से बाहर निकलने और लहर के खुले मुंह से वापस पीछे जाने के लिए बाध्य न करे. ट्यूब में सवारी करते समय डिग्री की कठिनाई के कारण सफाई से ट्यूब को पार नहीं करके लहरबाज़ अक्सर सर्फ़बोर्ड से गिर पड़ते हैं। ट्यूब सवारी का पक्का कौशल सिर्फ खोखली लहरों की वर्षों की सवारी के अनुभव से ही प्राप्त हो सकता है और इसके लिए यह अनुमान लगाना सीखना भी जरुरी है की लहरें कैसे टूटेंगी, इस प्रकार आप ट्यूब के अन्दर अधिक समय रहने में सक्षम हो सकेंगे, या आप पर लहरों के टूट पड़ने से पहले वहां से निकलने में सक्षम हो सकेंगे. ट्यूब की सवारी के लिए दुनिया की सबसे अच्छी ज्ञात लहरों में ओआहू के उत्तरी तट पर पाइपलाइन, ताहिती में टीहुपू और जावा के जी-लैंड की लहरें शामिल हैं।
हैंगिंग टेन और हैंगिंग फाइव आमतौर पर लौंगबोर्डिंग विशिष्ट चाल हैं। बोर्ड के सामने के छोर पर दोनों पैर रखने और छोर पर लहरबाज़ के पांव की उंगलियों के टिके होने से हैंगिंग टेन संदर्भित है, जिसे नोजराइडिंग के नाम से भी जाना जाता है। हैंगिंग फाइव में सामने के करीब सिर्फ एक पैर रहता है, पैर की उंगलियां छोर पर टिकी होती हैं। प्रारंभिक कैलिफोर्निया लहरबाज़ी तटों से जेम्स (रिप) कारमैन द्वारा पहली बार हैंगिंग टेन प्रसिद्ध हुआ।
कटबैक: पंक्ति में गति पैदा करना और फिर विपरीत दिशा में मुड़ जाना. एक तेज लहर के बाद धीमी लहर धारा के साथ तालमेल रखने में सवार को धीमा करने में इसका प्रभाव पड़ता है, उदाहरण के लिए कूद जाना.
फ्लोटर: लहर के शीर्ष पर सवारी करना और फिर वहां से नीचे उतर आना. लहर धारा जब समाप्त होने लगती है तब इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। छोटी लहरों में बहुत आसान और लोकप्रिय है।
टॉप-टर्न: लहर के शीर्ष पर सरल टर्न या मुड़ना. कभी-कभी गति उत्पन्न करने के लिए और कभी-कभी फुहारे उड़ाने के लिए इसका उपयोग होता है।
एयर/एरियल: हवा में लहर के शीर्ष पर सवारी. इसमें ओलीज, लिएन एयर्स, मेथड एयर्स और अन्य स्केटबोर्ड एयर्स सहित कई प्रकार शामिल हैं।
लहरबाज़ी की शब्दावलियां
लहरबाज़ी सीखना
हवाई, कैलिफोर्निया, फ्लोरिडा, चिली, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और कोस्टारिका जैसे लोकप्रिय लहरबाज़ी स्थलों में सिखाने के लिए सर्फ स्कूल और सर्फ शिविर हैं। नौसिखुओं और मध्यवर्तियों के लिए सर्फ शिविर हैं, जहां बुनियादी लहरबाज़ी पर केंद्रित कई दिनों के सबक सिखाये जाते हैं। उन्हें नए लहरबाज़ बनने के लिए तैयार किया जाता है और कुशल सवार बनने में उनकी मदद की जाती है। सर्व-समावेशी सर्फ शिविरों में रात्रि आवास, भोजन, प्रशिक्षण और सर्फ़बोर्ड प्रदान