तिनछठ्ठी
आधिकारिक नाँव | तिनछठ्ठी |
दुसर नाँव | छठ्ठी,छठ्ठ |
मनावय वाले | हिन्दू,अवधी |
किसिम | धार्मिक, सामाजिक |
उद्देश्य | धार्मिक निष्ठा |
सुरुवात | बहुतय पुरान |
तिथि | भादौ अन्हियार पाख छ्ठ्ठी तिथि |
रिवाज | गणेश,गौरी पुजा,कुश कय पुजा |
तिनछ्ठ्ठी पुजा भादौ अन्हियार पाख छ्ठ्ठी तिथि मे किहा जात है। छ्ठ्ठी तिथि मे मनावैके नाते यकर नाव तिनछठ्ठी भा है।यी तिउहार अवध क्षेत्र कै लडिकोर मेहरारु लोगन कै जादा महत्वपुर्ण तिउहार होय।यहि दिने भिन्नहियै नहाय कय महुवा कै द्तुईन कैकय व्रत बैठ्त ही।जङगल से लाये परास कै पाता, महुवा कै पाता, कुश औ गायके गोबर से घरमे कोहबर बनावा जात है।वमहा गौरी औ गणेश कै चित्र बनावा जात है।वहि चित्र मा छ ठु मुड होत है।उ तिथि कै प्रतीक होत हैं।गणेश औ गौरी मह्तारी औ बेट्वा कै प्रतीक होत है।भुइ पर बनाये यहि चित्र का हरदी से रंगा दुई कपडा से ओढावा जात है।यहि दिन परास कै पाता मे तिन्नी कै चाउर , चना,दहि,महुवा रखिकै छ कुशमे गाठ बान्ही कै धूप ,दीप ,सिन्दूर से पुजा किहा जात है।ब्रतालु मेहरारु लोग पुजा के बाद तिन्नी कै चाउर कै भात औ चौराई कै साग कै पारन करत ही।यी व्रत बेट्वा कय लम्मा आयु के खातिर मनावा जात है।