किये जाते हैं। लौंगबोर्ड पर शिक्षार्थियों को लहरों में प्रशिक्षकों द्वारा ठेलकर अधिकांश सबक की शुरुआत होती है। लौंगबोर्ड को सीखने के लिए आदर्श सर्फ़बोर्ड माना जाता है, इसकी वजह यह है कि छोटे बोर्डों की तुलना में इसमें अधिक पैडलिंग गति होती है। नौसिखुओं के लिए फनबोर्ड्स एक लोकप्रिय आकार के होते हैं, क्योंकि ये एक छोटे आकार के निष्पाद्य सर्फ़बोर्ड के साथ लौंगबोर्ड की तीव्रता और स्थिरता को संयुक्त करते हैं।[7]
आम तौर पर लहरबाज़ी अनुदेश एक-एक को अलग से दिया जाता है, लेकिन यह काम समूह में भी किया जा सकता है। कोस्टा रिका और हवाई जैसे लोकप्रिय सर्फ स्थान नौसिखुओं के लिए एकदम सही परिस्थितियां प्रदान करते हैं, साथ ही अग्रणी प्रशिक्षुओं के लिए भी चुनौतीपूर्ण अवसर हैं। सीखने के लिए सर्फ स्थान आम तौर पर उपयुक्त स्थितियां प्रदान करती हैं जो अनुदेश के लिए अधिक अनुकूल होती हैं, खासकर निरंतर रेत पट्टियां या नीचे की रेतीली अड़चन.
लहरबाज़ी कई कौशल में बांटे जा सकते है: लहर को पकड़ने के लिए कूदने की स्थिति का निर्धारण, पॉप-अप और लहर पर स्थिति स्थापन. पैड़लिंग के लिए ताकत की आवश्यकता होती है, लेकिन आनेवाली लहरों से बचने के लिए तकनीकी महारत भी जरुरी है (डक डाइविंग, एस्किमो रोल)। कूदने या गोता मारने की स्थिति निर्धारण के लिए लहर की स्थिति और उनके टूटने की जगह का अनुमान लगाने के लिए अनुभव की आवश्यकता है। जैसे ही लहर बोर्ड को आगे धक्का देने लगे लहरबाज़ को जल्द ही पॉप-अप (अचानक बाहर आना) करना चाहिए। लहर की विशेषताओं को समझते हुए और वे किस जगह टूटेंगी इसका अनुमान लगाने के अनुभव के जरिये ही लहर पर पसंदीदा स्थिति का निर्धारण होता है।[8]
एक सर्फ़बोर्ड पर खड़ा होने में संतुलन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसीलिए, अच्छी तरह से संतुलन प्रशिक्षण अभ्यास कराया जाता हैं। संतुलन बोर्ड या स्विंग बोर्डिंग के साथ संतुलन का अभ्यास नौसिखुओं को इस कला में महारत हासिल करने में मदद करता है।
उपकरण
सर्फ़बोर्ड्स, लौंगबोर्ड्स, स्टैंड अप पैडल बोर्ड्स (SUP's), बॉडीबोर्ड्स, बोगीबोर्ड्स, वेव स्किस, स्कीमबोर्ड्स, नीबोर्ड्स, सर्फ्स मैट्स और मक्का के ट्रे सहित विभिन्न उपकरणों पर लहरबाज़ी की जा सकती है।
सर्फबोर्ड मूलतः ठोस लकड़ी से बनाये जाते थे और जो बड़े होते थे और भारी भी (अक्सर 12 फीट (3.7 मी॰) तक लंबे और 100 pounds (45 kg))। हल्के बालसा लकड़ी के सर्फ़बोर्ड (1940 के दशक के अंत और 1950 के दशक के शुरू में पहले-फल बने) में महत्वपूर्ण सुधार किये गये, न सिर्फ संहवरणात्मकता की दृष्टि से बल्कि बढे हुए कौशल में भी.
अधिकांश आधुनिक सर्फ़बोर्ड्स एक या अधिक लकड़ी की पट्टियों या "स्ट्रिंगर्स", फाइबरग्लास क्लोथ और पोलिएस्टर रेजिन के साथ पोल्युरीथेन फोम (PU) से बनते हैं। एक उभरती हुई बोर्ड सामग्री है एपोक्सी (EPS), जो पारंपरिक फाइबरग्लास से मजबूत और हलकी होती है। यहां तक कि नयी डिजाइनों में भी कार्बन फाइबर और परिवर्ती-लचीले यौगिकों जैसी सामग्रियों को शामिल किया जा रहा है।
चूंकि एपोक्सी सर्फ़बोर्ड हल्के होते हैं, इसलिए वे उसी माप, आकार और मोटाई के फाइबर ग्लास बोर्ड की तुलना में कहीं बेहतर तैर सकते हैं। इससे इन्हें पानी में तेज चलाने में आसानी होती है। हालांकि, EPS बोर्डों के बारे में एक आम शिकायत यह है कि वे एक पारंपरिक फाइबर ग्लास बोर्ड की तरह अधिक फीडबैक नहीं देते. इस कारण से, अनेक अगुआ लहरबाज़ फाइबर ग्लास से बने सर्फ़बोर्ड पसंद करते हैं।
अन्य उपकरणों पैड शामिल हैं एक पट्टा (गिरने के बाद बोर्ड को बहने से बचाने के लिए और अन्य लहरबाज़ से टक्कर को रोकने के लिए), सर्फ़ वाक्स, ट्रेक्शन पैड्स (बोर्ड के डेक से लहरबाज़ के पैरों को फिसलने से बचाने के लिए) और फिन्स (जिसे स्केग्स के नाम से भी जाना जाता है), जिन्हें स्थायी रूप से लगाया जाता है (ग्लास्ड-ऑन) या जो अन्तर्निमेय होते हैं।
स्पोर्ट्सवीयर के लिए डिजाइन किये गये या विशेष रूप से लहरबाज़ी के उपयुक्त बोर्डवीयर (यह शब्द स्नोबोर्डिंग में भी इस्तेमाल होता है) बेचे जा सकते हैं। गर्म मौसम में तैराकी वस्त्र, सर्फ ट्रंक्स या बोर्डशॉर्ट्स अर्थात जांघिये और कभी-कभी रैश गार्ड्स भी पहने जाते हैं; ठंडे पानी में निम्न तापमान से सुरक्षा के लिए लहरबाज़ बरसाती कपड़े, जूते, कनटोप और दस्ताने पहनते हैं। टाइटेनियम की एक पतली परत के साथ एक नया रैश वस्त्र आया है, जो गतिशीलता में कमी किये बिना अधिकतम गर्मी प्रदान करता है।
आजकल बहुत सारे माप, आकार और डिजाइन के सर्फबोर्ड उपयोग में हैं। आधुनिक लौंगबोर्ड जो आमतौर पर लंबाई में 9 से 10 फीट (3.0 मी॰) होते हैं, पुराने सर्फबोर्ड की याद दिलाते हैं, लेकिन सर्फबोर्ड के आकार और फ़िन डिजाइन में अब आधुनिक बदलाव लाभदायक हैं। प्रतियोगी लौंगबोर्ड लहरबाज़ों को वाकिंग कौशल में माहिर होने की जरूरत है, साथ ही लघु-त्रिज्या वाला घुमाव सामान्य रूप से शॉर्टबोर्ड लहरबाज़ी से संबद्ध है।
आधुनिक शॉर्टबोर्ड की शुरूआत 1960 के दशक के अंत में हुई और यह आज के सामान्य थ्रस्टर स्टाइल से जुड़ गया है, इसमें तीन फिन होते हैं, आमतौर पर चारों तरफ 6 से 7 फीट (1.8 से 2.1 मी॰) लंबाई में. थ्रस्टर का आविष्कार ऑस्ट्रेलियाई निर्माता साइमन एंडरसन द्वारा किया गया था।
मध्यम आकार का बोर्ड फनबोर्ड कहलाता है, जो लौंगबोर्ड से कहीं अधिक गतिशीलता प्रदान करता है, इसमें अक्सर लौंगबोर्ड की तुलना में कहीं ज्यादा फुर्ती की जरूरत पड़ती है। बहुत सारे लहरबाज़ को लगता है कि फनबोर्ड अपने नाम के अनुरूप है, दोनों ही तरह के लहरबाज़ी मोड्स के लिए यह सर्वोत्तम है, जबकि अन्य लहरबाज़ इसकी आलोचना भी करते हैं।
- "यह औसत दर्जे के लिए मजे लेने का माध्यम है," स्टीवन कोटलेर लिखते हैं। "फनबोर्ड सवार के लिए कुछ साबित करने को नहीं रह जाता है और न ही कुछ साबित करने के लिए कौशल की कमी होती है।"[9]
और भी बहुत सारे आला स्टाइल हैं, जैसे कि एग, एक लौंगबोर्ड-स्टाइल का शॉर्ट बोर्ड ऐसे लोगों को ध्यान में रख कर बनाया गया है जो शॉर्ट की सवारी करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें पैडल करने की ताकत की ज्यादा जरूरत है। फिश एक बोर्ड है, जो खास तौर पर थोड़ा छोटा, सपाट और सामान्य बोर्ड से थोड़ा चौड़ा, अक्सर विभाजित पूंछ वाला (सैलो टेल के रूप में जाना जाता है) होता है। फिश में आमतौर पर दो या चार फिन्स होते है और छोटे तरंगों पर लहरबाज़ी के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए होते हैं। बड़ी लहरों के लिए एक लंबा, मोटा बोर्ड गन, होता है, जिसका अगला और पिछला हिस्सा नुकीला (पिन टेल कहलाता है) होता है, विशेष रूप से यह बड़ी लहरों के लिए डिजाइन किया गया होता है।
लहरबाज़ी के प्रसिद्ध स्थान
मैवरिक्स (कैलिफोर्निया)
मैवरिक्स उत्तरी कैलिफोर्निया में विश्व-विख्यात लहरबाज़ी स्थान है। यह पीलर प्वाइंट हार्बर के तट से लगभग आधा मील (0.8 किमी) की दूरी पर प्रिंस्टन-बाई-द-सी के गांव हाफ मून बे के एकदम उत्तर में स्थित है। उत्तरी प्रशांत महासागर में प्रचंड ठंड के तूफानी मौसम में लहरें नियमित तौर पर चोटी पर 25 फीट (8 मीटर) और शीर्ष से बाहर 50 मीटर (15 मीटर) हो सकती हैं। पानी के नीचे असामान्य आकार में चट्टानों का निर्माण इस ब्रेक का कारण है।
पाइपलाइन (ओआहू, हवाई)
हवाई के ओआहू के उत्तरी तट पर पुपुका के एहुकई बीच पार्क गामी स्थान पर पाइपलाइन नामक सर्फ रिफ ब्रेक स्थित है। स्थान कुख्यात और उथले पानी में बड़े-बड़े लहरों के टूटने के लिए प्रसिद्ध है; यहां नुकीले और गुफाओंवाला चट्टान जो कि पानी का खोखला और मोटा-सा छल्ला बनाते है, जिसमें भीतर लहरबाज़ सवारी कर सकता है। यहां पाइपलाइन में तीन चट्टान हैं जो उत्तरोत्तर और भी गहरे होते जाते हैं, जहां महासागर की महातरंगों द्वारा प्रयुक्त विभिन्न स्तरवाली क्षमता सक्रिय होती है।
टीहूपो (Teahupoo) (ताहिती)
टीहूपो (जिसका उच्चारण चो-पो है) दुनिया का जाना माना लहरबाज़ी स्थान है जो दक्षिण प्रशांत महासागर, फ्रांसीसी पोलीनेशिया, ताहिती के द्वीपों के दक्षिर-पश्चिम सुदूर पर स्थित है। यह भारी और पारदर्शी लहरों के लिए जाना जाता है, जो अक्सर 2 से 3 मीटर तक (7 से 10 फीट तक) और इससे ऊंचा जाता है। यह सालाना प्रो ताहिती सर्फ प्रतियोगिता के बिलबोर्ड का स्थान है, जो पेशेवर लहरबाज़ी सर्किट के एएसपी वर्ल्ड टूर (ASP World Tour) के वर्ल्ड चैंपियनशिप टूर (डब्ल्यूसीटी (WCT) का हिस्सा है।
खतरे
डूब कर मरना
पानी के सभी खेलों की तरह लहरबाज़ी में भी डूब कर मरने का खतरा अंतर्निहित है। हालांकि बहते रहने में बोर्ड सहायक होता है, लेकिन चूंकि यह उपयोगकर्ता से अलग होता है, इसीलिए ऊपरी तौर पर तैरते रहने के लिए इस पर आश्रित नहीं हुआ जा सकता है।[10] एक पट्टा, जो टखने या घुटने से बंधा होता है, लहरबाज़ को बोर्ड से सुविधा के लिए जोड़े रखता है, लेकिन लहरबाज़ को डूबने से बचा नहीं सकता. स्थापित नियम यह है कि अगर लहरबाज़ बगैर अपने बोर्ड के पानी की स्थिति को संभाल नहीं सकता या सकती है तो उसे दूर नहीं जाना चाहिए। पानी के नीचे लहरबाज़ द्वारा पकड़े गए चट्टान के पट्टा से उलझ जाने के परिणामस्वरूप डूबने की कुछ घटना घटी है। वैमा या मावेरिक्स जैसी तरंगों में पट्टा अवांक्षनीय हो सकता है, क्योंकि पानी बोर्ड को बहुत दूर तक खींच कर ले जा सकता है, जिसे लहरबाज़ लहर के नीचे पकड़े हुए होता है।
टक्कर
गलत स्थिति में पड़ जाने पर, लहरबाज़ का शरीर रेल की टीले, चट्टान, चट्टान, सर्फबोर्ड और अन्य लहरबाज़ समेत किसी भी चीज के साथ संपर्क में आने से खतरा खड़ा हो जाता है।[11] इन चीजों के साथ टक्कर होने से कभी कभी बेहोशी, या यहाँ तक कि मौत भी हो सकती है।
सर्फ तक पहुंचने के लिए बहुत सारे लहरबाज़ पुल, इमारत, गोदी और अन्य संरचनाओं से कूद पड़ते हैं। अगर कूदने का समय गलत हो गया तो वे अपना या उपकरण का या फिर दोनों का ही नुकसान कर देते हैं।[12] बड़ी संख्या में चोट, 66% तक,[13] का कारण सर्फबोर्ड (अग्रभाग या फिन से) से टकरा जाना होता है। फिन गहरे चीर-फाड या कटने, साथ ही साथ बहुत ही अधिक थका देने का कारण होता है। हालांकि ये चोट छोटे-मोटे होते हैं, लेकिन समुद्री संक्रमण के लिए ये त्वचा को खोल देते हैं; संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए लहरबाज़ अगेंस्ट सीवेज जैसे दल पानी की सफाई का अभियान चलाते हैं। लहरबाज़ी के दौरान सर्फबोर्ड से गिरना, दूसरों के साथ टकराना या दूसरों को घायल करना आमतौर पर 'वाइपआउट' (wipeout) कहलाता है।
समुद्री जीवन
समुद्री जीवन कभी कभी चोट लगने और यहां तक कि मौत का भी कारण हो सकता है। एस शार्क,[14] स्ट्रिंगरे, सील और जेलीफिश जैसे जीव कभी खतरा पैदा कर सकते हैं।[15]
जल-प्रवाह को काटना
रिपटाइड अनुभवी और अनुभवहीन दोनों तरह के लहरबाज़ के लिए खतरनाक होता है। रिप प्रवाह पानी का चैनल होता है जो तट से दूर बहता हैं। चूंकि यह प्रवाह गुप्त होता है, पानी दिखने में शांत लगता है, थके और अनुभवहीन तैराक या लहरबाज़ आसानी से बह जाते हैं।[16]
समुद्र की सतह
समुद्र की सतह लहरबाज़ के लिए खतरा खड़ा कर सकती है। अगर कोई लहरबाज़ लहर की सवारी करते हुए गिर जाता है, तो लहर उसे चारों ओर उछाल-उछाल कर पटकती है, आमतौर पर नीचे की ओर. चाहे वह चट्टान ब्रेक हो या बीच ब्रेक, समुद्र के निचले सतह से उठा कर पटके जाने के कारण ज्यादातर लहरबाज़ गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं या यहां तक कि मर भी जाते है। समुद्र की सतह बहुत ही उथला हो सकता है, खासतौर ज्वार के दौरान बीच ब्रेक में. उदाहरण के लिए वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के साइक्लोप्स ले लें. यह दुनिया की सबसे बड़ा और मोटा रीफ ब्रेक है, जिसमें लहरों का माप 10 मीटर तक ऊंचा होता है। फिर भी, चट्टान के नीचे गहराई केवल लगभग 2 मीटर होती है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Surfing: a history of the ancient Hawaiian sport Archived 2013-11-09 at the वेबैक मशीन, Ben R. Finney, James D. Houston, Pomegranate, 1996, ISBN 978-0-87654-594-2
- ↑ "IOC approves five new sports for Olympic Games Tokyo 2020". International Olympic Committee. 3 August 2016. मूल से 26 August 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 July 2021.
- ↑ "Tóquio 2020: Ìtalo Ferreira consegue a inédita medalha de ouro em Tóquio 2020!!" [टोक्यो 2020: एटालो फरेरा को टोक्यो 2020 में मिला अभूतपूर्व स्वर्ण पदक !!]. Jornal O Maringá. 27 July 2021. अभिगमन तिथि 15 August 2021.
- ↑ "Carissa Moore, Italo Ferreira Win Surfing Gold" [कैरिसा मूर, इटालो फरेरा विन सर्फिंग गोल्ड]. NYTimes. 27 July 2021. अभिगमन तिथि 15 August 2021.
- ↑ लहरबाज़ी का इतिहास Archived 2011-10-29 at the वेबैक मशीन जीवन के लिए लहरबाज़ी
- ↑ Roughing It Archived 2011-07-22 at the वेबैक मशीन, Mark Twain, Digireads.com Publishing, 2007, ISBN 978-1-4209-3028-3
- ↑ Learn to Surf Archived 2012-02-07 at the वेबैक मशीन, John Dang, surfscience.com, Accessed 2010-03-11
- ↑ "कैसे सर्फ करने पर त्वरित गाइड". मूल से 31 अगस्त 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जनवरी 2012.
- ↑ West of Jesus: Surfing, Science, and the Origins of Belief, Steven Kotler, Bloomsbury Publishing USA, 2007, ISBN 978-1-59691-344-8
- ↑ "सागर सुरक्षा". मूल से 5 मई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जनवरी 2012.
- ↑ "कठिन नीचे सर्फ खतरों". मूल से 26 सितंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जनवरी 2012.
- ↑ प्रशस्ति पत्र की जरूरत
- ↑ "लहरबाज़ी के खतरों". मूल से 6 जनवरी 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जनवरी 2012.
- ↑ Unprovoked White Shark Attacks on Surfers Archived 2001-08-03 at the वेबैक मशीन, Shark Research Committee, Accessed 20 सितंबर 2010
- ↑ "Surf Dangers Animals". मूल से 20 अप्रैल 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जनवरी 2012.
- ↑ Surfing's hidden dangers Archived 2012-01-06 at the वेबैक मशीन, BBC News, September 7, 2001